इन्फोसिस के को-फाउन्डर एन आर नारायणमूर्ति ने बड़े पैमाने पर नौकरी पर छाए संकट तथा भारत के सॉफ्टवेयर सर्विस सेक्टर में यूनियन बनाने के मुद्दे पर अपनी राय दी है। मूर्ति ने कहा, 'इसमें चिंता करने जैसी कोई बात नहीं है। अगर कंपनियों के सीनियर एग्जीक्यूटिव्स अपनी कटी सैलरी लें और ट्रेनिंग एंप्लायी में निवेश करें तो नौकरियों को सुरक्षित रखना संभव है। स्थिर सहयोग तब होता है जहां हर कोई खुश हो।'
मूर्ति ने कहा कि आईटी इंडस्ट्री अपने काम-काज में जब तक उदारता का भाव बरकरार रखेगी, तब तक किसी यूनियन के लिए कोई जमीन नहीं तैयार हो पाएगी। उन्होंने कहा, 'हम बिजनस में कई बार ऐसे विचारों से गुजरते हैं। हमें अधिक चिंतित होने की जरुरत नहीं है। अगर सीनियर कुछ अजस्टमेंट करें तो युवाओं की नौकरियों को सुरक्षित रखना संभव है। सीनियर्स डिस्पोज़ेबल इनकम के आधार पर सैलरी कट्स लेते हैं। हमने डॉट कॉम संकट के बाद यही किया था। इंडस्ट्री लीडर्स को संभावनाओं के नए मौकों को तलाशने की जरुरत है। ट्रेनिंग प्रोग्रार्म को आयोजित करने और उन्हें प्रशिक्षित होने का समय दें। युवाओं को नई तकनीक और स्किल्स को चुनने का मौका दें।'
इन्फोसिस के को-फाउन्डर एन आर नारायणमूर्ति ने बड़े पैमाने पर नौकरी पर छाए संकट तथा भारत के सॉफ्टवेयर सर्विस सेक्टर में यूनियन बनाने के मुद्दे पर अपनी राय दी है। मूर्ति ने कहा, 'इसमें चिंता करने जैसी कोई बात नहीं है। अगर कंपनियों के सीनियर एग्जीक्यूटिव्स अपनी कटी सैलरी लें और ट्रेनिंग एंप्लायी में निवेश करें तो नौकरियों को सुरक्षित रखना संभव है। स्थिर सहयोग तब होता है जहां हर कोई खुश हो।'
मूर्ति ने कहा कि आईटी इंडस्ट्री अपने काम-काज में जब तक उदारता का भाव बरकरार रखेगी, तब तक किसी यूनियन के लिए कोई जमीन नहीं तैयार हो पाएगी। उन्होंने कहा, 'हम बिजनस में कई बार ऐसे विचारों से गुजरते हैं। हमें अधिक चिंतित होने की जरुरत नहीं है। अगर सीनियर कुछ अजस्टमेंट करें तो युवाओं की नौकरियों को सुरक्षित रखना संभव है। सीनियर्स डिस्पोज़ेबल इनकम के आधार पर सैलरी कट्स लेते हैं। हमने डॉट कॉम संकट के बाद यही किया था। इंडस्ट्री लीडर्स को संभावनाओं के नए मौकों को तलाशने की जरुरत है। ट्रेनिंग प्रोग्रार्म को आयोजित करने और उन्हें प्रशिक्षित होने का समय दें। युवाओं को नई तकनीक और स्किल्स को चुनने का मौका दें।'