यह सिर्फ मेहसाना या गुजरात के लिए ही नहीं, सारे देश के लिए प्रेरणादाई खबर है। 68 साल के खिमजी प्रजापति भीख मांगके अपना गुजारा करते है, और जो रकम बच जाती है उसमें से लडकियों को पढाई के लिए प्रोत्साहित करने के लिए या उनकी फीस भर देते है या स्कूलड्रेस बनवाते है। प्रजापति आंगनवाडीने पढने वाली बहोत छोटी बच्चीओं को सोने के कुंडल भी दीए है। उनके इस अनुठे सेवाकार्य को देखते हुए रोटरी क्लब ने उनका सन्मान करने का तय किया है, जिसके लिए प्रजापति को चेन्नई में 3 मार्च को पुरस्कार और एक लाख नकद दिए जाएंगे। प्रजापति को चेन्नई आने-जाने के लिए महेसाना की संस्थाए सारी व्यवस्था कर रही है।
यह सिर्फ मेहसाना या गुजरात के लिए ही नहीं, सारे देश के लिए प्रेरणादाई खबर है। 68 साल के खिमजी प्रजापति भीख मांगके अपना गुजारा करते है, और जो रकम बच जाती है उसमें से लडकियों को पढाई के लिए प्रोत्साहित करने के लिए या उनकी फीस भर देते है या स्कूलड्रेस बनवाते है। प्रजापति आंगनवाडीने पढने वाली बहोत छोटी बच्चीओं को सोने के कुंडल भी दीए है। उनके इस अनुठे सेवाकार्य को देखते हुए रोटरी क्लब ने उनका सन्मान करने का तय किया है, जिसके लिए प्रजापति को चेन्नई में 3 मार्च को पुरस्कार और एक लाख नकद दिए जाएंगे। प्रजापति को चेन्नई आने-जाने के लिए महेसाना की संस्थाए सारी व्यवस्था कर रही है।