कहते है कि आदमी जब ज्यादा हुंशियार हो तो कहीं न कहीं कुछ ऐसी गलती कर बैठता है की उस पर दाग लग जाता है. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री हुंशियार थे,बेबाक थे,और आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह काफी लोकप्रिय भी थे. लेकिन उन्हों ने चीन से गहरी दोस्ती कर ऐसी गलती की कि उनके जीवन पर दाग लग गया. विस्तारवादी चीन ने भारत की कीतनी ही जमीन हडप ली. जमीन हडपना चीन की नीति है और वह कीसी से नहीं डरता.ना, मोदी से भी नहीं. मोदीने नेहरू को पानी पी पी कर कोसने में कोइ कसर नहीं छोड रखी. सरकार की कुछ गलतीयां नेहरू पर डाल दी गई. जीस नेहरू को वे कोसते है उसी नेहरू की तरह मोदी ने भी चीन के साथ दोस्ती का हाथ फैला कर जो गलती की उस पर हमारे 20 जाबांज रणबांकूरे शहिद हो गये.

नेहरू ने भी मोदी की तरह चीन पर भरोसा किया. हिन्दी-चीनी भाइ भाइ का नारा लगा कर चीनी सैनिक भारत में घूस आये और नेबरू की पीठ पर खंजर भोंक दिया. कीसी की गलती को देख कर जो सीखे उसे सयाना कहा जाता है. अनुभवी कह सकते है. लेकिन मोदीने  जिस नेहरू को कोसते है, उसी नेहरू की गलती दोहरा कर चीन के मुखिया शीन जिमपिंग को बार बार भारत बुलाते रहे.  वे खुद भी 2-3 बार चीन गये. शीन के साथ शान से चाय पी. चीन के मुखिया के गहरी दोस्ती का सिलसिला बढा और गुजरात के बाद तामिलनाडू में उन्की अच्छीखासी मेजबानी की गई. खुद मोदी जो कि जैसा देश-वैसा भेष में मानते है, उन्हों ने लूंगी और बुशर्ट पहन शीन का स्वागत किया. बातें हुई. फोटो सेशन हुआ. और यहां से जाने के बाद शीन ने क्या किया...?

उन्हों ने चीन का असली रूप बताया अपने गहरे दोस्त मोदी को और भारत को. डोकलाम के बाद लदाख. चीन के सैनिको ने भारत के 20 जवानो को जिस तरह लोहे के सरिये, कंटिली तार लगी लकडियां और पत्थर से पिट पिट कर मार डाले उसकी कोइ चर्चा टीवी मिडिया ने नहीं की. अच्छा नहीं लगता न. लेकिन दिल्ही के दंगो में आईबी कर्मी अंकित शर्मा के शरीर पर 400 घाव के निशान थे और कैसे उसको बरबर्ता के साथ मौत के घाट उतार दिया उस पर चर्चा होती रही टीवी मिडिया में. लेकिन फिर पीएम रपट में खुलासा हुआ की 400 नहीं 55 घाव के निशान थे. कीसी की भी हत्या नहीं होनी चाहिये. हमारे जवानों की भी हत्या नहीं होनी चाहिये. हां, ये हत्या ही है. निहत्थे जवानो को मोब लिचिंग की तरह मार दिये गये. और  सरकार कहती रही- चीन ने हमारी जमीन पर पैर नहीं रखा.....

जो ईतिहास से सबक ले वह गलती नहीं करता. भारत का और चीन का ईतिहास गवाह है कि 1962 में कैसे चीन ने नेहरू को, भारत को धोखा दिया. ठीक वैसा ही धोखा 2020 में चीन ने दिया.चीन के सैनिको नें 15 जून को अपने राष्ट्रपति शीन के जन्मदिन पर भारत के 20 जवानो की बलि चढा दी. और भारत मूंह देखता रहा. पूर्व जनरल एवम  मंत्री वी.के. सिंग ने दावा किया कि हमारे जवानो ने चीन के 40 जवानो को मार गिराये थे. यानि हमारे 20 और उनके 40. हमने चीन के डबल मार गिराये. कहने को तो ये अच्छा लगता है, लेकिन मंत्रीजी, दुश्मन कभी भी यह जाहिर नहीं करेंगा की उनके कितने मरे. हमारे कितने शहिद हुये वह हकीकत है लेकिन सामने कितने मरे या मारे गये इसका दावा कितना सही होता है वह एक आर्मी जनरल के नाते आप भलीभांति जानते ही है. आप सरकार में हो इसलिये सरकार की ही बात रखेंगे. और हां, आप तो चीन की आर्मी को अच्छी तरह से जानते ही हो तो आपने क्यों नहीं सलाह दी सरकार के मुखिया को की चीन से बच के रहने रे बाबा....?

