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Added on : 2025-04-13 14:06:11

गांधी भवन में कस्तूरबा जयंती पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम हुआ । शुरुआत गांधी भवन कार्यकर्ताओं की सामूहिक सर्वधर्म प्रार्थना से हुई. सचिव दयाराम नामदेव ने अतिथियों का स्वागत सूतमाला एवं विनोबा की पुस्तक स्त्री शक्ति से किया. उन्होंने बा के जीवन प्रसंगों को साझा किया. मुख्य वक्ता के तौर पर बात रखते हुए केनरा बैंक की प्रबंधक और गांधीवादी चिंतक रवीना मिश्रा ने कहा कि महिला और पुरुष एक दूसरे के विपरीत नहीं, बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं. यदि हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तब भी पुरुष व महिला मिलकर ही समाज की जननी के स्रोत हैं. उन्होंने बा के जीवन प्रसंगों को साझा करते हुए उनके त्याग पर कुछ काव्य पंक्तियां प्रस्तुत की.

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि एवं मध्य प्रदेश गांधी स्मारक निधि की सचिव दमयंती पाणी ने कहा कि बा का जीवन बहुत प्रेरणा देता है. उनका जीवन महिलाओं को आदर्श के रूप में प्रेरित करता है. दक्षिण अफ्रीका के स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान विदेशी धरती पर बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि महिलाओं को हक देना उसी तरह जरूरी है जिस तरह उन्हें घर के कामों की जिम्मेदारी दे दी जाती है.

गांधी भवन न्यास के कोषाध्यक्ष वरिष्ठ लेखक एवं फिल्मकार राजेश बादल ने कहा कि बा का साहस, बापू में आ गया और बापू का सत्याग्रह बा में समाहित था. महात्मा की कल्पना बा के बिना संभव नहीं है. उन्होंने इस अवसर पर बताया कि आज से हमने आसरा वृद्धजन सेवा आश्रम में पुस्तकालय की शुरुआत की है. आप इस पुस्तकालय में बुजुर्गों की सेहत, मनोरंजन के साथ धार्मिक व नैतिक मूल्यों पर आधारित साहित्य दान दे सकते हैं. इस अवसर पर उन्होंने आसरा वृद्धजन सेवा आश्रम की प्रबंधक समीना मसीह को बा-बापू पुस्तक भेंट की.

गांधी भवन न्यास के वरिष्ठ न्यासी बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र के प्रमुख महेश सक्सेना ने कहा कि बापू के नेपथ्य में बा की शक्ति थी. वे हमेशा बापू की शक्ति बनकर हमेशा खड़ी रही. उनका व्यक्तित्व, निर्भीकता व आश्रम में सहयोग की भावना महिलाओं को हमेशा सशक्त करता है. किसी भी परिवार में टकराव तब होता है, जब महिलाएं सोचने लगती हैं कि मैं भी कोई चीज हूं.

वरिष्ठ संपादक एवं लेखक सुधीर सक्सेना ने कहा कि बा का होना बापू के लिए एक संकल्प शक्ति से कम नहीं था. वह उनकी पत्नी नहीं बल्कि साहचर्य थी, जो हर मोर्चे पर गांधी के साथ डटकर खड़ी रहती थीं.अधिवक्ता उर्मिला अहिरवार ने कहा कि आज हमें खामोश आवाज को उठाने के लिए बा की इच्छा शक्ति का सहारा लेना होगा. 

 वृद्ध जन सेवा आश्रम की प्रबंधक समीना मसीह ने कहा कि बा की तरह आज की महिलाएं भी सब कुछ कर सकती हैं । हमें अपनी शक्ति पहचान कर उसे व्यवहार में उतारना होगा. 

कार्यक्रम में अध्यक्षीय संबोधन में पूर्व अपर आयुक्त गांधीवादी चिंतक व लेखक राजेश बहुगुणा ने कहा कि साधारण सी बा के काम ही उन्हें असाधारण बनाते हैं. महात्मा गांधी को उन्होंने फॉलो नहीं किया ,जब तक वह स्वयं उन विचारों से कन्वेंस नहीं हो गई. एक मां के रूप में वह स्वयं के बच्चों को पालते हुए धीरे-धीरे दक्षिण अफ्रीका में सभी बच्चों को पालने लगती हैं और देश के बच्चों की मां बन जाती हैं. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में 250 बच्चों को प्रशिक्षित किया तथा स्वास्थ्य सेवाएं दी. उनके त्याग व स्वतंत्रता आंदोलन में समर्पण के किस्से अदभुत हैं. बापू ने कहा था कि इस अनपढ़ महिला ने मेरे सभी व्रतों को पूर्ण कराया है तथा जिसे मैं सच्ची शिक्षा मानता हूं उसका आदर्श कस्तूरबा हैं. कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ सर्वोदय नेत्री भगवती नामदेव भी उपस्थित रहीं. 

 कार्यक्रम का संचालन युवा गाँधी विचारक भगवती कड़वे ने किया. आभार प्रदर्शन युवा गाँधी विचारक अनामिका नामदेव ने करते हुए अतिथियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की. कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता अफरोज जहां, अंजू, वरिष्ठ गांधीवादी कैलाश आदमी, अनुपमा नामदेव, शिवाशीष तिवारी, मोहन दीक्षित, संदीप धुर्वे, अरुण सक्सेना, शिवकांत त्रिपाठी, अंजुमन, शबाना, अंकित मिश्रा, सुनील शेट्टी, सुनील मालवीय, पवन दुबे, सुभाष, मुकेश, वीरेंद्र, चिमन, गुड्डू, अलीम सहित अनेक लोग उपस्थित रहे.

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