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हॉट टोपिक
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Added on : 2019-07-05 07:57:49

पूर्व आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल का कहना है कि पिछले कुछ समय में बैंकों ने बहुत ज्यादा कर्जा दिया। इस दौरान सरकार ने अपना काम ठीक से नहीं निभाया। सरकार के मुताबिक बैंकिंग रेगुलेटर को कुछ कदम बहुत पहले उठाना चाहिए थे।

बुधवार को पटेल ने स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक कार्यक्रम में भारतीय बैंकिंग सेक्टर को लेकर कुछ चिंताएं जाहिर कीं। उन्होंने प्रेजेंटेशन में कहा- हम यहां कैसे आए? हर तरफ इल्जाम लगाने का खेल चल रहा है। 2014 के पहले भी सभी हिस्सेदार अपनी भूमिका निभाने में असमर्थ रहे। बैंक, रेगुलेटर और सरकार।

दरअसल, उर्जित पटेल ने 10 दिसंबर को सरकार से मतभेद के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। पटेल के मुताबिक 2014 के पहले भी सरकार, बैंकिंग रेगुलेटर और बैंकों ने अपना काम ठीक से नहीं किया था। वर्तमान पूंजी को बढ़ा-चढ़ाकर बता देने मात्र से इस बड़े संकट से नहीं निपटा जा सकता है।

2014 के बाद भी यह आसानी से देखा जा सकता है कि रघुराम राजन के चार्ज लेने के बाद आरबीआई ने संपत्तियों का गुणवत्ता मूल्यांकन करना शुरू किया। इसके बाद यह पता लगा कि सिस्टम में गहरा दबाव छिपा हुआ है। इसका हल बैंक्रप्टसी लॉ के जरिए ही किया जा सकता है।

पटेल ने पांच साल से ज्यादा का वक्त रिजर्व बैंक में बिताया। इस दौरान वे डिप्टी गर्वनर भी रहे। उन्हें चुनौतियों के दौर में भी मैदान में खड़े रहने के लिए कहा गया। पटेल के मुताबिक, बैंकों को चाहिए कि वे समस्याओं से निजात पाने के लिए पुराने रास्ते पर लौटने से बचें।

पटेल ने कहा- शॉर्टकट्स या समस्याओं को कारपेट के नीचे डाल देने मात्र से बात नहीं बनने वाली है। भविष्य में निवेश को बढ़ाने से स्थितियां सुधर सकेंगी। संपत्तियों का मूल्यांकन नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए अनिवार्य है, वे भी आर्थिक निकाय का हिस्सा हैं।

पूर्व आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल का कहना है कि पिछले कुछ समय में बैंकों ने बहुत ज्यादा कर्जा दिया। इस दौरान सरकार ने अपना काम ठीक से नहीं निभाया। सरकार के मुताबिक बैंकिंग रेगुलेटर को कुछ कदम बहुत पहले उठाना चाहिए थे।

बुधवार को पटेल ने स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक कार्यक्रम में भारतीय बैंकिंग सेक्टर को लेकर कुछ चिंताएं जाहिर कीं। उन्होंने प्रेजेंटेशन में कहा- हम यहां कैसे आए? हर तरफ इल्जाम लगाने का खेल चल रहा है। 2014 के पहले भी सभी हिस्सेदार अपनी भूमिका निभाने में असमर्थ रहे। बैंक, रेगुलेटर और सरकार।

दरअसल, उर्जित पटेल ने 10 दिसंबर को सरकार से मतभेद के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। पटेल के मुताबिक 2014 के पहले भी सरकार, बैंकिंग रेगुलेटर और बैंकों ने अपना काम ठीक से नहीं किया था। वर्तमान पूंजी को बढ़ा-चढ़ाकर बता देने मात्र से इस बड़े संकट से नहीं निपटा जा सकता है।

2014 के बाद भी यह आसानी से देखा जा सकता है कि रघुराम राजन के चार्ज लेने के बाद आरबीआई ने संपत्तियों का गुणवत्ता मूल्यांकन करना शुरू किया। इसके बाद यह पता लगा कि सिस्टम में गहरा दबाव छिपा हुआ है। इसका हल बैंक्रप्टसी लॉ के जरिए ही किया जा सकता है।

पटेल ने पांच साल से ज्यादा का वक्त रिजर्व बैंक में बिताया। इस दौरान वे डिप्टी गर्वनर भी रहे। उन्हें चुनौतियों के दौर में भी मैदान में खड़े रहने के लिए कहा गया। पटेल के मुताबिक, बैंकों को चाहिए कि वे समस्याओं से निजात पाने के लिए पुराने रास्ते पर लौटने से बचें।

पटेल ने कहा- शॉर्टकट्स या समस्याओं को कारपेट के नीचे डाल देने मात्र से बात नहीं बनने वाली है। भविष्य में निवेश को बढ़ाने से स्थितियां सुधर सकेंगी। संपत्तियों का मूल्यांकन नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए अनिवार्य है, वे भी आर्थिक निकाय का हिस्सा हैं।

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