प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि देश की न्यायिक प्रणाली में ‘स्थगन का चलन' वादियों की पीड़ा को बढ़ाता है और अदालतों को मामलों पर फैसले सुनाने के लिए नागरिकों के मरने का इंतजार नहीं करना चाहिए. उन्होंने ये भी चिंता जताई कि ‘जमानत नियम है, जेल अपवाद है' का दीर्घकालिक सिद्धांत कमजोर हो रहा है, क्योंकि जिला अदालतें व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों से निपटने में झिझक रही हैं.