लागा चुनरी पर दाग मिटाउ कैसे....!! मोदीजी, जैसे नेहरू के जीवन पर चीन की धोखेबाजी का दाग लग गया, वैसा ही आपके जीवन पर भी दाग लग गया. ये कुछ टीवी मिडिया आपको बताने की, दुनिया को कहने की हिंमत नहीं करेंगे. लेकिन ये अब ईतिहास के पन्ने पर लिख दिया गया है कि,  नेहरू ने धोखा खाया, आपने भी. नेहरी ने गलती की चीन से दोस्ती कर, आपने भी वही दोहराया और चीन के मुखिया को झुलाया साबरमती नदी के किनारे...उसी शीन ने आपको धोखा दिया और धोखे से हमारे 20 जवानो को मार डाले. वे मारते मारते मरे नहीं....वे मारते मारते शहिद हुये....दिल्ही की गलतियों का खामियाजा सीमा पर चुकाना पडा. पुलवामा  के जवान शहिदो को आपने खुद सर्दीयो में शौल ओढ कर एयरपोर्ट जा कर जा कर पुष्पांजलि दी थी, लेकिन  गलवान के शहिद जवान ईतने नशीबोंवाले नहीं थे कि आपके हाथों से  पुष्पाजंलि मिले, और नां ही रक्षा मंत्री का कंधा...!! वजह...? चुनाव नहीं है न.....!

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Added on : 2020-06-22 11:02:22

कहते है कि आदमी जब ज्यादा हुंशियार हो तो कहीं न कहीं कुछ ऐसी गलती कर बैठता है की उस पर दाग लग जाता है. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री हुंशियार थे,बेबाक थे,और आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह काफी लोकप्रिय भी थे. लेकिन उन्हों ने चीन से गहरी दोस्ती कर ऐसी गलती की कि उनके जीवन पर दाग लग गया. विस्तारवादी चीन ने भारत की कीतनी ही जमीन हडप ली. जमीन हडपना चीन की नीति है और वह कीसी से नहीं डरता.ना, मोदी से भी नहीं. मोदीने नेहरू को पानी पी पी कर कोसने में कोइ कसर नहीं छोड रखी. सरकार की कुछ गलतीयां नेहरू पर डाल दी गई. जीस नेहरू को वे कोसते है उसी नेहरू की तरह मोदी ने भी चीन के साथ दोस्ती का हाथ फैला कर जो गलती की उस पर हमारे 20 जाबांज रणबांकूरे शहिद हो गये.

नेहरू ने भी मोदी की तरह चीन पर भरोसा किया. हिन्दी-चीनी भाइ भाइ का नारा लगा कर चीनी सैनिक भारत में घूस आये और नेबरू की पीठ पर खंजर भोंक दिया. कीसी की गलती को देख कर जो सीखे उसे सयाना कहा जाता है. अनुभवी कह सकते है. लेकिन मोदीने  जिस नेहरू को कोसते है, उसी नेहरू की गलती दोहरा कर चीन के मुखिया शीन जिमपिंग को बार बार भारत बुलाते रहे.  वे खुद भी 2-3 बार चीन गये. शीन के साथ शान से चाय पी. चीन के मुखिया के गहरी दोस्ती का सिलसिला बढा और गुजरात के बाद तामिलनाडू में उन्की अच्छीखासी मेजबानी की गई. खुद मोदी जो कि जैसा देश-वैसा भेष में मानते है, उन्हों ने लूंगी और बुशर्ट पहन शीन का स्वागत किया. बातें हुई. फोटो सेशन हुआ. और यहां से जाने के बाद शीन ने क्या किया...?

उन्हों ने चीन का असली रूप बताया अपने गहरे दोस्त मोदी को और भारत को. डोकलाम के बाद लदाख. चीन के सैनिको ने भारत के 20 जवानो को जिस तरह लोहे के सरिये, कंटिली तार लगी लकडियां और पत्थर से पिट पिट कर मार डाले उसकी कोइ चर्चा टीवी मिडिया ने नहीं की. अच्छा नहीं लगता न. लेकिन दिल्ही के दंगो में आईबी कर्मी अंकित शर्मा के शरीर पर 400 घाव के निशान थे और कैसे उसको बरबर्ता के साथ मौत के घाट उतार दिया उस पर चर्चा होती रही टीवी मिडिया में. लेकिन फिर पीएम रपट में खुलासा हुआ की 400 नहीं 55 घाव के निशान थे. कीसी की भी हत्या नहीं होनी चाहिये. हमारे जवानों की भी हत्या नहीं होनी चाहिये. हां, ये हत्या ही है. निहत्थे जवानो को मोब लिचिंग की तरह मार दिये गये. और  सरकार कहती रही- चीन ने हमारी जमीन पर पैर नहीं रखा.....

