वे बोलने-सुनने में भले ही दिव्यांग हैं, मगर अपनी बात कहने के मोहताज नहीं। उनके इशारे ही बोलते हैं। तूलिका के जरिए कागज पर वे जब वे अपनी भावनाएं उकेरते हैं तो एक-एक चित्रण उनकी संवेदनाओं को आवाज देता है। विजय नगर स्थित संकेत राजकीय मूक बधिर विद्यालय में दिव्यांगता और हुनर का ये अनूठा संगम देखने को मिलता है। यहां पर 146 दिव्यांग छात्र-छात्राएं हैं। कलम से काबिल तो इन्हें बनाया ही जा रहा है। आपस में बातचीत करनी हो या औरों से, संकेत और होठों की आकृति ही इनकी जुबां बनते हैं। विद्यालय की प्रधानाचार्य ममता सिंह बताती हैं कि बच्चों को स्कूल में साइन लैंग्वेज में बातचीत सिखाई जाती है।
वे बोलने-सुनने में भले ही दिव्यांग हैं, मगर अपनी बात कहने के मोहताज नहीं। उनके इशारे ही बोलते हैं। तूलिका के जरिए कागज पर वे जब वे अपनी भावनाएं उकेरते हैं तो एक-एक चित्रण उनकी संवेदनाओं को आवाज देता है। विजय नगर स्थित संकेत राजकीय मूक बधिर विद्यालय में दिव्यांगता और हुनर का ये अनूठा संगम देखने को मिलता है। यहां पर 146 दिव्यांग छात्र-छात्राएं हैं। कलम से काबिल तो इन्हें बनाया ही जा रहा है। आपस में बातचीत करनी हो या औरों से, संकेत और होठों की आकृति ही इनकी जुबां बनते हैं। विद्यालय की प्रधानाचार्य ममता सिंह बताती हैं कि बच्चों को स्कूल में साइन लैंग्वेज में बातचीत सिखाई जाती है।