इस बार के लोकसभा चुनाव में बीएसपी जीरो पर रही. उसका खाता तक नहीं खुला. पार्टी का वोट शेयर दशकों बाद सिंगल डिजिट में आ गया है. पार्टी का बेस वोट जाटव भी शिफ्ट होने लगा है. समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के बावजूद पिछली बार उसका वोट ट्रांसफर नहीं हुआ था. लेकिन इस आम चुनाव के परिणाम के बाद मायावती के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है. उनके कट्टर विरोधी अखिलेश यादव दलितों की पसंद बनने लगे हैं.