मध्यप्रदेश के एक आदिवासी ज़िले शहडोल के नौजवान पत्रकार शुभम बघेल कई साल से आदिवासियों के बीच रहकर उनके मुद्दों को पुरज़ोर ढंग से उठा रहे हैं । वे न केवल समस्या की तह तक जाकर काम करते हैं ,बल्कि समाधान। तक काम करते हैं ।प्रशासन शुभम की ख़बरों से घबराता है । न्यूज़ व्यूज़ इस कड़ी में आप तक इस नौजवान की कुछ समाचार कथाएँ प्रकाशित करने जा रहा है । सामाजिक और संवैधानिक सरोकारों से जुड़ी ये ख़बरें यकीनन हमारी व्यवस्था के लिए एक गंभीर सवाल हैं । पढ़िए इस कड़ी में कुपोषण पर यह पहली कड़ी
कुपोषण के भयावह हालात 1
आठ माह में सिर्फ ढाई किलो वजन
हड्डियों से चिपका मांस, हाथ लगाते ही निकल रहा खून
समय पर इलाज नही मिला तो टीबी ने जकड़ा
शुभम बघेल
शहडोल.संभाग के आदिवासी इलाकों में कुपोषण की भयावह स्थिति है। जिले के ब्यौहारी ओढारी कोलान टोला में 8 माह की बालिका कुपोषण के कुचक्र में फंसने के बाद जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है। 8 माह की उम्र में सिर्फ ढाई किलो वजन है। स्थिति यह है कि मांस हड्डियों से चिपक गया है।आंखें भीतर तक धंस चुकी हैं।
ब्यौहारी के ओढारी कोलान टोला निवासी रतरानी कोल के चार बच्चे हैं। रतरानी ने 10 अक्टूबर 2022 को एक बालिका को जन्म दिया था। बालिका जन्म से ही कमजोर थी । धीरे-धीरे वह कुपोषित हो गई। पिछले 8 माह से बालिका कुपोषण से जंग लड़ती रही, लेकिन अफसरों और महिला बाल विकास विभाग को जानकारी नहीं लगी। डॉक्टरों के अनुसार इस उम्र में बालिका का वजन 7 से 8 किलो होना चाहिए। विडंबना है कि आंगनबाड़ी रिकार्ड में कोलान टोला में कुपोषित बालिका का नाम ही नहीं है। इस कारण एनआर सी में भी उसे भर्ती नही कराया जा सका ।जब अधिकारियों को बताया गया तो तीन दिन बाद स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास की टीम एंबुलेंस लेकर गांव पहुंची। यहां परिजनों की काउंसलिंग कर कुपोषित बालिका को लेकर जिला अस्पताल पहुंचाया गया। इस बच्ची के फेफड़े गंभीर रूप से संक्रमित हैं । प्लेटलेट्स निरंतर कम होते जा रहे हैं।मेडिकल कॉलेज में यह बच्ची जीवन मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही है।डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची की हालत बेहद गंभीर है ।
इस इलाक़े में यह अकेला मामला नही है । इस तरह के हज़ारों बच्चे अपने अंधेरे भविष्य के साथ जीने के लिए मजबूर हैं ।
शहडोल संभाग में कुपोषण और लचर स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में पहले भी मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग, बाल संरक्षण आयोग और कोर्ट ने भी सख्ती दिखाई है। अनेक अधिकारियों को नोटिस भी जारी हो चुके हैं। इसके बावजूद लापरवाही कम नहीं हुई है।
संंविधान का अनुच्छेद -21 और अनुच्छेद- 47 सरकार को नागरिकों के लिए पर्याप्त भोजन के साथ सम्मानित जीवन सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय करने के लिए निर्देश देता है।अनुच्छेद 21 के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन से वंचित नहीं किया जा सकता। नीति निर्देशक तत्वोंं में भी प्रत्यक्ष रूप से कुपोषण खत्म करने की बात कही गई है। लेकिन आज भी हज़ारों नौनिहाल हिंदुस्तान की मुख्यधारा से कटे हुए हैं ।कोई मीडिया उनकी ओर ध्यान नहीं देता ।
चौंकाने वाले आंकड़े
अप्रैल 23 तक सिर्फ़ शहडोल ज़िले के तथ्य
2023 में सामान्य पोषण के दर्ज बच्चे 82014
कम वजन के बच्चे कुपोषित 10668
अति कम वजन के बच्चे कुपोषित 2080
मध्यम गंभीर कुपोषित बच्चे 4088
अति गंभीर कुपोषित बच्चे 820
(*जारी*)