संस्कृत को जन भाषा बनाने के लिए प्रयासरत विश्वस्तरीय संगठन संस्कृत भारती के प्रथम विश्व सम्मेलन का उद्घाटन शनिवार को हुआ। विश्व सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय चिकित्सा, स्वास्थ्य तथा विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन थे । 

डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि ऐसा कार्यक्रम जीवन में पहली बार मैंने देखा है, जिससे मेरी आत्मा तृप्त हो गयी। संस्कृत भारती  संजीवनी का संचार करती है। संस्कृत संभाषण को आंदोलन के रूप में संस्कृत भारती ने लिया है। आज 21 देशों में से एक लाख  लोग संस्कृत पढ़ रहे हैं। पूरे भारत में 1 से 12 कक्षा तक तीन करोड़ के लगभग छात्र संस्कृत पढ़ रहे हैं। 

संस्कृत भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्रीश देव पुजारी ने तीन वर्ष का कार्यवृत्त  प्रस्तुत  किया। उन्होंने कहा कि 17 देशों में संस्कृत भारती का कार्य चल रहा है। 21 देशों के 76 प्रतिनिधि इस विश्व सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। 542 जिलों के 3883 स्थानों से प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। यह सम्मेलन निश्चित रूप से संस्कृत का यश फैलायेगा। संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान के शैक्षणिक निर्देशक चांद किरण सलूजा ने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का संदेश पढ़ा। 

संस्कृत के प्रेम के लिए नितान्त  विख्यात लोकसभा सदस्य प्रतापचंद्र षडंगी  ने संस्कृत में विचार व्यक्त करते हुए संस्कृत भाषा के महत्व को प्रकाशित किया। उन्होंने कहा कि जो संस्कृत को नहीं जानते वो भारत को नहीं जानते हैं। संस्कृत भाषा सर्वाधिक उत्तम भाषा है । 
कार्यक्रम के अध्यक्ष संस्कृत भारती के अखिल भारत अध्यक्ष प्रोफेसर भक्तवत्सल शर्मा ने कहा कि संस्कृत भाषा नहीं बल्कि जीवन पद्धति है। 21वीं शताब्दी संस्कृत शताब्दी के रूप में हो ऐसा प्रयास करना है। अंत में कार्तज्ञ्य निवेदन अखिल भारतीय साहित्य प्रमुख सत्यनारायण ने किया। विश्व सम्मेलन में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, आचार्य, अध्यापक तथा विभिन्न गणमान्य लोग उपस्थित थे ।

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Added on : 2019-11-10 20:15:04

संस्कृत को जन भाषा बनाने के लिए प्रयासरत विश्वस्तरीय संगठन संस्कृत भारती के प्रथम विश्व सम्मेलन का उद्घाटन शनिवार को हुआ। विश्व सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय चिकित्सा, स्वास्थ्य तथा विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन थे । 

डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि ऐसा कार्यक्रम जीवन में पहली बार मैंने देखा है, जिससे मेरी आत्मा तृप्त हो गयी। संस्कृत भारती  संजीवनी का संचार करती है। संस्कृत संभाषण को आंदोलन के रूप में संस्कृत भारती ने लिया है। आज 21 देशों में से एक लाख  लोग संस्कृत पढ़ रहे हैं। पूरे भारत में 1 से 12 कक्षा तक तीन करोड़ के लगभग छात्र संस्कृत पढ़ रहे हैं। 

संस्कृत भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्रीश देव पुजारी ने तीन वर्ष का कार्यवृत्त  प्रस्तुत  किया। उन्होंने कहा कि 17 देशों में संस्कृत भारती का कार्य चल रहा है। 21 देशों के 76 प्रतिनिधि इस विश्व सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। 542 जिलों के 3883 स्थानों से प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। यह सम्मेलन निश्चित रूप से संस्कृत का यश फैलायेगा। संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान के शैक्षणिक निर्देशक चांद किरण सलूजा ने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का संदेश पढ़ा। 

संस्कृत के प्रेम के लिए नितान्त  विख्यात लोकसभा सदस्य प्रतापचंद्र षडंगी  ने संस्कृत में विचार व्यक्त करते हुए संस्कृत भाषा के महत्व को प्रकाशित किया। उन्होंने कहा कि जो संस्कृत को नहीं जानते वो भारत को नहीं जानते हैं। संस्कृत भाषा सर्वाधिक उत्तम भाषा है । 
कार्यक्रम के अध्यक्ष संस्कृत भारती के अखिल भारत अध्यक्ष प्रोफेसर भक्तवत्सल शर्मा ने कहा कि संस्कृत भाषा नहीं बल्कि जीवन पद्धति है। 21वीं शताब्दी संस्कृत शताब्दी के रूप में हो ऐसा प्रयास करना है। अंत में कार्तज्ञ्य निवेदन अखिल भारतीय साहित्य प्रमुख सत्यनारायण ने किया। विश्व सम्मेलन में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, आचार्य, अध्यापक तथा विभिन्न गणमान्य लोग उपस्थित थे ।

संस्कृत को जन भाषा बनाने के लिए प्रयासरत विश्वस्तरीय संगठन संस्कृत भारती के प्रथम विश्व सम्मेलन का उद्घाटन शनिवार को हुआ। विश्व सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय चिकित्सा, स्वास्थ्य तथा विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन थे । 

डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि ऐसा कार्यक्रम जीवन में पहली बार मैंने देखा है, जिससे मेरी आत्मा तृप्त हो गयी। संस्कृत भारती  संजीवनी का संचार करती है। संस्कृत संभाषण को आंदोलन के रूप में संस्कृत भारती ने लिया है। आज 21 देशों में से एक लाख  लोग संस्कृत पढ़ रहे हैं। पूरे भारत में 1 से 12 कक्षा तक तीन करोड़ के लगभग छात्र संस्कृत पढ़ रहे हैं। 

संस्कृत भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्रीश देव पुजारी ने तीन वर्ष का कार्यवृत्त  प्रस्तुत  किया। उन्होंने कहा कि 17 देशों में संस्कृत भारती का कार्य चल रहा है। 21 देशों के 76 प्रतिनिधि इस विश्व सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। 542 जिलों के 3883 स्थानों से प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। यह सम्मेलन निश्चित रूप से संस्कृत का यश फैलायेगा। संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान के शैक्षणिक निर्देशक चांद किरण सलूजा ने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का संदेश पढ़ा। 

संस्कृत के प्रेम के लिए नितान्त  विख्यात लोकसभा सदस्य प्रतापचंद्र षडंगी  ने संस्कृत में विचार व्यक्त करते हुए संस्कृत भाषा के महत्व को प्रकाशित किया। उन्होंने कहा कि जो संस्कृत को नहीं जानते वो भारत को नहीं जानते हैं। संस्कृत भाषा सर्वाधिक उत्तम भाषा है । 
कार्यक्रम के अध्यक्ष संस्कृत भारती के अखिल भारत अध्यक्ष प्रोफेसर भक्तवत्सल शर्मा ने कहा कि संस्कृत भाषा नहीं बल्कि जीवन पद्धति है। 21वीं शताब्दी संस्कृत शताब्दी के रूप में हो ऐसा प्रयास करना है। अंत में कार्तज्ञ्य निवेदन अखिल भारतीय साहित्य प्रमुख सत्यनारायण ने किया। विश्व सम्मेलन में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, आचार्य, अध्यापक तथा विभिन्न गणमान्य लोग उपस्थित थे ।

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