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हॉट टोपिक
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Added on : 2024-04-09 11:58:35

राजेश बादल 


पाकिस्तान के पंजाब प्रदेश की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ ने यह कहकर सियासी हलचल पैदा कर दी है कि उनके मुल्क में चीनी नागरिकों की सुरक्षा नही हो पा रही है तो उसके लिए चीन के लोग ही ज़िम्मेदार हैं । उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान में तैनात चीनी नागरिक कोई सुरक्षा प्रोटोकॉल नहीं मानते । टोकने पर गुस्सा करते हैं और उनकी हिफाज़त में लगे अधिकारियों तथा कर्मचारियों का अपमान करते हैं । मरियम की नाराजगी अपनी जगह जायज़ हो सकती है , क्योंकि 25 मार्च को ख़ैबर में पाँच चीनी इंजीनियरों की आत्मघाती हमले में मौत हो गई थी और अगले दिन ही विस्फोटकों से भरे एक वाहन ने चीनी नागरिकों की एक गाड़ी को टक्कर मार दी थी। इसके बाद चीन भड़का और घबराए प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ चीनी राजदूत को सफाई देने उनके कार्यालय जा पहुँचे थे। यह हाल तो तब है ,जब दस साल से वहाँ चीनी नागरिकों की रक्षा के लिए चार हज़ार से अधिक फौजियों की स्पेशल सुरक्षा यूनिट काम कर रही है। यह यूनिट लगभग साढ़े सात हज़ार चीनियों की सुरक्षा का काम कर रही है। याने हर चीनी नागरिक की जान बचाने के लिए दो फौजी तैनात हैं और हमले फिर भी नहीं रुक रहे हैं।
बात यहीं समाप्त नहीं होती। अफ़ग़ानिस्तान शिकायत कर चुका है कि उसके नागरिक पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं हैं। पाकिस्तान अफ़ग़ानियों को जबरन वापस भेज रहा है। तालिबान सरकार ने तो बीते दिनों स्पष्ट कहा था कि पाकिस्तान अपने सुरक्षा तंत्र की नाक़ामी के लिए ख़ुद ही ज़िम्मेदार है। उसे अफ़ग़ानिस्तान को दोष देने का कोई अधिकार नहीं है। दोनों देशों के संबंध अब तक के सबसे ख़राब दौर में हैं और वे एक दूसरे पर मिसाइलों से हमले कर रहे हैं। इसी तरह ईरान भी कमोबेश यही बात कह रहा है। बलूचिस्तान में ईरानियों पर हमले हुए हैं। ईरान और पाकिस्तान उस इलाक़े में एक दूसरे पर मिसाइलों से हमले कर चुके हैं। लेकिन हालात में सुधार नहीं आया है।सवाल यह है कि पाकिस्तान दुनिया भर में अपनी गिरती साख़ की रक्षा कैसे करे ,क्योंकि पाकिस्तान अपने देश में परदेसी नागरिकों की ही नहीं ,अपने मुल्क़ के बाशिंदों की रक्षा भी नहीं कर पा रहा है। यह सवाल अब वहाँ के आम नागरिक को परेशान कर रहा है कि बलूचिस्तान में मतदाता सुरक्षित नहीं हैं। पंजाब में लोग सुरक्षित नहीं हैं। सिंध के निवासी मारे जा रहे हैं। अफ़ग़ानिस्तान सीमा से सटे इलाक़े में लोग अपने को सुरक्षित नहीं मानते और पाक अधिकृत कश्मीर में भी लोग भयभीत हैं तो फिर इस पड़ोसी राष्ट्र में कौन सुरक्षित है ? स्थानीय नागरिकों की स्थिति घर की मुर्गी दाल बराबर जैसी है।मगर, चीन तो आज पाकिस्तान का सबसे बड़ा रहनुमा है। यदि उसके नागरिकों को पाकिस्तान की पुलिस और सेना सुरक्षा नहीं दे पा रही है तो उसके लिए कोई दूसरा देश कैसे ज़िम्मेदार हो सकता है। सुबूत के तौर पर यही जानकारी काफी होगी कि जब स्थानीय पुलिस ने चीनी इंजीनियरों की गाड़ी पर आत्मघाती हमलों की रिपोर्ट सरकार को भेजी ,तो उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि चीनी इंजीनियरों का वाहन न तो बम प्रूफ था और न ही बुलेट प्रूफ।यही नहीं ,पाकिस्तानी रक्षा एजेंसियों ने सुरक्षा संबंधी निर्देशों का भी पालन नहीं किया था।  
