मार्च के अंत तक मोदी सरकार लगभग 10 करोड़ किसानों को 2000-2000 रुपए का भुगतान करेगी। कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र शेखावत ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कम जमीन वाले किसानों के लिए प्रधानमंत्री-किसान योजना के तहत इसके बाद के भुगतान करने में भी सरकार को कोई मुश्किल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पहला भुगतान करने की प्रक्रिया में कुछ मुश्किल हो सकती है। शेखावत ने बताया, ‘दूसरी किस्त का भुगतान आसान होगा क्योंकि सभी लाभार्थियों के बैंक खाते उनके आधार से लिंक हो जाएंगे।’
विशेषज्ञों और पूर्व ब्यूरोक्रेट्स का कहना है कि इस स्कीम को लागू करने में परेशानी हो सकती है, विशेषतौर पर बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में मुश्किल हो सकती है जहां जमीन के रेकॉर्ड पूरी तरह डिजिटाइज नहीं हैं। लोकसभा चुनाव में कुछ महीने बाकी होने के कारण इस योजना को तेजी से लागू करने की कोशिश की जाएगी। शेखावत ने बताया कि सरकार ने राज्यों से पात्र किसानों की सूची मांगी है। हालांकि, केंद्र के पास पहले से काफी डेटा है। इस योजना की घोषणा शुक्रवार को अंतरिम बजट में की गई थी। शेखावत ने कहा, ‘हमारे पास अधिकतर किसानों का डेटाबेस है क्योंकि वे पहले से हमारी विभिन्न सब्सिडी स्कीमों का लाभ ले रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि कोई भी राज्य इस योजना में पीछे रहना चाहेगा।’
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि कृषि मंत्रालय इस योजना को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। गर्ग ने बजट के बाद ईटी को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘मंत्रालय इसे जितना तेजी से संभव हो, लागू करेगा। मूलभूत मापदंड तैयार है। दो हेक्टेयर तक जमीन रखने वाले छोटे और मझोले किसानों की पहचान करने की जरूरत है।’ अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अपने बजट भाषण में कहा था कि मौजूदा फाइनेंशियल इयर में इस योजना के लिए 20,000 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए जाएंगे। यह रकम लगभग 10 करोड़ किसानों को 2,000 रुपए की एक किस्त देने के लिए पर्याप्त है। अगले फाइनैंशल इयर के लिए 75,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। इससे 12 करोड़ किसानों को ऐसी तीन किस्तें दी जा सकेंगी।
मार्च के अंत तक मोदी सरकार लगभग 10 करोड़ किसानों को 2000-2000 रुपए का भुगतान करेगी। कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र शेखावत ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कम जमीन वाले किसानों के लिए प्रधानमंत्री-किसान योजना के तहत इसके बाद के भुगतान करने में भी सरकार को कोई मुश्किल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पहला भुगतान करने की प्रक्रिया में कुछ मुश्किल हो सकती है। शेखावत ने बताया, ‘दूसरी किस्त का भुगतान आसान होगा क्योंकि सभी लाभार्थियों के बैंक खाते उनके आधार से लिंक हो जाएंगे।’
विशेषज्ञों और पूर्व ब्यूरोक्रेट्स का कहना है कि इस स्कीम को लागू करने में परेशानी हो सकती है, विशेषतौर पर बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में मुश्किल हो सकती है जहां जमीन के रेकॉर्ड पूरी तरह डिजिटाइज नहीं हैं। लोकसभा चुनाव में कुछ महीने बाकी होने के कारण इस योजना को तेजी से लागू करने की कोशिश की जाएगी। शेखावत ने बताया कि सरकार ने राज्यों से पात्र किसानों की सूची मांगी है। हालांकि, केंद्र के पास पहले से काफी डेटा है। इस योजना की घोषणा शुक्रवार को अंतरिम बजट में की गई थी। शेखावत ने कहा, ‘हमारे पास अधिकतर किसानों का डेटाबेस है क्योंकि वे पहले से हमारी विभिन्न सब्सिडी स्कीमों का लाभ ले रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि कोई भी राज्य इस योजना में पीछे रहना चाहेगा।’
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि कृषि मंत्रालय इस योजना को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। गर्ग ने बजट के बाद ईटी को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘मंत्रालय इसे जितना तेजी से संभव हो, लागू करेगा। मूलभूत मापदंड तैयार है। दो हेक्टेयर तक जमीन रखने वाले छोटे और मझोले किसानों की पहचान करने की जरूरत है।’ अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अपने बजट भाषण में कहा था कि मौजूदा फाइनेंशियल इयर में इस योजना के लिए 20,000 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए जाएंगे। यह रकम लगभग 10 करोड़ किसानों को 2,000 रुपए की एक किस्त देने के लिए पर्याप्त है। अगले फाइनैंशल इयर के लिए 75,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। इससे 12 करोड़ किसानों को ऐसी तीन किस्तें दी जा सकेंगी।