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Added on : 2023-07-14 11:21:04

शुभम बघेल

शहडोल. संभाग में कुपोषण से बच्चे दम तोड़ रहे हैं। गांव-गांव एनीमिया का दंश है। इसके बावजूद लचर स्वास्थ्य सिस्टम है। मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग में पदस्थ दो सहायक प्राध्यापकों के भरोसे अध्यापन के साथ ही एसएनसीयू व पीआईसीयू की निगरानी का जिम्मा है। समुचित संसाधन व स्टॉफ के अभाव में एसएनसीयू व पीआईसीयू के समुचित संचालन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन आवश्यक संसाधन व पदों की स्वीकृति के लिए जनवरी 2022 से एनएचएम को पत्राचार कर रहा है। जिसमें प्रबंधन ने एसएनसीयू व पीआईसीयू में पीजीएमओ या एसआर की पदस्थापना की मांग की है। प्रबंधन की मांग पर एनएचएम ने अब तक अमल नहीं किया है। प्रबंधन ने मांगपत्र में मेडिकल कॉलेज के एसएनसीूय व पीआईसीयू वार्ड में स्वीकृत बेड व भर्ती हो रहे नवजात शिशुओं की स्थिति से भी वाकिफ कराया था। 
मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विभाग के साथ ही प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में भी स्टॉफ की कमी बनी हुई है। यहां गंभीर अवस्था में प्रसूता रेफर होकर आती है। इसके लिए 24 घंटे विशेषज्ञ चिकित्सकों की आवश्यकता होती है। मेडिकल कॉलेज के प्रसूती रोग विभाग के लिए एक प्राध्यापक, एक सह प्राध्यापक व दो सहायक प्राध्यापक के पद स्वीकृत हैं। जिनमें से वर्तमान में 1 सह प्राध्यापक और 2 सहायक प्राध्यापक ही सेवा दे रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में दो ही एसआर के पद स्वीकृत हैं। प्रसूती एवं स्त्री रोग विभाग में हर माह लगभग 130-150 सामान्य प्रसव एवं 220-250 सीजर हो रहे हैं। इसके लिए 24 घंटे विशेषज्ञ चिकित्सक की आवश्यकता होती है। विभाग में इतने पद स्वीकृत नहीं है कि 24 घंटे सेवाएं उपलब्ध कराई जा सके। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने 6 पीजीएमओ के पद स्वीकृत करने की मांग की है। हालांकि अभी तक एनएचएम से इस पर भी कोई अमल नहीं हुआ है।
मेडिकल कॉलेज के एस एन सी यू व पीआई सी यू वार्ड में क्षमता से ज्यादा बच्चे भर्ती हो रहे है। वर्तमान में 20 बेड के एसएनसीयू में 50 से ज्यादा नवजात व 10 बेड के पीआईसीयू में 16 से ज्यादा बच्चे इलाजरत हैं। ऐसे में यहां पदस्थ स्टाफ पर दिन प्रतिदिन दबाव बढ़ता ही जा रही है। शिशु रोग विभाग में पदस्थ दो सहायक प्राध्यापकों को अध्यापन के साथ ही 24 घंटे एसएनसीयू व पीआईसीयू की भी निगरानी पड़ रही है। अत्यधिक दबाव की वजह से यह संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बिगड़ रही हैं।
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने एसएनसीयू व पीआईसीयू में बढ़ते दबाव को ध्यान में रखते हुए पीजीएमओ के पद स्वीकृत करने आयुक्त एनएचएम को कई बार पत्राचार किया है। जानकारी के अनुसार पहली बार प्रबंधन ने जनवरी 2022 में पत्र लिखा था। जिसके बाद से लगातार रिमाइंडर कराया जा रहा है। इसके बाद भी एनएचएम ने अब तक इसे ओर ध्यान नहीं दिया है। प्रबंधन ने मांग की है कि शिशु रोग विभाग की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए एसएनसीयू में 4 पीजीएमओ व पीआईसीयू में 4 पीजीएमओ या फिर 4-4 सीनियर रेसीडेंट के पद स्वीकृत किए जाएं। 
डीन मिलिंद शिरालकर कहते हैं कि स्टाफ की समस्या को लेकर लगातार पत्राचार किया जा रहा है। उच्च स्तर पर जानकारी दे दी गई है। स्टाफ न होने से काफी समस्याएं हो रही हैं। पूर्व में कई बार पत्राचार किया जा चुका है। काफी दिक्कतें हैं। 
कमिश्नर राजीव शर्मा के मुताबिक जानकारी संज्ञान में है। उच्च स्तर पर स्टाफ की समस्या को लेकर जानकारी दी जा चुकी है। संसाधनों को भी बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। स्टाफ की समस्या को लेकर दोबारा से पत्राचार करेंगे।

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