डॉ. सुधीर सक्सेना
पड़ोसी द्वीप राष्ट्र श्रीलंका की राजनीति अब नये युग में प्रवेश कर गयी है। 55 वर्षीय अनुरा कुमारा दिसानायके अब निर्वाचित राष्ट्रपति हैं और उनसे वय में एक वर्ष छोटी सुश्री हरिणी अमरसूर्या देश की प्रधानमंत्री। सुश्री हरिणी सिरियावो भंडारनायके और चंद्रिका कुमारतुंगा के बाद देश की तीसरी महिला प्रधानमंत्री हैं। अनुरा और हरिणी में सबसे बड़ा साम्य यह है कि दोनों ही के लिये सामाजिक सरोकार और वैचारिक प्रतिबद्धता मायने रखती है। अनुरा जहाँ स्पष्ट वामपंथी रूझान के लिये जाने जाते हैं वहीं हरिणी का भी झुकाव वाम की ओर है। दोनों की एक और समानता यह है कि दोनों ही आंदोलनों की आंच में तपकर सर्वोच्च पदों तक पहुंचे हैं।
छह मार्च, सन 1970 को जनमी हरिणी अकादेमीशियन और महिला व बाल अधिकारों की पैरोकार हैं। इंग्लैंड के एडिनबरा विश्वविद्यालय से सामाजिक नृ- विज्ञान में पीएचडी हरिणी मुक्त विश्वविद्यालय, कोलंबो में वरिष्ठ व्याख्याता रहीं और उन्होंने बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा के लिये आंदोलन में शिरकत की। सन् 2011 में वह शिक्षक संघों के नेशनल फेडरेशन से जुड़ीं। सन् 2009 में राष्ट्रपति पद के लिए संपन्न चुनाव में उन्हेंनि जन विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के प्रत्याशी अनुरा कुमारा दिसानायके के लिये प्रचार किया। अगले ही वर्ष वह अगस्त में राष्ट्रीय सूची के तहत संसद के लिए नामित हुई।
सुश्री हरिणी, वाम-सोच की उदारवादी नेत्री के तौर पर जानी जाती हैं। वह बेरोजगारी, लैंगिक असमानता, बाल - संरक्षण और शैक्षिक प्रणाली में सुधार पर शोध के लिए ज्ञात और ख्यात हैं। श्रीलंका के 16वें प्रधानमंत्री में तौर पर उन्होंने दिनेश गुणवर्धने का स्थान लिया है। वह वैदेशिक मामले भी देखेंगे। तय है कि भारत के विदेश मंत्री जयशंकर से उनकी जल्द ही मुलाकात व वार्ता होगी। श्रीलंका अपने इतिहास के नाजुक दौर से गुजर रहा है। उसके समक्ष वित्तीय संकट से उबरने के साथ-साथ चीन के विस्तारवादी और नव-औपनिवेशक विस्तार का खतरा भी है और देश की एकता और सार्वभौमिकता को बचाते हुए प्रगति के चुनौती भी। गौरतलब है कि अनुरा को तमिल मतदाताओं का अधिक समर्थन नहीं मिला है। श्रीलंका की लगभग 11 प्रतिशत आबादी तमिल मूल की है। बहरहाल, ऐतिहासिक छन्दय (चुनाव) के बाद अब सबकी नजरें राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके और प्रधानमंत्री हरिणी अमर सूर्या की सियासी जुगलबंदी और उसके परिणामों पर रहेंगी।