जो ईतिहास से सबक ले वह गलती नहीं करता. भारत का और चीन का ईतिहास गवाह है कि 1962 में कैसे चीन ने नेहरू को, भारत को धोखा दिया. ठीक वैसा ही धोखा 2020 में चीन ने दिया.चीन के सैनिको नें 15 जून को अपने राष्ट्रपति शीन के जन्मदिन पर भारत के 20 जवानो की बलि चढा दी. और भारत मूंह देखता रहा. पूर्व जनरल एवम  मंत्री वी.के. सिंग ने दावा किया कि हमारे जवानो ने चीन के 40 जवानो को मार गिराये थे. यानि हमारे 20 और उनके 40. हमने चीन के डबल मार गिराये. कहने को तो ये अच्छा लगता है, लेकिन मंत्रीजी, दुश्मन कभी भी यह जाहिर नहीं करेंगा की उनके कितने मरे. हमारे कितने शहिद हुये वह हकीकत है लेकिन सामने कितने मरे या मारे गये इसका दावा कितना सही होता है वह एक आर्मी जनरल के नाते आप भलीभांति जानते ही है. आप सरकार में हो इसलिये सरकार की ही बात रखेंगे. और हां, आप तो चीन की आर्मी को अच्छी तरह से जानते ही हो तो आपने क्यों नहीं सलाह दी सरकार के मुखिया को की चीन से बच के रहने रे बाबा....?

लागा चुनरी पर दाग मिटाउ कैसे....!! मोदीजी, जैसे नेहरू के जीवन पर चीन की धोखेबाजी का दाग लग गया, वैसा ही आपके जीवन पर भी दाग लग गया. ये कुछ टीवी मिडिया आपको बताने की, दुनिया को कहने की हिंमत नहीं करेंगे. लेकिन ये अब ईतिहास के पन्ने पर लिख दिया गया है कि,  नेहरू ने धोखा खाया, आपने भी. नेहरी ने गलती की चीन से दोस्ती कर, आपने भी वही दोहराया और चीन के मुखिया को झुलाया साबरमती नदी के किनारे...उसी शीन ने आपको धोखा दिया और धोखे से हमारे 20 जवानो को मार डाले. वे मारते मारते मरे नहीं....वे मारते मारते शहिद हुये....दिल्ही की गलतियों का खामियाजा सीमा पर चुकाना पडा. पुलवामा  के जवान शहिदो को आपने खुद सर्दीयो में शौल ओढ कर एयरपोर्ट जा कर जा कर पुष्पांजलि दी थी, लेकिन  गलवान के शहिद जवान ईतने नशीबोंवाले नहीं थे कि आपके हाथों से  पुष्पाजंलि मिले, और नां ही रक्षा मंत्री का कंधा...!! वजह...? चुनाव नहीं है न.....!

कहते है कि आदमी जब ज्यादा हुंशियार हो तो कहीं न कहीं कुछ ऐसी गलती कर बैठता है की उस पर दाग लग जाता है. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री हुंशियार थे,बेबाक थे,और आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह काफी लोकप्रिय भी थे. लेकिन उन्हों ने चीन से गहरी दोस्ती कर ऐसी गलती की कि उनके जीवन पर दाग लग गया. विस्तारवादी चीन ने भारत की कीतनी ही जमीन हडप ली. जमीन हडपना चीन की नीति है और वह कीसी से नहीं डरता.ना, मोदी से भी नहीं. मोदीने नेहरू को पानी पी पी कर कोसने में कोइ कसर नहीं छोड रखी. सरकार की कुछ गलतीयां नेहरू पर डाल दी गई. जीस नेहरू को वे कोसते है उसी नेहरू की तरह मोदी ने भी चीन के साथ दोस्ती का हाथ फैला कर जो गलती की उस पर हमारे 20 जाबांज रणबांकूरे शहिद हो गये.

