राजकुमार सिन्हा
मंडला और आसपास के जिलों के हज़ारों आदिवासी जल परियोजनाओं से विस्थापित हुए हैं।कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से भी दर्जनों आदिवासी गांव विस्थापित हुए थे। उसके बाद 1990 के दशक में बने बरगी बांध से 162 गांव विस्थापित हुए। दोनों परियोजनाओं में एक भी परिवार का पुनर्वास नही हुआ था।विस्थापित लोग रोजगार की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर हैं। बहुत से परिवार बरगी जलाशय से मत्स्याखेट कर रोज़ी रोटी कमा रहे थे।परन्तु ठेकेदारी के कारण जलाशय का उत्पादन इतना कम हो गया है कि मछुआरे प्रदेश के अन्य जलाशयों में मछली के लिए पलायन करने पर मजबूर हैं।बहुत से परिवार दिसम्बर-जनवरी में डूब से खुलने वाली भूमि पर एक फसल पैदा कर आजीवि का चला लेते थे। परन्तु पांच साल से पानी भरकर रखने के कारण बोनी के समय डूब से खुलने वाली भूमि उपलब्ध नहीं होती है।बरगी बांध से बीजाडांडी और नारायणगंज गांवो में खेती के लिए पानी की मांग सालों से की जा रही है।परन्तु नर्मदा घाटी विकास विभाग जलाशय से पानी देने से मना कर रहा है,जबकि बरगी बांध में इसी वर्ष 27 अप्रेल को बबलिया कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नर्मदा से चार लिफ्ट सिंचाई योजना की घोषणा कर चुके हैं।परन्तु अभी तक इस बारे में कोई प्रगति नहीं हुई है । नर्मदा घाटी की मटियारी और हालोन बांध के विस्थापित परिवारों का पुनर्वास नहीं हुआ।
नर्मदा घाटी में मंडला जिले के मोहगांव विकास खंड के औढारी गांव बसनिया में बांध और डिंडौरी जिले के मरवाही में राघवपुर बांध प्रस्तावित है। लोग दोनों परियोजनाओ के विरोध में हैं।बसनिया बांध से प्रभावित गाँव की जमीन अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी कर दिया गया है, जबकि ग्रामीणों ने पेसा नियम 2022 की कंडिका -18 धारा (1) के अनुसार ग्राम सभा ने बसनिया बांध को निरस्त का प्रस्ताव पारित किया है।कान्ह
एवं फेन अभयारण्य के बाद टिकरिया-कालपी के बीच राजा दलपतशाह अभयारण्य प्रस्तावित है। बरगी जलाशय क्षेत्र में चुटका परमाणु बिजलीघर प्रस्तावित है।राजा दलपतशाह अभयारण्य और चुटका परियोजना का स्थानी य समुदाय विरोध कर रहा है। अमित शाह जैसे नेता मंडला आते हैं तोअपेक्षा होती है कि विस्थापितों के लिए कुछ राहत और रियायत मिलेगी ।