हर वर्ष के मार्च महीने की 22 तारीख को विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है। युनाइटेड नेशन द्वारा घोषित इस दिवस के उपलक्ष्य पर गुजरात के जल संरक्षण और जल प्रबंधन मॉडल पर भी चर्चा करना ज़रूरी है। पिछले ढाई दशक में 196 लाख हेक्टेयर भूभाग वाले इस राज्य ने जल संकट को अवसर में बदलते हुए अपनी दूरदर्शी योजनाओं के चलते, राज्य ने अपनी जल संकट की समस्या को एक अवसर में बदला, जिससे जल सुरक्षा, कृषि समृद्धि और रोजगार सृजन सुनिश्चित हुआ है।
गुजरात की इस अविश्वसनीय जल समृद्धि यात्रा के प्रमुख सूत्रधार रहे हैं श्री नरेन्द्र मोदी जिन्होंने लगभग डेढ़ दशक गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात में जल संरक्षण और उसके संवर्धन का दशा और दिशा बदलकर रख दी। आज गुजरात ने 70 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता में से 61.32 लाख हेक्टेयर का प्रभावी उपयोग कर लिया है। 1,87,403 चेक डैम के निर्माण से भूजल पुनर्भरण और सतत जल आपूर्ति सुनिश्चित हुई।
गुजरात के जल प्रबंधन की सफलता को राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया, और अक्टूबर 2024 में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 'राष्ट्रीय जल पुरस्कार' समारोह में गुजरात को जल प्रबंधन में उत्कृष्टता के लिए सम्मानित किया।
सरदार सरोवर योजना बनी गुजरात की जीवन रेखा
गुजरात के जल प्रबंधन में सबसे बड़ा नाम सरदार सरोवर परियोजना का है जो आज राज्य की जीवनरेखा बन गई है। इस एक प्रोजेक्ट ने पूरे गुजरात में जल आपूर्ति और सिंचाई में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। 163 मीटर ऊँचे इस एक बाँध से गुजरात के 17 जिलों के 3173 गाँवों के लगभग 18 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य ज़मीन में सिंचाई सुविधा पहुँचाने की योजना है और वर्तमान में 30 जिलों के 10,453 गाँवों व 183 कस्बों में पीने के लिए पानी की सुविधा मिल रही है।
सुजलाम सुफलाम योजना: जल संकट से समाधान की ओर
उत्तर और मध्य गुजरात के लिए समर्पित यह योजना गुजरात के जल क्रांति में एक महत्वपूर्ण पड़ाव बनी। इस योजना के तहत 337 किमी लंबी सुजलाम सुफलाम स्प्रेडिंग नहर का निर्माण पूरा किया गया, जिससे किसानों को सिंचाई का लाभ मिला और भूजल स्तर बढ़ा। साथ ही, उत्तर गुजरात में नर्मदा के अधिशेष जल के उपयोग हेतु 14 लिफ्ट सिंचाई पाइपलाइन परियोजनाएँ बनाई गईं, जिनमें से 13 पूरी हो चुकी हैं। अब तक पूरे हो चुके इन प्रोजेक्ट्स से 550 गाँवों के 959 तालाबों को जोड़कर 1,02,700 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई का लाभ दिया जा रहा है।
आदिवासी समुदायों के लिए जल सुरक्षा की गारंटी बनी वनबंधु कल्याण योजना
गुजरात सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों की जल समस्या के समाधान के लिए वनबंधु कल्याण योजना के तहत बड़े पैमाने पर जल संरक्षण परियोजनाएँ शुरू की हैं। इस योजना के तहत 26,951 जल संरक्षण परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं, जिससे 4,07,983 हेक्टेयर आदिवासी भूमि को लाभ मिला है। इसके अलावा, 9 प्रमुख लिफ्ट सिंचाई परियोजनाएँ पूरी की गई हैं, जिनसे 48,988 हेक्टेयर भूमि और 605 गाँवों को पानी उपलब्ध हुआ है। इस पहल ने आदिवासी समुदायों को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
SAUNI योजना बनी सौराष्ट्र की जीवनदायनी
गुजरात की SAUNI योजना सौराष्ट्र क्षेत्र की लाइफ लाइन बनती जा रही है। इसके तहत 1 MAF (Million Acre Feet) नर्मदा का अतिरिक्त पानी 1,320 किमी लंबी पाइपलाइन नेटवर्क के माध्यम से 99 जलाशयों में पहुँचाया जा चुका है जिससे 8.24 लाख एकड़ भूमि को लाभ मिलेगा। इसके अलावा, कच्छ जल परियोजना के प्रथम चरण के तहत ₹4,118 करोड़ की लागत से 4 प्रमुख पाइपलाइन लिंक भी बनाए जा रहे हैं, ताकि इस क्षेत्र में जल आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके।
जल स्रोतों के पुनरुद्धार से गुजरात के जल का भविष्य सुरक्षित
गुजरात सरकार द्वारा 2018 में शुरू किया गया सुजलाम सुफलाम जल अभियान के तहत 1.07 लाख परियोजनाएँ पूरी की गई हैं, जिससे 119,144 लाख घन फीट जल भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई है। इसी तरह केंद्र सरकार की ‘जल संचय, जन भागीदारी’ अभियान को राज्य में सामुदायिक सहभागिता से जल संरक्षण को जन अभियान बनाया गया, जिससे चेक डैम, तालाब गहरीकरण और वर्षा जल संचयन से भूजल स्तर में सुधार हुआ है। ‘अमृत सरोवर’ पहल भी इसमें एक बड़ा नाम है और वर्तमान में राज्य के 33 जिलों में 2650 अमृत सरोवरों का निर्माण हो चुका है।
हर घर जल: 100% 'नल से जल' की उपलब्धि
केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना के तहत राज्य सरकार ने मजबूत पाइपलाइन नेटवर्क और जल संसाधनों के कुशल उपयोग पर जोर दिया, जिससे हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुँचाना संभव हुआ। विशेष रूप से दूरदराज और जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में आधुनिक तकनीकों और जल संरक्षण परियोजनाओं को अपनाया गया। गुजरात की इस सफलता ने उसे 'हर घर जल' लक्ष्य प्राप्त करने वाले अग्रणी राज्यों में शामिल कर दिया है।