वाराणसी पुलिस प्रशासन व नगर निगम वाराणसी द्वारा आज सुबह अखिल भारत सर्वोदय समाज (सर्व सेवा संघ) के वाराणसी स्थित परिसर में रहने वाले गांधी विचार के कार्यकर्ताओं, संस्था के संसाधनों, कागजातों को भवन से निकाल कर बाहर सड़क पर कर दिया तथा सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल, उत्तर प्रदेश सर्वोदय संघ के अध्यक्ष राम धीरज, महादेव देसाई के पौत्र अफलातून देसाई को गिरफ्तार कर पूरे भवन को अपने कब्जे में ले लिया। इस घटना के कारण पूरे देश में गांधी विचार के प्रति आस्था रखने वाले नागरिकों में रोष है। यह सरकार की नीति और मनमर्जी की पराकाष्ठा है। जिस जमीन पर यह इमारत बनी है वह 1960 में उत्तर रेलवे से राजेंद्र प्रसाद, आचार्य विनोबा भावे और लाल बहादुर शास्त्री ने खरीदी थी । वाराणसी प्रशासन अब उसे अवैध बता रहा है ।उसने राजेंद्र प्रसाद,विनोबा भावे जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को अतिक्रमणकारी घोषित कर 27 जून को नोटिस चस्पा कर दिया कि 30 जून की सुबह 9:00 बजे तक अपना भवन खाली कर लें। जिसके खिलाफ पिछले लगभग 50 दिनों से सविनय अवज्ञा सत्याग्रह चल रहा है। घटना का विरोध करते हुए वरिष्ठ सर्वोदयी आचार्य विनोबा भावे और लोकनायक जयप्रकाश के साथ लंबे समय तक काम कर चुके गांधी भवन न्यास के सचिव और देश के वरिष्ठ गांधीवादी दयाराम नामदेव ने कहा कि या बड़ी दुखद घटना है कि बनारस में विनोबा और जयप्रकाश द्वारा स्थापित सर्व सेवा संघ परिसर को सरकार द्वारा किसी प्रकार का समर्थन देने की बजाय उसे ध्वस्त किया जा रहा है, यह लोकतंत्र का मखौल उड़ाने जैसा है। आज न्यायपालिका से भरोसा उठ गया है, कार्यपालिका सत्ता पक्ष के हित में काम कर रही है।
गांधी भवन न्यास के कोषाध्यक्ष और लेखक,विचारक अरुण डनायक ने कहा है कि आज जब विश्व गांधी विचार के प्रति आशान्वित है, तब भारत की सरकार गांधी विचार के अध्ययन हेतु निर्मित संस्था को नष्ट करने पर तुली है उन्होंने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाया कि सरकार की फितरत बन गई है कि प्रतिष्ठित संस्थानों के नाम बदल दो नाम न बदल सको तो नष्ट कर दो, जो कायरता पूर्ण है । सरकार का तानाशाही पूर्ण रवैया इससे झलकता है।
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और राज्यसभा टीवी के पूर्व संपादक राजेश बादल ने कहा कि जिन महापुरुषों ने हमें आजादी दिलाई, रचनात्मक कार्यों हेतु अनेक संस्थाएं खड़ी की, उन संस्थाओं और प्रतीकों को मिटाने का प्रयास निंदनीय है। ऐसे किसी भी षड्यंत्र को सभ्य समाज स्वीकार नहीं करेगा। आग्रह है कि ऐसे षड्यंत्रों को रोका जाए।
वरिष्ठ पत्रकार व लेखक राकेश दीवान ने कहा कि किसी भी सरकार द्वारा अपनी विरासत को खत्म करने का यह हिंसक व अनैतिक कार्य घोर निंदनीय, अस्वीकार है।
भोपाल के बुद्धिजीवियों ने उत्तरप्रदेश सरकार के इस कृत्य की कड़ी निंदा की है।