राकेश ओमप्रकाश मेहरा सिर्फ टॉइलट्स की कमी पर फिल्म नहीं बना रहे हैं, बल्कि वह उन झुग्गियों में शौचालय बनवा भी रहे हैं जहां वह शूट कर रहे हैं। राकेश ओमप्रकाश मेहरा अपनी अगली फिल्म 'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर' घाटकोपर की एक झुग्गी में शूट कर रहे हैं।
उन्हें सिटी सिविक बॉडी BMC से वहां 20 टॉइलट बनाने की अनुमति मिल गई है। इनमें 5 पुरुषों के और 5 महिलाओं के टॉइलट्स अलग से बनवाए जाएंगे। वह एक कम्युनिटी टॉइलट का भी पुनर्निर्माण करवाएंगे जहां वह शूट कर रहे हैं। इस टॉइलट से करीब 1000 परिवारों का फायदा होगा। राकेश ने युवा अनस्टॉपेबल नाम के एक NGO के साथ हाथ मिलाया है और पिछले चार सालों से टॉइलट्स बनवाकर झुग्गी वासियों की मदद कर रहे हैं। जब उनसे इस बारे में बात की गई तो उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि उनका योगदान 'सागर में बूंद' बराबर भी नहीं है। राकेश ने कहा, 'हम टॉइलट्स बनवाकर काम खत्म नहीं कर देते बल्कि सुनिश्चित करते हैं कि लोकल लोग उनकी देखभाल करें। वह अब तक 800 से ज्यादा टॉइलट बनवा चुके हैं।
राकेश ओमप्रकाश मेहरा सिर्फ टॉइलट्स की कमी पर फिल्म नहीं बना रहे हैं, बल्कि वह उन झुग्गियों में शौचालय बनवा भी रहे हैं जहां वह शूट कर रहे हैं। राकेश ओमप्रकाश मेहरा अपनी अगली फिल्म 'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर' घाटकोपर की एक झुग्गी में शूट कर रहे हैं।
उन्हें सिटी सिविक बॉडी BMC से वहां 20 टॉइलट बनाने की अनुमति मिल गई है। इनमें 5 पुरुषों के और 5 महिलाओं के टॉइलट्स अलग से बनवाए जाएंगे। वह एक कम्युनिटी टॉइलट का भी पुनर्निर्माण करवाएंगे जहां वह शूट कर रहे हैं। इस टॉइलट से करीब 1000 परिवारों का फायदा होगा। राकेश ने युवा अनस्टॉपेबल नाम के एक NGO के साथ हाथ मिलाया है और पिछले चार सालों से टॉइलट्स बनवाकर झुग्गी वासियों की मदद कर रहे हैं। जब उनसे इस बारे में बात की गई तो उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि उनका योगदान 'सागर में बूंद' बराबर भी नहीं है। राकेश ने कहा, 'हम टॉइलट्स बनवाकर काम खत्म नहीं कर देते बल्कि सुनिश्चित करते हैं कि लोकल लोग उनकी देखभाल करें। वह अब तक 800 से ज्यादा टॉइलट बनवा चुके हैं।