भारत का काजू और उससे जुड़े उत्पादों का निर्यात चालू वित्त वर्ष में 20 प्रतिशत गिरकर 4,800 करोड़ रुपए रह सकता है। इसकी वजह कम मात्रा में निर्यात है। उद्योग संगठन भारतीय काजू निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसीआई) ने यह बात कही। सीईपीसीआई ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए तैयार उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने और अधिक प्रोत्साहन देने की मांग की है। काजू निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन आरके भूदेस ने कहा, ‘सरकार को वियतनाम जैसे देश से टूटे काजू का सस्ता आयात रोकने तथा देश को ऐसे गुणवत्ता विहीन उत्पादों का ‘डम्पिंग ग्राउण्ड’ बनने से रोकने के लिए काजू के आयात पर आयात शुल्क को मौजूदा 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत करना चाहिए।’ काजू उद्योग के संरक्षण के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने मांग कि उक्त कदम के अलावा देश के काजू प्रसंस्करणकर्ताओं को दिये जाने वाले निर्यात सहायता को मौजूदा पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत करना चाहिये तो दूसरे देशों में 20 से 25 प्रतिशत के लगभग है।
कर्टसी : GNS
भारत का काजू और उससे जुड़े उत्पादों का निर्यात चालू वित्त वर्ष में 20 प्रतिशत गिरकर 4,800 करोड़ रुपए रह सकता है। इसकी वजह कम मात्रा में निर्यात है। उद्योग संगठन भारतीय काजू निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसीआई) ने यह बात कही। सीईपीसीआई ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए तैयार उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने और अधिक प्रोत्साहन देने की मांग की है। काजू निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन आरके भूदेस ने कहा, ‘सरकार को वियतनाम जैसे देश से टूटे काजू का सस्ता आयात रोकने तथा देश को ऐसे गुणवत्ता विहीन उत्पादों का ‘डम्पिंग ग्राउण्ड’ बनने से रोकने के लिए काजू के आयात पर आयात शुल्क को मौजूदा 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत करना चाहिए।’ काजू उद्योग के संरक्षण के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने मांग कि उक्त कदम के अलावा देश के काजू प्रसंस्करणकर्ताओं को दिये जाने वाले निर्यात सहायता को मौजूदा पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत करना चाहिये तो दूसरे देशों में 20 से 25 प्रतिशत के लगभग है।
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