डॉ. चन्दर सोनाने
हाल ही में सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने हरियाणा सरकार को शंभू बॉर्डर खोलने के निर्देश दिए हैं ।वहाँ धरने पर बैठे हजारों किसान अपनी माँगों के लिए दिल्ली आना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि आपने शंभू बॉर्डर को किस अधिकार से ब्लॉक कर रखा है ? सुप्रीमकोर्ट ने यह भी कहा है कि किसान भी देश के नागरिक हैं। उन्हें भोजन, अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ दीजिए। वे आयेंगे,नारे लगायेंगे और चले जायेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पहले पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने करीब 6 माह पहले बंद किए गए शंभू बॉर्डर को एक सप्ताह में खोलने का आदेश दिया था। हजारों किसान वहाँ 13 फरवरी 2013 से धरने पर बैठे थे। हरियाणा सरकार ने किसानों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए इस हाईवे को बंद कर दिया था। किसान करीब 6 माह से वहाँ दिल्ली जाने के लिए धरने पर बैठे हैं।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीमकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शन कर रहे 22 वर्षीय युवक की मौत की न्यायिक जाँच के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अपील की बात पर पीठ ने कहा कि आप हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती क्यों देना चाहते है ? राज्य सरकार हाई-वे कैसे ब्लॉक कर सकती है ? इसे नियंत्रित करना आपका काम है।इस दौरान हरियाणा सरकार की ओर से हाईवे खोलने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में अपील दायर कर दी गई है।
पिछले 13 फरवरी से हजारों किसान शंभू बॉर्डर पर अभी भी डटे हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों की एक बार फिर दिल्ली कूच की तैयारी है। पंजाब और हरियाणा के गाँवों से किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियाँ तैयार कर शंभू बॉर्डर जाने की तैयारी रहे हैं। उनकी ट्रैक्टर ट्रॉलियों में 6 माह का राशन भरा जा रहा है। इसके साथ ही किसान संगठनों के प्रमुखों ने 22 जुलाई को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में बड़ा आयोजन किया। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धिजीवियों और विपक्षी नेताओं को बुलाया गया।
चूंकि हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद शंभू बॉर्डर से अवरोध नहीं हटाए हैं। सरकार रास्ता खोलना नहीं चाहती। इसीलिए वह सुप्रीमकोर्ट गई है। यही नहीं हरियाणा की अंबाला पुलिस ने पुलिस लाईन ग्राउंड में दंगा रोधी उपकरणों को चलाने का अभ्यास भी किया। इस दौरान गैसगन, टीयर गैस, स्टेन सेल, एंटी राइटगन, रबर बुलेट आदि चलाने का अभ्यास किया। इससे पता चलता है कि सरकार हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद छह चक्रों वाले अवरोध हटाना नहीं चाहती। इतना ही नहीं किसानों को दिल्ली कूच करने पर उनके पासपोर्ट रद्द करने की चेतावनी भी दी जा रही है।
संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को एक राज्य से दूसरे राज्य में आने-जाने, रहने,व्यवसाय या नौकरी करने का अधिकार दिया है। संविधान के अनुसार प्रत्येक किसान को भी यह हक है कि वे अपनी माँगों की पूर्ति के लिए दिल्ली जाकर आवाज बुलंद करें। इसके लिए यह किया जा सकता है कि किसानों संगठनों से शांतिपूर्वक आंदोलन का शपथ पत्र ले लिया जाए। इसके बाद कोई बहाना नहीं बचता है कि हरियाणा सरकार दिल्ली जाने वाले हाई-वे पर छः लेयर के खड़े किये गए खतरनाक अवरोधों को हटा नहीं सके। यह अवरोध इतने खतरनाक हैं कि जैसे दुश्मन या आंतकवादियों को रोका जा रहा हो ! किसान देश के दुश्मन और आंतकवादी नहीं हो सकते। इसलिए उन्हें भी अधिकार है कि वे अधिकारों के लिए दिल्ली कूच कर सकें।
शंभू बॉर्डर पर छः माह से डटे किसान संगठनों ने कहा है कि जैसे ही हरियाणा सरकार बॉर्डर खोलेगी,वैसे ही हम दिल्ली कूच कर जायेंगे। हाईकोर्ट ने10 जुलाई को बॉर्डर खोलने के निर्देश दिए थे,वह अवधि निकल गई । हरियाणा सरकार हाईकोर्ट के आदेश के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट गई है।
हरियाणा सरकार को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देश के बाद वाजिब माँगों को तत्काल माना जाए। ताकि किसानों को भी लगे कि वाजिब मांगें सुनी जा रही हैं। अन्यथा जैसे छः माह पहले शंभू बॉर्डर पर किसानों के साथ अत्याचार और अन्याय हुआ था, वैसा ही फिर होने की आशंका है।