बिहार की राजनीति में कद्दावर शख्सियत शरद यादव एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं. इस बार शरद यादव के लिए हालात पूरी तरह बदले हुए हैं. वक्त ने कुछ ऐसी करवट ली कि कभी पार्टी में नंबर एक की हैसियत रखने वाले शरद यादव को जेडीयू से ही बेदखल होना पड़ा. जेडीयू से अलग होने के बाद उन्होंने पिछले साल मई में अलग पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल बना ली. जेडीयू से शरद जितना दूर हुए, उतने ही आरजेडी के करीब हो गए. अब शरद यादव आरजेडी के चुनाव चिन्ह पर मधेपुरा सीट से फिर मैदान में हैं.
शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में एक गांव में किसान परिवार में हुआ. शरद यादव की पढ़ाई के समय से ही राजनीति में दिलचस्पी रही. 1971 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज, जबलपुर मध्यप्रदेश में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. छात्र राजनीति के साथ वह पढ़ाई में भी अव्वल रहे. उन्होंने B.E. (सिविल) में गोल्ड मेडल जीता था.
बिहार की राजनीति में कद्दावर शख्सियत शरद यादव एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं. इस बार शरद यादव के लिए हालात पूरी तरह बदले हुए हैं. वक्त ने कुछ ऐसी करवट ली कि कभी पार्टी में नंबर एक की हैसियत रखने वाले शरद यादव को जेडीयू से ही बेदखल होना पड़ा. जेडीयू से अलग होने के बाद उन्होंने पिछले साल मई में अलग पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल बना ली. जेडीयू से शरद जितना दूर हुए, उतने ही आरजेडी के करीब हो गए. अब शरद यादव आरजेडी के चुनाव चिन्ह पर मधेपुरा सीट से फिर मैदान में हैं.
शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में एक गांव में किसान परिवार में हुआ. शरद यादव की पढ़ाई के समय से ही राजनीति में दिलचस्पी रही. 1971 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज, जबलपुर मध्यप्रदेश में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. छात्र राजनीति के साथ वह पढ़ाई में भी अव्वल रहे. उन्होंने B.E. (सिविल) में गोल्ड मेडल जीता था.