नेहरू ने भी मोदी की तरह चीन पर भरोसा किया. हिन्दी-चीनी भाइ भाइ का नारा लगा कर चीनी सैनिक भारत में घूस आये और नेबरू की पीठ पर खंजर भोंक दिया. कीसी की गलती को देख कर जो सीखे उसे सयाना कहा जाता है. अनुभवी कह सकते है. लेकिन मोदीने  जिस नेहरू को कोसते है, उसी नेहरू की गलती दोहरा कर चीन के मुखिया शीन जिमपिंग को बार बार भारत बुलाते रहे.  वे खुद भी 2-3 बार चीन गये. शीन के साथ शान से चाय पी. चीन के मुखिया के गहरी दोस्ती का सिलसिला बढा और गुजरात के बाद तामिलनाडू में उन्की अच्छीखासी मेजबानी की गई. खुद मोदी जो कि जैसा देश-वैसा भेष में मानते है, उन्हों ने लूंगी और बुशर्ट पहन शीन का स्वागत किया. बातें हुई. फोटो सेशन हुआ. और यहां से जाने के बाद शीन ने क्या किया...?

उन्हों ने चीन का असली रूप बताया अपने गहरे दोस्त मोदी को और भारत को. डोकलाम के बाद लदाख. चीन के सैनिको ने भारत के 20 जवानो को जिस तरह लोहे के सरिये, कंटिली तार लगी लकडियां और पत्थर से पिट पिट कर मार डाले उसकी कोइ चर्चा टीवी मिडिया ने नहीं की. अच्छा नहीं लगता न. लेकिन दिल्ही के दंगो में आईबी कर्मी अंकित शर्मा के शरीर पर 400 घाव के निशान थे और कैसे उसको बरबर्ता के साथ मौत के घाट उतार दिया उस पर चर्चा होती रही टीवी मिडिया में. लेकिन फिर पीएम रपट में खुलासा हुआ की 400 नहीं 55 घाव के निशान थे. कीसी की भी हत्या नहीं होनी चाहिये. हमारे जवानों की भी हत्या नहीं होनी चाहिये. हां, ये हत्या ही है. निहत्थे जवानो को मोब लिचिंग की तरह मार दिये गये. और  सरकार कहती रही- चीन ने हमारी जमीन पर पैर नहीं रखा.....

जो ईतिहास से सबक ले वह गलती नहीं करता. भारत का और चीन का ईतिहास गवाह है कि 1962 में कैसे चीन ने नेहरू को, भारत को धोखा दिया. ठीक वैसा ही धोखा 2020 में चीन ने दिया.चीन के सैनिको नें 15 जून को अपने राष्ट्रपति शीन के जन्मदिन पर भारत के 20 जवानो की बलि चढा दी. और भारत मूंह देखता रहा. पूर्व जनरल एवम  मंत्री वी.के. सिंग ने दावा किया कि हमारे जवानो ने चीन के 40 जवानो को मार गिराये थे. यानि हमारे 20 और उनके 40. हमने चीन के डबल मार गिराये. कहने को तो ये अच्छा लगता है, लेकिन मंत्रीजी, दुश्मन कभी भी यह जाहिर नहीं करेंगा की उनके कितने मरे. हमारे कितने शहिद हुये वह हकीकत है लेकिन सामने कितने मरे या मारे गये इसका दावा कितना सही होता है वह एक आर्मी जनरल के नाते आप भलीभांति जानते ही है. आप सरकार में हो इसलिये सरकार की ही बात रखेंगे. और हां, आप तो चीन की आर्मी को अच्छी तरह से जानते ही हो तो आपने क्यों नहीं सलाह दी सरकार के मुखिया को की चीन से बच के रहने रे बाबा....?

लागा चुनरी पर दाग मिटाउ कैसे....!! मोदीजी, जैसे नेहरू के जीवन पर चीन की धोखेबाजी का दाग लग गया, वैसा ही आपके जीवन पर भी दाग लग गया. ये कुछ टीवी मिडिया आपको बताने की, दुनिया को कहने की हिंमत नहीं करेंगे. लेकिन ये अब ईतिहास के पन्ने पर लिख दिया गया है कि,  नेहरू ने धोखा खाया, आपने भी. नेहरी ने गलती की चीन से दोस्ती कर, आपने भी वही दोहराया और चीन के मुखिया को झुलाया साबरमती नदी के किनारे...उसी शीन ने आपको धोखा दिया और धोखे से हमारे 20 जवानो को मार डाले. वे मारते मारते मरे नहीं....वे मारते मारते शहिद हुये....दिल्ही की गलतियों का खामियाजा सीमा पर चुकाना पडा. पुलवामा  के जवान शहिदो को आपने खुद सर्दीयो में शौल ओढ कर एयरपोर्ट जा कर जा कर पुष्पांजलि दी थी, लेकिन  गलवान के शहिद जवान ईतने नशीबोंवाले नहीं थे कि आपके हाथों से  पुष्पाजंलि मिले, और नां ही रक्षा मंत्री का कंधा...!! वजह...? चुनाव नहीं है न.....!

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