देश में क्रिकेट को छोड दुसरे खेलों के प्रति पूरी तरह उदानसीनता बरती जाती है। इसीका नतीजा है कि तीरंदाजी में गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकीं बुली को सडक के किनारे संतरे बेचकर अपने परिवार का गुजारा करना पडता है। असम की बुली के पति दिहाडी मजदूर है। बुली 2005 से 2010 के बीच नेशनल लेवल पर तीरंदाजी में कई गोल्ड और सिल्वर मेडल जीत चूकी है, लेकिन अब वो गुमनाम जिंदगी जीने को मजबूर है।