आजाद और संप्रभु देशों के बीच आपसी राजनयिक संबंधो को लेकर सबसे पहले 1961 में वियना कन्वेंशन हुआ था. इसके तहत एक ऐसे अंतर्राष्टरीय संधि का प्रावधान किया गया जिसमें राजनयिकों को विशेष अधिकार दिये गये. इसके दो साल बाद 1963 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसी संधि से मिलती जुलती एक और संधि का प्रावधान किया. इस संधि को ‘वियना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस’ के नाम से जाना जाता है.
भारत ने ICJ में इसी जाधव का मामला इसी संधि के तहत उठाया है. इस संधि पर अभी तक 179 देश सहमत हो चुके हैं. इस संधि के तहत कुल 79 आर्टिकल हैं.
वर्ष 1963 में हुई थी वियना संधि की शुरुआत
इस संधि का ड्राफ्ट इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने तैयार किया था और 1964 में यह संधि लागू हुई. बता दे कि वियना संधि के मुताबिक़ राजनयिकों को गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता है और न ही उन्हें किसी तरह की हिरासत में रखा जा सकता है.
आजाद और संप्रभु देशों के बीच आपसी राजनयिक संबंधो को लेकर सबसे पहले 1961 में वियना कन्वेंशन हुआ था. इसके तहत एक ऐसे अंतर्राष्टरीय संधि का प्रावधान किया गया जिसमें राजनयिकों को विशेष अधिकार दिये गये. इसके दो साल बाद 1963 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसी संधि से मिलती जुलती एक और संधि का प्रावधान किया. इस संधि को ‘वियना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस’ के नाम से जाना जाता है.
भारत ने ICJ में इसी जाधव का मामला इसी संधि के तहत उठाया है. इस संधि पर अभी तक 179 देश सहमत हो चुके हैं. इस संधि के तहत कुल 79 आर्टिकल हैं.
वर्ष 1963 में हुई थी वियना संधि की शुरुआत
इस संधि का ड्राफ्ट इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने तैयार किया था और 1964 में यह संधि लागू हुई. बता दे कि वियना संधि के मुताबिक़ राजनयिकों को गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता है और न ही उन्हें किसी तरह की हिरासत में रखा जा सकता है.