सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला देते हुए कहा कि नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उपवर्गीकृत करने की राज्यों के पास शक्ति नहीं है, यह कहने वाले उसके 2004 के फैसले पर फिर से विचार की जरूरत है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि ईवी चिन्नैया मामले में संविधान पीठ के 2004 के फैसले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है और इसलिए, इस मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उचित निर्देश के लिए रखा जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला देते हुए कहा कि नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उपवर्गीकृत करने की राज्यों के पास शक्ति नहीं है, यह कहने वाले उसके 2004 के फैसले पर फिर से विचार की जरूरत है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि ईवी चिन्नैया मामले में संविधान पीठ के 2004 के फैसले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है और इसलिए, इस मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उचित निर्देश के लिए रखा जाना चाहिए।