हार्ट अटैक एक गंभीर स्थिति है, जिसमें जरा सी देर होने पर व्यक्ति की जान चली जाती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतों का कारण हार्ट अटैक या दिल की दूसरी बीमारियां होती हैं। हार्ट अटैक को खतरनाक बीमारी माना जाता है क्योंकि कई बार ये मरीज को संभलने का भी मौका नहीं देती है। मगर अब जल्द ही हार्ट के मरीजों की जान बचाना आसान होगा। दरअसल वैज्ञानिकों ने एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) यानी एआई (AI) तैयार किया है, जो मरीज की दिल की धड़कन (Heart Beat) का अध्ययन करके ये बता देता है कि उसे हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर कितने समय बाद आने वाला है या इसकी कितनी संभावना है। इस तकनीक से जांच करने पर मरीज की जान आसानी से बचाई जा सकती है।
इस AI को दुनिया की 3 बड़ी यूनिवर्सिटीज ने मिलकर बनाया है- Surrey University , Warmick University और Florence University. इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इसके अध्ययन के बारे में जानकारी Biomedical Signal Processing and Control नाम के जर्नल में छापी गई है। जर्नल में छपे नए अध्ययन के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से डॉक्टर्स हार्ट के मरीजों की जांच करके दिल की स्थिति जान सकते हैं और ये भी जान सकते हैं कि उसे कब हार्ट फेल (Heart Failure) होने की आशंका है। खास बात ये है कि अध्ययन के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मिली जानकारी 100% सटीक साबित हुई हैं।
रिसर्च के अनुसार इन यूनिवर्सिटीज द्वारा तैयार किया गया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कॉन्जेस्टिव हार्ट फेल्योर (Congestive Heart Failure) को तुरंत और सटीकता के साथ पकड़ सकता है, वो भी सिर्फ 1 हार्ट बीट की जांच करके। कॉन्जेस्टिव हार्ट फेल्योर एक ऐसी समस्या है जो धीरे-धीरे बढ़ती है और शरीर में रक्त प्रवाह (Blood Circulation) को प्रभावित करती है। जैसे-जैसे ये बीमारी बढ़ती जाती है, व्यक्ति के दिल तक रक्त पहुंचना मुश्किल होता जाता है और एक दिन उसे हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर हो जाता है। मगर इस AI की मदद से अब इस बात को जानना आसान हो जाएगा कि मरीज को कितने समय बाद हार्ट फेल्योर हो सकता है।
भविष्य में एआई (AI) द्वारा रोगों की जांच करना ज्यादा आसान हो जाएगा और मरीजों की जान आसानी से बचाई जा सकेगी। इसका कारण यह है कि आजकल किसी रोग का पता लगाने के लिए जिन जांचों (Tests) का सहारा लिया जाता है, उनसे रिजल्ट मिलने में समय लगता है। कई रोग ऐसे भी हैं, जिनके टेस्ट के परिणाम 2-3 दिन बाद मिलते हैं। इसके अलावा ये बहुत मंहगे भी पड़ते हैं। जबकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से इन बीमारियों का पता 1 मिनट से भी कम समय में लगाया जा सकता है और ज्यादा ये ज्यादा सटीक जानकारी दे सकते हैं।
हार्ट अटैक एक गंभीर स्थिति है, जिसमें जरा सी देर होने पर व्यक्ति की जान चली जाती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतों का कारण हार्ट अटैक या दिल की दूसरी बीमारियां होती हैं। हार्ट अटैक को खतरनाक बीमारी माना जाता है क्योंकि कई बार ये मरीज को संभलने का भी मौका नहीं देती है। मगर अब जल्द ही हार्ट के मरीजों की जान बचाना आसान होगा। दरअसल वैज्ञानिकों ने एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) यानी एआई (AI) तैयार किया है, जो मरीज की दिल की धड़कन (Heart Beat) का अध्ययन करके ये बता देता है कि उसे हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर कितने समय बाद आने वाला है या इसकी कितनी संभावना है। इस तकनीक से जांच करने पर मरीज की जान आसानी से बचाई जा सकती है।
इस AI को दुनिया की 3 बड़ी यूनिवर्सिटीज ने मिलकर बनाया है- Surrey University , Warmick University और Florence University. इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इसके अध्ययन के बारे में जानकारी Biomedical Signal Processing and Control नाम के जर्नल में छापी गई है। जर्नल में छपे नए अध्ययन के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से डॉक्टर्स हार्ट के मरीजों की जांच करके दिल की स्थिति जान सकते हैं और ये भी जान सकते हैं कि उसे कब हार्ट फेल (Heart Failure) होने की आशंका है। खास बात ये है कि अध्ययन के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मिली जानकारी 100% सटीक साबित हुई हैं।
रिसर्च के अनुसार इन यूनिवर्सिटीज द्वारा तैयार किया गया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कॉन्जेस्टिव हार्ट फेल्योर (Congestive Heart Failure) को तुरंत और सटीकता के साथ पकड़ सकता है, वो भी सिर्फ 1 हार्ट बीट की जांच करके। कॉन्जेस्टिव हार्ट फेल्योर एक ऐसी समस्या है जो धीरे-धीरे बढ़ती है और शरीर में रक्त प्रवाह (Blood Circulation) को प्रभावित करती है। जैसे-जैसे ये बीमारी बढ़ती जाती है, व्यक्ति के दिल तक रक्त पहुंचना मुश्किल होता जाता है और एक दिन उसे हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर हो जाता है। मगर इस AI की मदद से अब इस बात को जानना आसान हो जाएगा कि मरीज को कितने समय बाद हार्ट फेल्योर हो सकता है।
भविष्य में एआई (AI) द्वारा रोगों की जांच करना ज्यादा आसान हो जाएगा और मरीजों की जान आसानी से बचाई जा सकेगी। इसका कारण यह है कि आजकल किसी रोग का पता लगाने के लिए जिन जांचों (Tests) का सहारा लिया जाता है, उनसे रिजल्ट मिलने में समय लगता है। कई रोग ऐसे भी हैं, जिनके टेस्ट के परिणाम 2-3 दिन बाद मिलते हैं। इसके अलावा ये बहुत मंहगे भी पड़ते हैं। जबकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से इन बीमारियों का पता 1 मिनट से भी कम समय में लगाया जा सकता है और ज्यादा ये ज्यादा सटीक जानकारी दे सकते हैं।