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हॉट टोपिक
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Added on : 2023-05-29 08:41:34

हर भारतीय के लिए दो दिन पहले एक गर्व का दिन था,लेकिन नए संसद भवन पर उठे विवाद ने हिंदुस्तान के लिए इस गर्व के दिन को भुला दिया ।  छब्बीस मई 1928 को भारतीय हाकी टीम ने ध्यानचंद की जादू भरी हाकी के बदौलत मेजबान हॉलैंड को फाइनल मैच में 3_0 से परास्त करते हुए ओलंपिक हाकी का प्रथम  स्वर्ण पदक जीतकर गुलामी के उस दौर में खुशी के इतराने  के पल उपलब्ध कराए थे । फाइनल मैच में 103 डिग्री बुखार  में ध्यानचंद से जब टीम मैनेजर ने पूछा ध्यानचंद तुमको तेज   बुखार है  क्या करोगे सर मै एक सैनिक हूं और  जब मेरे देश को मेरी सेवाओं की आवश्यकता हो तो  मुझे कर्त्तव्य पथ पर जाना होगा और यह कहते ध्यानचंद अपने जूते  को कसते हुए मैदान में उतर पड़े । इसके बाद सारी दुनिया ने ध्यानचंद की जादू भरी हाकी  को  देखा और हाकी का खेल दुनिया में दीवानगी को छुने लगा। जिस हाकी को देखने पहले मैच में सिर्फ 200 _250  दर्शक उपस्थित हो रहें थे फाइनल मैच में 25000 से अधिक   दर्शक  उपस्थित थे । एस्टरडम में उस दिन  जो भी कार टैक्सी  निकलती उसका    स्टयरिंग हाकी   स्टेडियम की ओर घूम जाता था । भारतीय हाकी टीम को ओलम्पिक में भेजने के लिए धन का अभाव था  तब उस समय की  120 सैनिक  यूनिट्स  के सैनिकों ने भारतीय हाकी टीम को ओलम्पिक में भेजने के लिए अपना आर्थिक योगदान दिया था। कल उसी ऐतिहासिक विजय का दिन था । याद करते हैं  आज़ादी के अमृतकाल में , 95 वर्ष पूर्व  मिली उस विजय को  जिस पर हर भारतीय को गर्व हैं, याद करे हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की उस जादू भरी हाकी कला  को जिसने भारत को गुलामी के दौर में विकट परिस्थिति में इस चमकदार ओलंपिक विजय का हकदार बनाया उस महान टीम के प्रत्येक महान खिलाड़ी को  याद करे कप्तान जय पाल सिंह मुंडा को याद करे  जिनकी अथक मेहनत से भारतीय हाकी  ने अपने जीत का सफर तय किया। मेजर ध्यानचंद की सेवाओं को देश नमन करता है ।

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