गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यह एक युगांतरकारी परिवर्तन का कालखंड है. राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा देश स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ते हुए अमृत काल के प्रारंभिक दौर से गुजर रहा है. यह एक युगांतरकारी परिवर्तन का कालखंड है. हमें अपने देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का सुनहरा अवसर मिला है. हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक नागरिक का योगदान महत्वपूर्ण होगा. इसके लिए मैं सभी देशवासियों से संविधान में निहित हमारे मूल कर्तव्यों का पालन करने का अनुरोध करूंगी. ये कर्तव्य आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में प्रत्येक नागरिक के आवश्यक दायित्व हैं.