प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में हास्य कवि काका हाथरसी की कविता 'परंपरा से ऊंचे उठ कर, कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ' का ज़िक्र किया. काका हाथरसी ने कविता में लिखा था, "प्रकृति बदलती क्षण-क्षण देखो, बदल रहे अणु, कण-कण देखो...तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो, भाग्य वाद पर अड़े हुए हो...छोड़ो मित्र! पुरानी डफली, जीवन में परिवर्तन लाओ."
पड़ोसी देश के अल्पसंख्यकों को लेकर पीड़ा क्यों नहीं- मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं पर हमला बोला और कहा कि इन्हें अल्पसंख्यक शब्द से बहुत प्यार है लेकिन ये प्यार इन्हें पड़ोसी देश के अल्पसंख्यकों से क्यों नहीं है. वहां के अल्पसंख्यकों को लेकर उन्हें पीड़ा क्यों नहीं हो रही है. प्रधानमंत्री ने सदन में लाल बहादुर शास्त्री, राम मनोहर लोहिया और बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि इन्होंने पड़ोसी देशों के हिन्दुओं के कल्याण की बात कही थी तो क्या इन्हें भी साम्प्रदायिक कहा जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में हास्य कवि काका हाथरसी की कविता 'परंपरा से ऊंचे उठ कर, कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ' का ज़िक्र किया. काका हाथरसी ने कविता में लिखा था, "प्रकृति बदलती क्षण-क्षण देखो, बदल रहे अणु, कण-कण देखो...तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो, भाग्य वाद पर अड़े हुए हो...छोड़ो मित्र! पुरानी डफली, जीवन में परिवर्तन लाओ."
पड़ोसी देश के अल्पसंख्यकों को लेकर पीड़ा क्यों नहीं- मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं पर हमला बोला और कहा कि इन्हें अल्पसंख्यक शब्द से बहुत प्यार है लेकिन ये प्यार इन्हें पड़ोसी देश के अल्पसंख्यकों से क्यों नहीं है. वहां के अल्पसंख्यकों को लेकर उन्हें पीड़ा क्यों नहीं हो रही है. प्रधानमंत्री ने सदन में लाल बहादुर शास्त्री, राम मनोहर लोहिया और बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि इन्होंने पड़ोसी देशों के हिन्दुओं के कल्याण की बात कही थी तो क्या इन्हें भी साम्प्रदायिक कहा जाएगा.