पुलवामा हमले के बाद जम्मू कश्मीर में इन दिनों तमाम चर्चाएं जोरों पर है और जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने सशत्रबलों की 100 कंपनियां तैनात की थी। इस बीच जम्मू कश्मीर प्रशासन ने साफ किया है कि अनुच्छेद 35ए में बदलाव किए जाने संबंधी मुद्दे पर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। यानि इस अनुच्छेद को हटाना मुमिकन नहीं लग रहा है।
इस अनुच्छेद के तहत जम्मू-कश्मीर सरकार राज्य के नागरिकों को पूर्ण नागरिकता प्रदान करती है। राज्य के बाहर का कोई भी व्यक्ति यहां किसी प्रकार की संपत्ति नहीं खरीद सकता है। यहां की महिला से शादी के बाद उसकी संपत्ति पर अपना हक भी नहीं जमा सकता है। ये राज्य के लोगों को विशेष दर्जा देती है। इस कानून को लेकर पिछले लंबे समय से विवाद है और इस पर कई तरह की बयानबाजियां होती रही हैं। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार शीघ्र ही इस कानून पर सुनवाई चाहती है। प्रशासन ने साफ किया है कि हालांकि निर्वाचित सरकार ही इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रख पाएगी। अनुच्छेद 35ए की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में इसी हफ्ते सुनवाई हो सकती है। माना जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार अध्यादेश के जरिए इस कानून में बदलाव कर सकती है।
जम्मू कश्मीर प्रशासन के मुख्य प्रवक्ता वरिष्ठ अधिकारी रोहित कंसल ने कहा कि अनुच्छेद 35ए पर सुनवाई टालने के अनुरोध पर राज्य सरकार का रुख वैसा ही है जैसा 11 फरवरी को अनुरोध किया गया था। उनसे पूछा गया था कि क्या इस विवादास्पद मुद्दे पर राज्यपाल प्रशासन के रुख में कोई बदलाव आया है।
जम्मू-कश्मीर सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से अनुच्छेद 35ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आगामी सुनवाई को स्थगित करने के लिए सभी पक्षों के बीच एक पत्र वितरित करने के लिए अनुमति मांगी थी। उन्होंने कहा कि राज्य में कोई निर्वाचित सरकार नहीं है। इस दौरान कंसल ने जम्मू-कश्मीर की जनता से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और निराधार सूचनाओं से परेशान न हों। उन्होंने कहा कि आधी-अधूरी और अपुष्ट सूचनाओं के आधार पर लोग घबराहट पैदा नहीं करें। शांत बने रहें। इनमें से अधिकतर सूचनाएं निराधार हैं।
पुलवामा हमले के बाद जम्मू कश्मीर में इन दिनों तमाम चर्चाएं जोरों पर है और जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने सशत्रबलों की 100 कंपनियां तैनात की थी। इस बीच जम्मू कश्मीर प्रशासन ने साफ किया है कि अनुच्छेद 35ए में बदलाव किए जाने संबंधी मुद्दे पर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। यानि इस अनुच्छेद को हटाना मुमिकन नहीं लग रहा है।
इस अनुच्छेद के तहत जम्मू-कश्मीर सरकार राज्य के नागरिकों को पूर्ण नागरिकता प्रदान करती है। राज्य के बाहर का कोई भी व्यक्ति यहां किसी प्रकार की संपत्ति नहीं खरीद सकता है। यहां की महिला से शादी के बाद उसकी संपत्ति पर अपना हक भी नहीं जमा सकता है। ये राज्य के लोगों को विशेष दर्जा देती है। इस कानून को लेकर पिछले लंबे समय से विवाद है और इस पर कई तरह की बयानबाजियां होती रही हैं। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार शीघ्र ही इस कानून पर सुनवाई चाहती है। प्रशासन ने साफ किया है कि हालांकि निर्वाचित सरकार ही इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रख पाएगी। अनुच्छेद 35ए की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में इसी हफ्ते सुनवाई हो सकती है। माना जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार अध्यादेश के जरिए इस कानून में बदलाव कर सकती है।
जम्मू कश्मीर प्रशासन के मुख्य प्रवक्ता वरिष्ठ अधिकारी रोहित कंसल ने कहा कि अनुच्छेद 35ए पर सुनवाई टालने के अनुरोध पर राज्य सरकार का रुख वैसा ही है जैसा 11 फरवरी को अनुरोध किया गया था। उनसे पूछा गया था कि क्या इस विवादास्पद मुद्दे पर राज्यपाल प्रशासन के रुख में कोई बदलाव आया है।
जम्मू-कश्मीर सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से अनुच्छेद 35ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आगामी सुनवाई को स्थगित करने के लिए सभी पक्षों के बीच एक पत्र वितरित करने के लिए अनुमति मांगी थी। उन्होंने कहा कि राज्य में कोई निर्वाचित सरकार नहीं है। इस दौरान कंसल ने जम्मू-कश्मीर की जनता से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और निराधार सूचनाओं से परेशान न हों। उन्होंने कहा कि आधी-अधूरी और अपुष्ट सूचनाओं के आधार पर लोग घबराहट पैदा नहीं करें। शांत बने रहें। इनमें से अधिकतर सूचनाएं निराधार हैं।