अरुण दीक्षित
शीर्षक पढ़कर आप चौंकिए मत!जी हां यह सौ टका सच है कि जिस लंदन शहर को देश का आम आदमी आज तक देश की गुलामी से जोड़ता रहा है,उसे भारत में अब "तीर्थस्थल" का दर्जा मिल गया है।यह दर्जा भी किसी व्यक्ति या संस्था ने नही बल्कि मध्यप्रदेश की सरकार ने दिया है।सरकार ने आज आंबेडकर जयंती के मौके पर इसका ऐलान किया।आज से मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में लंदन भी शामिल होगा!छुट्टी के बाद भी इसका विधिवत आदेश भी जारी हो गया है।
यह तो आप जानते ही हैं कि एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की जनता से कई तरह के रिश्ते बनाए हैं।वे बच्चों के मामा हैं। लाडली बहनों के भाई हैं!बुजुर्गों के "श्रवण कुमार" हैं!श्रवण कुमार के रूप में वे प्रदेश के बुजुर्गों को तीर्थयात्रा कराते हैं।यह अलग बात है कि इन सब पर खर्च सरकारी खजाने से होता है और नाम शिवराज का होता है।
आज बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की जयंती थी। यह दुनियां छोड़ने के बाद देवत्व को पाने वाले आंबेडकर जी के जन्मदिन पर देश के करीब सभी राजनीतिक दलों ने उन्हें अपने अपने ढंग से श्रद्धांजलि दी।बाबा साहब की जन्मस्थली महू में हर दल के नेता पहुंचे!मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को तो वहां होना ही था।
महू को लेकर वे पिछले कई सालों से बड़ी बड़ी घोषणाएं करते आ रहे हैं।आज भी कई घोषणाएं उन्होंने की। इनमें सबसे अहम घोषणा थी बाबा साहब से जुड़े पांच स्थानों को तीर्थ घोषित करके उन्हें मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में शामिल करना।इन्हें पंच तीर्थ का नाम दिया गया है।
इन पंच तीर्थ में महू नागपुर दिल्ली मुंबई और वाराणसी के वे स्थान शामिल थे जिनका संबंध भीमराव आंबेडकर से रहा है।आज इसमें लंदन को भी शामिल कर लिया गया।लंदन की वह इमारत जिसमें रहकर बाबा साहब ने अपनी पढ़ाई की थी उसे भी "तीर्थ" का दर्जा दिया गया है।
सब कुछ ठीक रहा तो एमपी की सरकार राज्य के लोगों को राज्य के तीर्थ स्थलों के साथ साथ लंदन की भी यात्रा कराएगी!आपको बता दें कि लंका में अशोकवाटिका स्थित सीता मंदिर और कंबोडिया के अंकोरवाट स्थित मंदिर पहले से ही मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में शामिल हैं।हालांकि अभी तक कितने लोगों ने इन दोनों देशों की यात्रा की है,यह पता नही चल पाया है।लंदन कितने तीर्थयात्री जा पाएंगे यह भविष्य बताएगा।
अब यह बात जगजाहिर है कि शिवराज देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने बुजुर्गो को सरकारी खर्च पर तीर्थयात्रा कराने की व्यवस्था की थी।अपने पहले के कार्यकालों में उन्होंने हजारों बुजुर्गों को देश के तमाम तीर्थस्थलों पर घुमाया।इसका पुण्य उनके वोट के रूप में प्राप्त किया!
अब 6 महीने बाद चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।इसलिए शिवराज बहुत जल्दी में हैं।अब वे बुजुर्गों को हवाई जहाज से तीर्थ यात्रा कराने जा रहे हैं।इस बारे में एक दिन पहले ही घोषणा की गई है।
घोषणा के मुताबिक 21 मई को तीर्थ यात्रियों का पहला जत्था हवाई जहाज में बैठकर भगवान के दर्शन करने जायेगा।इसके लिए 25 जिले चुने गए हैं।इन सभी जिलों से 32 - 32 लोग चुने जाएंगे!यह यात्रा चुनाव की घोषणा होने तक चलते रहने की उम्मीद है।
इसकी व्यवस्था जिलों के कलेक्टर करेंगे!खर्च सरकार उठाएगी!
हां एक बात है!हवाई यात्रा के मामले में शिवराज श्रवण कुमार की भूमिका में नही होंगे!श्रवण कुमार अपने माता पिता को एक डोली में एकसाथ लेकर तीर्थ स्थलों पर गए थे!लेकिन शिवराज की योजना में एक घर से सिर्फ एक ही व्यक्ति हवाई तीर्थ यात्रा पर जा सकेगा।वह भी 65 साल से ज्यादा उम्र वाला।बुजुर्ग दंपति एक साथ हवाई जहाज में बैठकर भगवान के दर्शन करने नही जा पाएंगे!अब आप यह भी कह सकते हैं कि मुख्यमंत्री की हवाई तीर्थ दर्शन योजना बुढ़ापे में घर में कलह का कारण भी बन सकती है।
हवाई यात्रा के लिए तीर्थ स्थल भी सीमित रखे गए हैं।सरकारी सूची के मुताबिक प्रयागराज, शिर्डी,गंगासागर और मथुरा वृंदावन के दर्शन कराए जाएंगे।
अभी यह साफ नहीं है कि सरकार हवाई तीर्थ दर्शन पर कितनी रकम खर्च करेगी।लाडली बहना के लिए तो आठ हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है।उसकी तैयारी भी इन दिनों युद्ध स्तर पर चल रही है।
सरकार का मूल लक्ष्य विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले इन्हें हर हाल में अमली जामा पहनाने का है।
सरकार तो सरकार है!वह लंदन को तीर्थ स्थल घोषित करे या फिर लोगों को हवाई तीर्थ यात्रा कराए!उसे कौन रोक सकता है।अब नौकरी के लिए चुनी गई महिला शिक्षक अपनी नियुक्ति के लिए भटके या सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे स्कूल में शिक्षक की बाट जोहते रहें!प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दवा और डाक्टर दोनो न मिलें!विधवा और वृद्धावस्था पेंशन के लिए महीनों का इंतजार सामान्य बात हो गई हो! सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए जवाबदार आयोग सालों से कोई भर्ती न कर पा रहा हो! किसी को क्या फर्क पड़ता है?
फिलहाल सरकार की नजर "चुनाव" पर है! इसके लिए लंदन तीर्थ बन सकता है! लाडली बहना को पाकेटमनी मिल सकता है! कर्जे माफ करने की घोषणा हो सकती है।अलग अलग समाजों को सत्ता में भागीदारी दी जा सकती है।खजाना खाली है तो क्या हुआ!और कर्ज ले लेंगे!
स्कूल, अस्पताल,शिक्षक,डाक्टर और अन्य मूलभूत जरूरतों पर अभी बात करने का समय नहीं है।ये सब तो ऐसे ही चलते रहेंगे!फिलहाल तो नजर वोट पर है!
मुफ्त में तीर्थ करिए!लंदन जाने के सपने देखिए!और कोई बात करने की जरूरत नहीं है।है न आखिर अपना एमपी गज्जब!है कि नहीं!