अदालतों में लंबित मामलों के बढ़ते बोझ से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विभिन्न उच्च न्यायालयों (High Courts) में एडहॉक आधार पर जजों की नियुक्ति की शर्तों में ढील दी. एडहॉक जज खंडपीठों में नियमित न्यायाधीशों के साथ बैठेंगे. रिटायर्ड न्यायाधीशों को एडहॉक आधार पर नियुक्त किया जाएगा.
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ के समक्ष यह मामला आया, जिसमें जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे. पीठ ने अपने अप्रैल 2021 के फैसले में एक शर्त को बरकरार रखा, जिसके अनुसार संविधान के अनुच्छेद 224 के अनुसार, एडहॉक जज की नियुक्ति तभी की जा सकती है, जब रिक्तियां उच्च न्यायालयों में स्वीकृत पदों के 20 प्रतिशत से अधिक हों.