भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के नए मास्टर प्लान का भारी विरोध शुरू हो गया है । कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों तथा सामाजिक संगठनों ने शंका प्रकट की है कि चुनाव से ठीक पहले नए मास्टर प्लान को लाकर शिवराज सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह जंगल माफिया के हाथों में खेल रही है । इस मास्टर प्लान में भ्रष्टाचार की बू आती है ।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डाॅ. गोविन्द सिंह ने कहा है कि भोपाल का प्रस्तावित मास्टर प्लान भोपाल की जनता के साथ धोखा है। प्रस्तावित मास्टर प्लान में कोलार एवं रातीबड़ के बीच की भूमियों के बड़े भाग को सिटी फाॅरेस्ट एरिया घोषित किया गया है। सिटी फाॅरेस्ट क्षेत्र में किसान खेती बाड़ी नहीं कर सकते है और न ही किसी प्रकार व्यावसायिक गतिविधियां/ निर्माण नहीं कर सकते है। इसी तरह से रायसेन रोड़ पर प्रस्तावित मास्टर प्लान में भूमि का बहुत बड़ा हिस्सा सिटी फाॅरेस्ट कर दिया गया है। इससे लाखों किसान खेतीबाड़ी करने से वंचित होकर बेरोजगार की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मास्टर प्लान में आर-4 रेसीडेन्स जनरल (आवासीय सामान्य) में एफएआर में 0.25 निर्माण की परमिशन रहेगी। यानी 75 प्रतिशत भूमि बेकार हो जाएगी। एफएआर में निर्माण के अतिरिक्त निर्माण करने पर सरकार से फ्लोर एरिया रेसीडेंस जमीन का अनुपात निर्माण करने का अधिकार खरीदना पड़ेगा। प्रस्तावित मास्टर प्लान में सेवनिया ग्राम को जोकि बड़े तालाब से लगा हुआ है, उसका कुछ भाग आवासीय प्रस्तावित है एवं ग्राम बरखेड़ा नाथू के फार्महाउस में किया गया निर्माण अवैध है। उसकी जांच होनी चाहिए । इससे स्पष्ट हो जाएगा कि मास्टर प्लान में हेराफेरी की साज़िश की गई है । उसके लिए कौन जिम्मेदार है ? मास्टर प्लान में हेराफेरी करने से
व्यवस्थित शहर बसाने की बजाय अवैध निर्माण/कालोनियां निर्मित होगी जिससे अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होगी। इस तरह से प्रस्तावित भोपाल मास्टर प्लान के माध्यम से सरकार जनता को लूटने का प्रयास कर रही है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने अवैध कालोनियों को वैध करने के लिए जो घोषणा की है ऐसी स्थिति में प्रस्तावित मास्टर प्लान का क्या औचित्य रह जाएगा। मुख्यमंत्री जी की घोषणा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है