रवींद्र कैलासिया
मध्य प्रदेश में कांग्रेस हाईकमान कुछ समय बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी बड़े नेताओं को साधकर उनकी नाराजगी नहीं लेना चाह रहा है। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के पर्यवेक्षक बनाए जाते समय मध्य प्रदेश के जिन नेताओं को शामिल किया गया है, उनमें कमलनाथ-दिग्विजय दोनों के समर्थक शामिल हैं तो प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल ने भी अपनी तरफ से एक सिफारिश की। पढ़िये किन नेताओं को किस तरह के गणित से पर्यवेक्षक जिम्मेदारी दी गई।
मध्य प्रदेश में अक्टूबर नवंबर में चुनाव हो सकते हैं जिसे देखते हुए यहां अभी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी किसी भी तरह का यह संदेश नहीं देना चाहती कि उसकी पसंद-नापसंद क्या है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए हाईकमान ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के तीन नेताओं को पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी है। इनमें बाला बच्चन, जीतू पटवारी और उमंग सिंघार है जो कमलनाथ सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
बाला बच्चन कमलनाथ समर्थक
बाला बच्चन निर्विवाद रूप से कमलनाथ समर्थक हैं जो विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष भी रहे और कमलनाथ सरकार में गृह मंत्री बनाए गए। उन्हें कमलनाथ ने जब पार्टी में कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने का विचार आया तो चार में से एक बाला बच्चन ही थे। बाला बच्चन एआईसीसी में सचिव भी रह चुके हैं।
दिग्विजय समर्थक माने जाते हैं जीतू पटवारी
जीतेंद्र जीतू पटवारी, दिग्विजय सिंह समर्थक माने जाते हैं और इन दिनों वे कमलनाथ की पसंद नहीं माने जा रहे हैं। विधानसभा में उन्हें बजट सत्र में सदन के भीतर की गई एक टिप्पणी के लिए सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिए जाने के मुद्दे पर कांग्रेस ने विधानसभा में किसी भी रूप में नहीं उठाया जिससे वे सत्र समाप्ति तक निलंबित ही रहे।
विवादों के बाद भी हाईकमान की पसंद उमंग सिंघार
मध्य प्रदेश में दबंग नेता उमंग सिंघार आज भी हाईकमान की पसंद है। पिछले दिनों एक अपराधिक प्रकरण में फंस जाने के बाद बड़े नेताओं की वजह से अग्रिम जमानत में दिक्कतों का सामना करने वाले सिंघार को लेकर यह कहा जा रहा है कि उनके लिए प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल ने भी सिफारिश की थी। कहा जा रहा है कि सिंघार ने कमलनाथ सरकार में मंत्री रहते हुए दिग्विजय सिंह के खिलाफ जिस तरह मोर्चा खोला था, उससे हाईकमान भी आज तक प्रभावित है।