Know your world in 60 words - Read News in just 1 minute
हॉट टोपिक
Select the content to hear the Audio

Added on : 2023-04-04 09:53:41

बाबूलाल दाहिया

विभिन्न संगठनों से जुड़े किन्तु उद्देश्य में समानधर्मा यानी कि ( हमारा विन्ध्य प्रदेश हमें वापस दो) जैसे पुनीत काम करने में एक मत समस्त आदरणीयों से मेरा हाथ जोड़ कर (जय विन्ध्य प्रदेश)
 कल विन्ध्य प्रदेश का स्थापना दिवस है। क्योकि कल के दिन ही 4 अप्रैल 1948 में रेस्ट हाउस नागौद में ही बैठ कर विन्ध्य प्रदेश की रूप रेखा बना कर उसे मूर्त रूप दिया गया था।   जहां कल वही बैठ कर  स्थापना दिवस मनेगा (हमारा विंध्यप्रदेश हमें वापस दो?) उद्देश्य वाले हम इस अभियान में 3 तरह के लोग शामिल है।

1--   30 से 40 वर्ष अवस्था वाले ।
2--   41से 65 वर्ष अवस्था वाले।
3--  65 से ऊपर 70-80 वर्ष  वाले।

मुझे फख्र है कि मैं उसी 75 से 80 वर्ष बाला ब्यक्ति हूं जिसने कुछ गुलामी का समय भी देखा है और बाद में आजादी का भी। 1952 में हुए प्रथम चुनाव के बाद जब विन्ध्यप्रदेश बना था तो मुझ बाल्यावस्था वाले ब्यक्ति को भी उसी तरह उसका अहसास हुआ था जैसे  जेठ की तेज गर्मी से झुलसे छोटे बड़े सभी  पेड़ मानसून की पहली बारिश में हरे भरे हो जाते हैं और समूची धरती हरीतिमा युक्त दिखने लगती है। 
संयोग से मेरे सगे मौसा श्री चंदीदीन जी बिधायक थे अस्तु बहुत सी चीजें नजदीक से देखने और समझने को मिली थी। उस समय गांव - गांव में सामुदायिक भवन, स्कूल ,ढर्रा सड़क और कुआं तलाब बने थे जो उस जमाने मे गांव केलिए किसी बरदान से कम नही थे।एक मंत्री श्री गोपाल शरण सिंह जी थे तो हमारे गांव और आस पास की समस्याओं को तुरन्त क्रियानवयन में ले लिया जाता था। एक हिस्सा जन भागी दारी का होता उसके बूते 3 गुना  सरकार से मिल जाता तो स्कूल भवन ,ढर्रा सड़क ,तलाब आदि बनना सरल सा रहता। वह ईमानदारी का युग था जिससे शत प्रतिसत पैसे का सही उपयोग होता और हर कार्य मे जन भागीदारी के कारण लोगों का भावनात्मक रूप से जुड़ाव रहता।
पर जब विंध्यप्रदेश हमसे अलग हुआ उस त्रासदी का भी हमें तब भी अहसास हुआ था और अब भी हो रहा है कि "हमसे कोई हमारी प्रिय अस्तु छीन ली गई है।" फिर हम कैसे अपनी समस्याओं के निदान से दूर होते चले गए ? हमारा विन्ध्य प्रदेश हम से कैसे अलग होगया ? हम आन्तरिक बाते नही जानते पर कहा यही जा रहा था कि " विंध्यप्रदेश छोटा सा राज्य है जिससे उसका समुचित विकास नही हो रहा अस्तु बड़े राज्य बनाकर इसका विकास करना जरूरी है।" 
 हो सकता है तत्कालीन परिस्थिति यही रही हो ? पर आज जिस प्रकार हमारे प्राकृतिक संसाधनों का दोहन तो भरपूर हो रहा है किन्तु उस अनुपात में यहां वि कास में खर्च नही हो रहा वह अटपटा सा लगता है। वर्तमान स्थिति में देखें तो --

