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Added on : 2019-06-30 11:37:30

जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार रात भारत लौट आए। रविवार करीब चार महीने के बाद मोदी ने मन की बात की। वह लोकसभा चुनाव की व्यस्तताओं के बीच लगभग चार महीने तक लोगों से संवाद नहीं कर सके थे।
यह उनके दूसरे कार्यकाल का पहला 'मन की बात' कार्यक्रम है। इस दौरान मोदी ने कहा- एक लंबे अंतराल के बाद आपके बीच #MannKiBaat, जन-जन की बात, जन-मन की बात इसका हम सिलसिला जारी कर रहे हैं। चुनाव की आपाधापी में व्यस्तता तो ज्यादा थी लेकिन मन की बात का मजा ही गायब था, एक कमी महसूस कर रहा था। हम 130 करोड़ देशवासियों के स्वजन के रूप में बातें करते थे।
बीते समय में जब मन की बात कार्यक्रम नहीं हो रहा था, तो रविवार को ऐसा लगता था कि कुछ छूट गया है। जब मैं ‘मन की बात’ करता हूं, तो बोलता भले मैं हूं, शब्द शायद मेरे हैं, आवाज मेरी है, लेकिन कथा आपकी है, पुरुषार्थ आपका है, पराक्रम आपका है। मन की बात कार्यक्रम में जीवन्तता थी, अपनापन था, मन का लगाव था, दिलों का जुड़ाव था और इसके कारण बीच का जो समय गया, वो समय बहुत कठिन लगा मुझे।
देश और समाज के लिए आईने की तरह है। ये हमें बताता है कि देशवासियों के भीतर अंदरूनी मजबूती, ताकत और टैलेंट की कोई कमी नहीं है।

संदेश बहुत आते हैं, शिकायतें कम होती हैं

मन की बात में चिट्ठियां और संदेश बहुत आते हैं, लेकिन शिकायत बहुत कम आती हैं। देश के करोड़ों लोगों की भावनाएं कितनी ऊंची हैं इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि देश के प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखने के बाद भी लोग अपने लिए कुछ नहीं मांगते।
जब भारत में आपातकाल लगाया गया तो उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे में ही नहीं किया गया, राजनेताओं तक सीमित नहीं रहा था, आंदोलन में सिमट नहीं गया था बल्कि जन-जन के दिल में एक आक्रोश था। खोए हुए लोकतंत्र की एक तड़प थी। आपातकाल में देश के हर नागरिक को लगने लगा था कि उसका कुछ छीन लिया गया था।


मन की बात पीएम मोदी ने कहा की
चुनाव के दौरान केदारनाथ जाने पर सवाल उठाए गएमन की बात देश और समाज के लिए आईने की तरह है
देशवासियों में टैलेंट की कोई कमी नहीं है
जब मैं ‘मन की बात’ करता हूं, तो बोलता भले मैं हूं, शब्द शायद मेरे हैं, आवाज मेरी है, लेकिन कथा आपकी है, पुरुषार्थ आपका है, पराक्रम आपका है
मन की बात में चिट्ठियां और संदेश बहुत आते हैं, लेकिन शिकायत बहुत कम आती हैं: पीएम मोदी

जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार रात भारत लौट आए। रविवार करीब चार महीने के बाद मोदी ने मन की बात की। वह लोकसभा चुनाव की व्यस्तताओं के बीच लगभग चार महीने तक लोगों से संवाद नहीं कर सके थे।
यह उनके दूसरे कार्यकाल का पहला 'मन की बात' कार्यक्रम है। इस दौरान मोदी ने कहा- एक लंबे अंतराल के बाद आपके बीच #MannKiBaat, जन-जन की बात, जन-मन की बात इसका हम सिलसिला जारी कर रहे हैं। चुनाव की आपाधापी में व्यस्तता तो ज्यादा थी लेकिन मन की बात का मजा ही गायब था, एक कमी महसूस कर रहा था। हम 130 करोड़ देशवासियों के स्वजन के रूप में बातें करते थे।
बीते समय में जब मन की बात कार्यक्रम नहीं हो रहा था, तो रविवार को ऐसा लगता था कि कुछ छूट गया है। जब मैं ‘मन की बात’ करता हूं, तो बोलता भले मैं हूं, शब्द शायद मेरे हैं, आवाज मेरी है, लेकिन कथा आपकी है, पुरुषार्थ आपका है, पराक्रम आपका है। मन की बात कार्यक्रम में जीवन्तता थी, अपनापन था, मन का लगाव था, दिलों का जुड़ाव था और इसके कारण बीच का जो समय गया, वो समय बहुत कठिन लगा मुझे।
देश और समाज के लिए आईने की तरह है। ये हमें बताता है कि देशवासियों के भीतर अंदरूनी मजबूती, ताकत और टैलेंट की कोई कमी नहीं है।

संदेश बहुत आते हैं, शिकायतें कम होती हैं

मन की बात में चिट्ठियां और संदेश बहुत आते हैं, लेकिन शिकायत बहुत कम आती हैं। देश के करोड़ों लोगों की भावनाएं कितनी ऊंची हैं इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि देश के प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखने के बाद भी लोग अपने लिए कुछ नहीं मांगते।
जब भारत में आपातकाल लगाया गया तो उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे में ही नहीं किया गया, राजनेताओं तक सीमित नहीं रहा था, आंदोलन में सिमट नहीं गया था बल्कि जन-जन के दिल में एक आक्रोश था। खोए हुए लोकतंत्र की एक तड़प थी। आपातकाल में देश के हर नागरिक को लगने लगा था कि उसका कुछ छीन लिया गया था।


मन की बात पीएम मोदी ने कहा की
चुनाव के दौरान केदारनाथ जाने पर सवाल उठाए गएमन की बात देश और समाज के लिए आईने की तरह है
देशवासियों में टैलेंट की कोई कमी नहीं है
जब मैं ‘मन की बात’ करता हूं, तो बोलता भले मैं हूं, शब्द शायद मेरे हैं, आवाज मेरी है, लेकिन कथा आपकी है, पुरुषार्थ आपका है, पराक्रम आपका है
मन की बात में चिट्ठियां और संदेश बहुत आते हैं, लेकिन शिकायत बहुत कम आती हैं: पीएम मोदी

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