सपा के साथ गठबंधन लगभग पूरी तरह खत्म कर देने की बसपा प्रमुख मायावती की सोमवार की घोषणा ने एक बार फिर साबित किया है कि गठबंधन जोड़ना और तोड़ना उनके लिए कोई नयी बात नहीं है. इस साल लोकसभा चुनाव से पहले 12 जनवरी को जब मायावती ने कहा कि देशहित में गेस्ट हाउस कांड को किनारे रखते हुए उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) से दोस्ती की है तो सियासी विश्लेषकों को लगा था कि यह साथ लंबा चलेगा. इस गठबंधन को राज्य की सियासत में ‘गेमचेंजर’ के तौर पर देखा गया. लेकिन महज छह महीनों के अंदर ही मायावती और अखिलेश यादव की राहें जुदा हो गई हैं.
सपा के साथ गठबंधन लगभग पूरी तरह खत्म कर देने की बसपा प्रमुख मायावती की सोमवार की घोषणा ने एक बार फिर साबित किया है कि गठबंधन जोड़ना और तोड़ना उनके लिए कोई नयी बात नहीं है. इस साल लोकसभा चुनाव से पहले 12 जनवरी को जब मायावती ने कहा कि देशहित में गेस्ट हाउस कांड को किनारे रखते हुए उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) से दोस्ती की है तो सियासी विश्लेषकों को लगा था कि यह साथ लंबा चलेगा. इस गठबंधन को राज्य की सियासत में ‘गेमचेंजर’ के तौर पर देखा गया. लेकिन महज छह महीनों के अंदर ही मायावती और अखिलेश यादव की राहें जुदा हो गई हैं.