बंगाल में चुनाव का प्रचार का शोर थम चुका है. लाउड स्पीकर बांधे जा चुके हैं और मंच उखाड़े जा चुके हैं. मतदान तक यहां न ममता बनर्जी की आवाज सुनाई देगी और नरेंद्र मोदी की लेकिन अभी तक जो हुआ है वो राजनीति की पराकाष्ठा है. नरेंद्र मोदी हों या ममता बनर्जी या फिर अमित शाह, सत्ता की ख्वाहिश में भाषा के जिस स्तर तक चले गए उसने बंगाल के चुनाव प्रचार पर प्रश्न चिह्न लगा दिया.
बंगाल में चुनाव का प्रचार का शोर थम चुका है. लाउड स्पीकर बांधे जा चुके हैं और मंच उखाड़े जा चुके हैं. मतदान तक यहां न ममता बनर्जी की आवाज सुनाई देगी और नरेंद्र मोदी की लेकिन अभी तक जो हुआ है वो राजनीति की पराकाष्ठा है. नरेंद्र मोदी हों या ममता बनर्जी या फिर अमित शाह, सत्ता की ख्वाहिश में भाषा के जिस स्तर तक चले गए उसने बंगाल के चुनाव प्रचार पर प्रश्न चिह्न लगा दिया.