1--  मध्यप्रदेश के बनोपज का एक तिहाई हिस्सा विन्ध्य प्रदेश के जंगलो का ही होता है पर विकास में समुचित विन्ध्य की हिस्सेदारी नही है।

2-- सारे भारत के 10 घरों में 1 घर की औसत बिजली सिंगरौली के कोयला  थर्मल पावर से जलती है पर वि कास की हिस्सेदारी में यह क्षेत्र बहुत पीछे है ।

3-- देश के औसत 10 घरों में एक घर विन्ध्य के सीमेंट से बनता है पर विकास के मामले में यह क्षेत्र बहुत पीछे है।

4- पर्यटन स्थलों में इस इलाके में  जहाँ खजुराहो, धुबेला, अमरकंटक हैं, वही केवटी ,चचाई जैसे प्रपात भी । यह भी उल्लेखनीय है कि अब सफेद बाघ का टॉइगर सफारी मुकुंदपुर है जहां हर वर्ष लाखो लोग आते हैं।

5-- प्राचीन बौद्ध स्थल के रूप में यहां  देउर कोठार और भरहुत हैं जिन्हे विकसित करके पुरानी भरहुत की पुरासम्पदा को वापस लाकर उसके महत्व को  बढाया जा सकता है। 

6-- धर्मिक स्थल में भी विंध्य कम नही है ,जहां मैहर में मा शारदा एवं दतिया में मा पितम्बरा हैं। उधर सतना जिले में ही चित्रकूट ,
टीकमगढ़ जिले में ओरछा जैसे धार्मिक स्थल हैं जहाँ दर्शकों का तांता लगा रहता है।

7-- जो लोग दिल्ली गए होंगे तो मेट्रो का आनंद अवश्य लिया होगा जिसने दिल्ली जैसे महा नगर की यात्रा को सुगम बना दिया है। परन्तु मजे की बात यह है कि उसके चलने के लिए लगने वाली ऊर्जा अब विन्ध्य के ही रीवा जिला स्थित गुढ़ से जाती है जहां कई किलोमीटर वर्ग क्षेत्र में सौर ऊर्जा पैनल लगे हुए है।

8-- यदि पानी की बात करें तो  विंध्य प्रदेश में  बाणसागर बांध है जहां का पानी बिहार तक जाता है। पर उसके अतिरिक्त भी चम्बल, केन, बेतबा, धासान आदि नदिया हैं जो दिल्ली में मृत प्रायः बन चुकी यमुना जैसी पवित्र नदी को भी  स्वच्छ पानी दार बनाती हैं।

9-- पन्ना में निकलने वाला उच्चकोटि का हीरा हमारी कम उपलब्धि नही है? पर उसी से जुड़े छतरपुर के बकस्वाहा वाले हीरे के भंडार में भी अंतरराष्ट्रीय धन्ना सेठों की नजर है।

कहने का आशय कि प्रस्तावित विन्ध्य प्रदेश की सरकार इस राज्य को चलाने में उसी प्रकार सक्षम है जैसे छतीसगढ़ अपनी सरकार भी चला रहा है और अपनी बोली, भाषा, संस्कृति को भी भरपूर सम्बल दिया है।
सतना से रीवा जिले के बीच 50 किलोमीटर लम्बे और 10किलोमीटर चौड़े क्षेत्र में सीमेंट पत्थर का अक्षय भंडार है जहां फैक्ट्रियों का संजाल है। पर उस बेश कीमती पत्थर को कौंन निकाल रहा है? किस सौदेबाजी से निकाल रहा है, विन्ध्य वासियों को नही मालूम? परन्तु प्रदूषण का दण्ड अवश्य भोग रहे हैं। 
         इसलिए अब तो ऐसा लग रहा है कि प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए भी विन्ध्य प्रदेश को पुनः एक अलग राज्य बनाने की आवश्यकता है।

आज की बात

हेडलाइंस

अच्छी खबर

शर्मनाक

भारत

दुनिया