मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली एक निजी एजेंसी स्काईमेट ने बुधवार को कहा कि इस साल मानसून में ‘सामान्य से कम’ बारिश हो सकती है. एजेंसी ने संभावित सामान्य से कम बारिश के पीछे की वजह अलनीनो को बताया है.
एजेंसी ने बताया कि मॉनसून के दीर्घकालिक औसत (एलपीए) का 93 फीसदी रहने की संभावना है. दरअसल एलपीए की 90-95 फीसदी बारिश ‘सामान्य से कम’ वाली श्रेणी में आती है. 1951 से 2000 के बीच हुई कुल बारिश के औसत को एलपीए कहा जाता है और यह 89 सेमी है.
यदि यह पूर्वानुमान सही साबित होता है तो यह लगातार दूसरा वर्ष होगा जब सामान्य से कम बारिश होगी. पूर्वी भारत में बारिश कम होने का सबसे ज्यादा खतरा हो सकता है.
मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली एक निजी एजेंसी स्काईमेट ने बुधवार को कहा कि इस साल मानसून में ‘सामान्य से कम’ बारिश हो सकती है. एजेंसी ने संभावित सामान्य से कम बारिश के पीछे की वजह अलनीनो को बताया है.
एजेंसी ने बताया कि मॉनसून के दीर्घकालिक औसत (एलपीए) का 93 फीसदी रहने की संभावना है. दरअसल एलपीए की 90-95 फीसदी बारिश ‘सामान्य से कम’ वाली श्रेणी में आती है. 1951 से 2000 के बीच हुई कुल बारिश के औसत को एलपीए कहा जाता है और यह 89 सेमी है.
यदि यह पूर्वानुमान सही साबित होता है तो यह लगातार दूसरा वर्ष होगा जब सामान्य से कम बारिश होगी. पूर्वी भारत में बारिश कम होने का सबसे ज्यादा खतरा हो सकता है.