भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान के आतंकी कैंपों पर किए गए सफले हमले के पीछे इसरो की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस समय इसरो के सैटेलाइट पाकिस्तान की तमाम सैन्य गतिविधियों पर नजर गड़ाए हुए हैं। जी हां अंतरिक्ष में भारत का डंका बजाने वाला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो देश के लिए सामरिक दृष्टि से भी बहुत अहम है। इसरो के सैटेलाइट्स पाकिस्तान के 87 फीसदी हिस्से पर नजर रखते हैं और एच डी क्वॉलिटी की मैपिंग करते हैं, जो बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे ऑपरेशंस के लिए सस्त्रबलों के लिए महत्वपूर्ण इनपुट होते हैं।
भारतीय वायुसेना इसरो के काबिले तारीफ है। एक एयर मार्शल ने पिछले सप्ताह कहा था, ‘क्या हमें अधिक सैटेलाइट्स की जरूरत है? हां, लेकिन हमारी 70 फीसदी जरूरत पहले से पूरी हो रही है और हम ट्रैक पर हैं।’ जिन बड़े सैटेलाइट्स ने सुरक्षाबलों की सहायता की है उनमें, कार्टोसैट सीरीज के सैटेलाइट्स, GSAT-7 और GSAT-7A, IRNSS, माइक्रोसैट, रिसैट और एचवाईएसआईएस शामिल हैं। यदि इंडिविजुअल स्पेसक्राफ्ट को भी गिन लें तो 10 से अधिक ऑपरेशनल सैटेलाइट्स सेना के इस्तेमाल में हैं। इससे पहले कार्टोसैट का पहला बड़ा इस्तेमाल सितंबर 2016 में LoC पार सर्जिकल स्ट्राइक के लिए किया गया था।
भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान के आतंकी कैंपों पर किए गए सफले हमले के पीछे इसरो की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस समय इसरो के सैटेलाइट पाकिस्तान की तमाम सैन्य गतिविधियों पर नजर गड़ाए हुए हैं। जी हां अंतरिक्ष में भारत का डंका बजाने वाला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो देश के लिए सामरिक दृष्टि से भी बहुत अहम है। इसरो के सैटेलाइट्स पाकिस्तान के 87 फीसदी हिस्से पर नजर रखते हैं और एच डी क्वॉलिटी की मैपिंग करते हैं, जो बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे ऑपरेशंस के लिए सस्त्रबलों के लिए महत्वपूर्ण इनपुट होते हैं।
भारतीय वायुसेना इसरो के काबिले तारीफ है। एक एयर मार्शल ने पिछले सप्ताह कहा था, ‘क्या हमें अधिक सैटेलाइट्स की जरूरत है? हां, लेकिन हमारी 70 फीसदी जरूरत पहले से पूरी हो रही है और हम ट्रैक पर हैं।’ जिन बड़े सैटेलाइट्स ने सुरक्षाबलों की सहायता की है उनमें, कार्टोसैट सीरीज के सैटेलाइट्स, GSAT-7 और GSAT-7A, IRNSS, माइक्रोसैट, रिसैट और एचवाईएसआईएस शामिल हैं। यदि इंडिविजुअल स्पेसक्राफ्ट को भी गिन लें तो 10 से अधिक ऑपरेशनल सैटेलाइट्स सेना के इस्तेमाल में हैं। इससे पहले कार्टोसैट का पहला बड़ा इस्तेमाल सितंबर 2016 में LoC पार सर्जिकल स्ट्राइक के लिए किया गया था।