अरुण दीक्षित
28मई को उज्जैन के महा काल मंदिर परिसर में हवा के झोंकों ने जो गुस्ताखी की, उसने दुनियां के कोने कोने में रह रहे हिंदुओं को भारी दुख पहुंचाया है।दुख की मूल वजह है उनकी आस्था पर चोट!प्रवासी भारतीयों को यह यकीन ही नहीं हो रहा है कि बीजेपी की सरकार में,भगवान शिव के मंदिर परिसर में,इतनी बड़ी चूक हो सकती है।उससे भी ज्यादा दुख इस बात का है कि इस परियोजना से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी नाम जुड़ा है।सिर्फ साढ़े सात महीने पहले महाकाल के महालोक के पहले चरण का उद्घाटन उन्होंने ही किया था।अब यह गलत कारण की वजह से पूरी दुनियां में चर्चा का विषय बनी हुई है।
इस "हादसे" से खुद प्रधानमंत्री भी खुश नही बताए गए हैं।दिल्ली में ऊंची पहुंच वाले सूत्रों के मुताबिक पीएम ने अपने "सूत्रों" से इस परियोजना की पूरी जानकारी मंगाई है।वे जानना चाहते हैं कि इस हादसे के लिए वास्तव में सिर्फ "हवाएं" ही दोषी हैं या फिर बेजुबान हवाओं की "आड़" ली जा रही है?
संस्कृति मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक उज्जैन के घटनाक्रम पर पीएमओ की पूरी नजर है। महालोक परियोजना की पूरी जानकारी निकाली जा रही है।
उल्लेखनीय है कि उज्जैन के महाकाल मंदिर के विस्तारीकरण और सुंदरीकरण से जुड़ी इस परियोजना पर मध्यप्रदेश सरकार 1150 करोड़ से भी ज्यादा की राशि खर्च कर रही है।पीएम ने जिस पहले चरण का उद्घाटन किया था उस पर करीब 350 करोड़ की राशि खर्च हुई थी।दूसरे चरण पर करीब 800 करोड़ खर्च होने हैं।इस चरण को जून 2023 तक पूरा किया जाना है।इसका उद्घाटन भी ,विधानसभा चुनाव से पहले,प्रधानमंत्री जी से ही कराने की योजना है।
लेकिन एक आंधी ने सब गुड़ गोबर कर दिया!नाराजगी की सबसे बड़ी वजह वह दिन है,जिस दिन यह घटना हुई।उस दिन प्रधानमंत्री ने दिल्ली में संसद के नए भवन का उद्घाटन किया था।लेकिन दिल्ली में पहलवान लड़कियों और उज्जैन में महाकाल के महालोक में हुई इस घटना ने उस पर पानी फेर दिया। संसद की नई इमारत पर हवा की वजह से गिरी मूर्तियां "हावी" हो गईं।
सूत्रों के मुताबिक दुनियां भर में देश की छवि बदलने की जीतोड़ कोशिश कर रहे पीएम इस बात से ज्यादा नाखुश हैं कि यह खबर पूरी दुनियां में फैली और इसके चलते लोगों के मन को "दुख" पहुंचा!इसके चलते उनकी खुद की और देश की छवि को धक्का लगा है।
सूत्रों के मुताबिक अब एमपी की सभी धार्मिक परियोजनाओं की समीक्षा कराई जाएगी।साथ ही यह भी देखा जायेगा कि भगवान के नाम पर जो खर्च हो रहा है उसमें कोई और तो "भोग" नही लगा रहा है।
उधर उज्जैन की इस घटना ने अयोध्या पर भी सवालिया निशान लगाया है।क्योंकि वहां तो ऐतिहासिक राम मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है।यहां पीएम ने उद्घाटन किया था तो वहां तो शिलान्यास उनके ही कर कमलों से हुआ है।अयोध्या परियोजना तो कई हजार करोड़ की है।अयोध्या में भी जमीनों की खरीद फरोख्त को लेकर सवाल उठ चुके हैं।
ऐसे में अगर कल को कुछ गड़बड़ हुई तो न केवल देश के भीतर विरोधियों को मौका मिलेगा बल्कि दुनियां भर में फैले उन हिंदुओं का दिल भी टूट जायेगा जिन्होंने बड़ी उम्मीद से अपनी गाढ़ी कमाई से "सहयोग" किया है।
सूत्रों के मुताबिक पीएमओ अपने स्तर पर हर जानकारी जुटा रहा है।संभव है कि राज्य सरकार से सफाई भी मांगी जाए।
उधर उज्जैन में भी संत समाज काफी नाराज़ है।कुछ संतों ने महालोक पर पहले ही सवाल उठाए थे।उनका कहना था कि सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए हजारों साल पहले बने ऐतिहासिक मंदिर के परिसर से छेड़छाड़ उचित नहीं है।खासतौर पर ज्योतिर्लिंग के क्षेत्र में बड़ी बड़ी प्रतिमाएं लगाना तो महाकाल का अपमान ही होगा।
सवाल इस मामले में "गुजरात" का नाम आने को लेकर भी है।कांग्रेस ने जो सवाल उठाया है वह सीधा पीएम की ओर जाता है। ठेका लेने वाली सूरत की कंपनी का भले ही पीएम से कोई संबंध न हो पर गुजरात कनेक्शन तो है ही।पता इस बात का भी लगाया जा रहा है कि इसके पीछे कोई विभीषण तो नही है।
इस बीच ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य के नाम पर बन रहे "अध्यात्मलोक एकांतधाम" पर भी सवाल उठ रहे हैं।2100 करोड़ की यह परियोजना ओंकारेश्वर पर्वत को काटकर बनाई जा रही है।पर्वत पर 28 एकड़ जमीन पर विशाल अध्यात्मलोक बन रहा है।संतों का मानना है कि इसका असर ओंकारेश्वर मंदिर पर पड़ेगा।
फिलहाल महाकाल चौतरफा चर्चा में है।मध्यप्रदेश सरकार कुछ बोली नहीं है।सूत्रों का कहना है कि नाखुश दिल्ली जल्दी ही कोई फैसला कर सकती है।