विडंबना यह है कि किरकिरी से बचने के लिए पाकिस्तान ने अपनी खीझ का ठीकरा भारत के सिर फोड़ना शुरू कर दिया है।बीते दिनों वहाँ पनाह लिए बैठे क़रीब 20 मोस्ट वांटेड अपराधियों की हत्या कर दी गई। अब पाकिस्तान कहता है कि उसके अपने नागरिकों की हत्या के पीछे हिन्दुस्तान का हाथ है। पाक  सरकार का कहना है कि भारत सरकार रॉ के ज़रिए पाकिस्तान में उसके निशाने पर मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों की हत्याएँ करवा रही है। उसने भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के एक बयान को तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत किया है। राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत में यदि आतंकवादी हरक़तें नहीं रुकीं ,तो भारत भी अपने रक्षा में पाकिस्तान के भीतर जाकर आतंकवादियों को मरने में कोई संकोच नहीं करेगा।याद रखना होगा कि राजनाथ सिंह ने ब्रिटेन के अख़बार द गार्जियन में प्रकाशित एक समाचार पर टिप्पणी की थी। इस समाचार में कहा गया था कि विदेशी धरती में रह कर भारत में ख़ून ख़राबा करने वाले आतंकवादियों के सफाए के लिए भारत सरकार ने नई नीति बनाई है। इसका क्रियान्वयन रॉ करता है ,जिसको भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय से निर्देश मिलते हैं। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पाकिस्तान की सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय स्लीपर सेल ग़रीब पाकिस्तानियों को लाखों रूपए देते हैं और हत्याएं कराते हैं। इसके बाद पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने भी इसी तरह की ख़बरें प्रकाशित कीं। डॉन ने अपने एक संपादकीय में लिखा कि भारत ने कश्मीर में सक्रिय अलगाववादियों को मारने की नीति को अंजाम देना शुरू किया है।
यहाँ निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि भारतीय स्लीपर सेल पर आरोप लगाने से पहले पाकिस्तान को अपने भीतर झाँककर देखना चाहिए। असल स्लीपर सेल तो पाकिस्तान के भीतर ही है ,जो देश के भीतर लोकतंत्र की हत्या कराता है। वह स्लीपर सेल जो ओसामा बिन लादेन को देश में पालकर रखता है।क्या ऐसे देश को किसी अन्य देश पर आरोप लगाने का कोई नैतिक अधिकार है ? जब अमेरिका ने ओसामा को मारा तब पाकिस्तान की हुकूमत ही स्लीपर सेल थी। पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को जिस ढंग से फाँसी दी गई ,वह कौन सा स्लीपर सेल था ? एक और पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो को जिस तरह से मारा गया,उसके लिए ज़िम्मेदार तो पाकिस्तान का स्लीपर सेल ही था। एक और प्रधानमंत्री के दावेदार शेख़ मुजीबुर्रहमान को जेल में सड़ा दिया गया और बाद में इस कारण देश के ही दो टुकड़े हो गए ,उसके लिए स्लीपर सेल कहाँ से आया था ? इमरान ख़ान इन दिनों जेल में हैं ,उसके लिए कौन स्लीपर सेल दोषी है ? ज़ाहिर है कि पाकिस्तान के घर में ही स्लीपर सेल छिपे हुए हैं। वे लोकतंत्र के असली दुश्मन हैं।
 

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