साल 2013 में देवभूमि केदारनाथ में आई प्राकृतिक आपदा के चलते पूरी केदारनाथ घाटी तहस-नहस हो गई थी. इस आपदा के कारण करीब 5000 लोग मारे गए थे. हजारों लोग विस्थापित हो गए थे. करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था. तब विशेषज्ञों ने इस तबाही का कारण मानसून का जल्दी आ जाना और ग्लेशियरों का पिघलना बताया था.
इस तबाही के 6 साल बाद केदारनाथ की चोराबाड़ी झील में दोबारा पानी इकट्ठा हो रहा है. यह वही झील है जो 2013 में आए महाविनाश की मुख्य वजह बनी थी. अब इसमें फिर से पानी एकत्र होने लगा है. सेटेलाइट तस्वीरों के जरिए पता चला है कि 2013 की तबाही जैसा खतरा फिर से निकट आ रहा है.
जमी हुई चोराबाड़ी झील की कुछ नई तस्वीरें दिखाती हैं कि केदारनाथ धाम से दो किलोमीटर ऊपर कई जगह पानी एकत्र हो रहा है और पानी एकत्र होने वाली जगहों की संख्या बढ़ रही है.
यह तस्वीरें लैंडसैट 8 और सेंटीनेल-2B सेटेलाइट से 26 जून, 2019 को ली गई हैं. यह तस्वीरें दिखाती हैं कि पिछले एक महीने में जल समूहों की संख्या दो से बढ़कर चार हो गई है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार ने एहतियाती उपाय करने शुरू कर दिए हैं.
साल 2013 में देवभूमि केदारनाथ में आई प्राकृतिक आपदा के चलते पूरी केदारनाथ घाटी तहस-नहस हो गई थी. इस आपदा के कारण करीब 5000 लोग मारे गए थे. हजारों लोग विस्थापित हो गए थे. करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था. तब विशेषज्ञों ने इस तबाही का कारण मानसून का जल्दी आ जाना और ग्लेशियरों का पिघलना बताया था.
इस तबाही के 6 साल बाद केदारनाथ की चोराबाड़ी झील में दोबारा पानी इकट्ठा हो रहा है. यह वही झील है जो 2013 में आए महाविनाश की मुख्य वजह बनी थी. अब इसमें फिर से पानी एकत्र होने लगा है. सेटेलाइट तस्वीरों के जरिए पता चला है कि 2013 की तबाही जैसा खतरा फिर से निकट आ रहा है.
जमी हुई चोराबाड़ी झील की कुछ नई तस्वीरें दिखाती हैं कि केदारनाथ धाम से दो किलोमीटर ऊपर कई जगह पानी एकत्र हो रहा है और पानी एकत्र होने वाली जगहों की संख्या बढ़ रही है.
यह तस्वीरें लैंडसैट 8 और सेंटीनेल-2B सेटेलाइट से 26 जून, 2019 को ली गई हैं. यह तस्वीरें दिखाती हैं कि पिछले एक महीने में जल समूहों की संख्या दो से बढ़कर चार हो गई है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार ने एहतियाती उपाय करने शुरू कर दिए हैं.