पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने वह काम कर दिखाया है, जो वहां के नेता, पत्रकार, विद्वान और नौकरशाह सपने में भी नहीं कर सकते। अदालत ने अपने एक फैसले में साफ-साफ कहा है कि पाकिस्तान की फौज, गुप्तचर संगठनों और सरकारों को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए। उसका उल्लंघन करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है। अदालत ने यह कोई किताबी सिद्धांत नहीं बघारा है बल्कि 2017 में ‘तहरीके-लबायके-पाकिस्तान’ द्वारा किए गए इस्लामाबाद के घेराव के बारे में अपना फैसला सुनाया है। तहरीक ने 20 दिनों तक ऐसा घेरा डाला था कि इस्लामाबाद में काम-काज लगभग ठप्प हो गया था।इस मजहबी संगठन का मुकाबला करने में पाकिस्तान की फौज ने सरकार का साथ देने की बजाय तहरीक को ले-देकर मनाया था। अदालत ने फौज की इस भूमिका की कड़ी आलोचना की है। अदालत ने कहा है कि फौज द्वारा राजनीति करना पाकिस्तान के संविधान के विरुद्ध है।
पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने वह काम कर दिखाया है, जो वहां के नेता, पत्रकार, विद्वान और नौकरशाह सपने में भी नहीं कर सकते। अदालत ने अपने एक फैसले में साफ-साफ कहा है कि पाकिस्तान की फौज, गुप्तचर संगठनों और सरकारों को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए। उसका उल्लंघन करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है। अदालत ने यह कोई किताबी सिद्धांत नहीं बघारा है बल्कि 2017 में ‘तहरीके-लबायके-पाकिस्तान’ द्वारा किए गए इस्लामाबाद के घेराव के बारे में अपना फैसला सुनाया है। तहरीक ने 20 दिनों तक ऐसा घेरा डाला था कि इस्लामाबाद में काम-काज लगभग ठप्प हो गया था।इस मजहबी संगठन का मुकाबला करने में पाकिस्तान की फौज ने सरकार का साथ देने की बजाय तहरीक को ले-देकर मनाया था। अदालत ने फौज की इस भूमिका की कड़ी आलोचना की है। अदालत ने कहा है कि फौज द्वारा राजनीति करना पाकिस्तान के संविधान के विरुद्ध है।