आज 19 मई को 17 वीं लोकसभा के आखिरी और सातवें चरण का मतदान पूरा होते ही अब तक के अलग अलग चरणों में हुआ मतदान, चुनावी मुद्दे, पुलवामा के बाद बने “नये भारत” की राष्ट्रवाद की रणभेरी, गरीबों के लिये साल में 72 हजार की नकद सहाय वाली न्याय योजना, पुलवामा-आतंकवाद, “पाकिस्तान से भारत को सिर्फ एक ही आदमी बचा सकता है खुद नरेन्द्र मोदी” का धुआंधार प्रचार, “चौकीदार चोर है…” को जन्म देने वाले सूत्र की माता समान राफेल जेट विमान सौदा, अनिल अंबाणी-अदाणी पर लगातार वार पे वार, नेहरू-सरदार-गांधीजी- जिन्ना की माला जपना, सरकार बनते ही 22 लाख को सरकारी नोकरी और पंचायतो में 10 लाख को नौकरी का पंजे का वादा, INS विराट-INS सुमात्रा, आम छील के खाते हो या काट के वाला कनाडाई नागरिक अक्षय कुमार का इन्टरव्यू, गंदी नाली का कीड़ा, “तेरा बाप मरते दम तक भ्रष्टाचारी नंबर वन’, सिक्खों विरोधी दंगे- हुआ तो हुआ.. वाला टैग, महामिलावटी गठबंधन कह कर मजाक उडाना, कमलनाथ- नोटो के थैले वाला आरोप, नामदार, शहजादा-शहजादी, डिवाइडर इन चीफ वाला TIME,, थप्पड मारूंगी, कायर और कमजोर प्रधानमंत्री.. रडार-बादल, ई-मेल और डिजीटल कैमरे की रोचक कहानियां इन सारे आरोप-प्रत्यारोप और भरमार बीच भारत के महाभारत से जो राजनीतिक चित्र चुनावी शतरंज की चौपट की सतह पर नीचे से उपर आ रहा है वह बताता है कि जिसे महामिलावटी गठबंधन कहा गया वह महागठबंधन द्वारा दक्षिण के क्षत्रपों की सहाय से सरकार बनती नजर आ रही है हंग पार्लियामेन्ट के साथ…!!
महागठबंधन की सरकार में प्रधानमंत्री कौन होगा ये ते बाद में तय होगा लेकिन उप प्रधानमंत्री बनना अभी से मानो तय है और वह हे टीआरएस के केसीआर…! महागठबंधन को टीआरएस-बीजेडी और जगन रेड्डी द्वारा समर्थन मिल सकता है। 2014 से 2019 तक पांच साल राज करने वाले भाजपा के लिए इस बार ये इश्क नहीं आसान की तरह 2014 का 282 सीटों वाला पुनरावृत्ति नहीं होगा। किन्तु भाजपा को 543 में से सिर्फ 185 से 190 सीटें और एनडीए को कुल मिलाकर 219 से 228 सीटें मिल सकती हैं तो कांग्रेस को 134 से 139 सीटें और यूपीए को 180 से 187 सीटों, महागठबंधन को 70 से 75 सीटें मिलने की संभावना के साथ बीजेडी-और जगन रेड्डी वाली वायएसआर कांग्रेस किंग मेकर्स की भूमिका में नजर आ रहे है.
यदि राज्यवार देखा जाय तो…
आंध्रप्रदेश में 25 सीटो में से पिछली बार चंद्राबाबू नायडू की पार्टी तेलुगु देशम को 16 सीटें मिली थी. वायएसआर काग्रेंस पार्टी को 9, औवेसी की पार्टी को 1, भाजपा को 3, कांग्रेस को 2, और टीआरएस-तेलंगाना राष्ट्रीय समिति को 11 सीटें मिली थी. नायडू उस वक्त भाजपा के साथ ते, अब नहीं है. 2019 के चुनाव में तेलुगूदेशम को 11, भाजपा को 1, कांग्रेस को 1, और जगन रेड्डी की वायएसआर कांग्रेस पार्टी को 12 सीटें मिल सकती है. औवेसी की पार्टी को एक भी सीट मिलने के आसार नहीं.
अंडमान निकोबार की एक ही सीट है जो भाजपा ने 2014 में जीती थी. इसबार भी भाजपा यह सीट जीत सकती है.
पूर्वोत्तर के अरूंणाचल प्रदेश में 2014 में 2 सीटों में से एक भाजपा ने एक कांग्रेस ने जीती थी. इस बार भी दोनों मुख्य दल एक एक सीट जीतने के आसार है. असम में इस बार भाजपा की सरकार है. 2014 में भाजपाने 14 में से आधी 7 सीटे जीती थी. ओल इन्डिया युनाइटेड डेमोक्रेटीक फ्रन्ट ने 3, निर्दलीय-1, और कांग्रेस ने-3 सीटें जीती थी. इस बार भाजपा को-6, फ्रन्ट को-3, कांग्रेस को-4, और एक सीट निर्दलीय को मिल सकती है.
बिहार- भारत की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले तीन राज्यो में से एक बिहार की 40 सीटों में से 2014 में भाजपा को 22, कांग्रेस-2, जेडीयू-2, लोजपा-6, एनसीपी-1, आरजेडी-4 और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 3 सीटें मिली थी. इस वक्त बिहार मे जेडीयू और भाजपा की सरकार है. भाजपा कम सीटों पर चुनाव लडी है. 2019 के चुनाव में बिहार में भाजपा को- 11, कांग्रेस-6, जेडीयू-8, लोजपा-2, आरजेडी-11 और लोकसमता पार्टी को 1 सीट मिल सकती है. जेडीयू के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार हवा का रूख देख करवट बदलने के मूड में है.
चंडीगढ- संघ प्रदेश चंडीगढ की एक सीट 2014 में भाजपा ने जीती थी. इस बार भी वहां कमल का फूल खिल सकता है.
छत्तीसगढ- नक्सल ग्रस्त छत्तीसगढ में इस वक्त कांग्रेस की सरकार है. कुल 11 में से पिछली बार भाजपा को 10 और कांग्रेस को 1 सीट मिली थी. इस बार कांग्रेस को 6 और 15 साल राज करने वाली भाजपा को 5 सीटें मिल सकती है. चुनाव के दौरान यहां नक्सली हमले भी हुए थे और भाजपा के विधायक की हत्या कर दी गइ थी.
दानह- संघप्रदेश दादरा नगर हवेली की एक ही सीट है. 2014 में भाजपा ने जीती थी. इस बार यह सीट कांग्रेस के जीतने के आसार हैं।
द्वीप-दमन- संघ प्रदेश द्वीप और दमन जो कि गुजरात के निकट ही है उसकी एक ही सीट 2014 की तरह भाजपा फिर से जीत सकती है।
गोवा- गोवा में भाजपा और अन्य स्थानीय पक्ष की मिलीजुली सरकार है. गोवा की सभी 2 सीटें भाजपा ने 2014 में जीती थी, जो मनोहर पर्रिकर को श्रेय जाता है. इस चुनाव से पहले ही वे चल बसे. इस लिये 2 में से भाजपा को सिर्फ 1 ही सीट मिल सकती है. गोवा में भाजपा को पछाड सरकार बनाने की लगातार कोशिश में लगी कांग्रेस को 1 सीट मिल सकती है. यानि फिफ्टी फिफ्टी.
गुजरात- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के होम स्टेट गुजरात नें 2014 को सभी 26 सीटें मोदी के कदमों में अर्पित की थी. इस बार ऐसा नजर नहीं आ रहा. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बिना मोदी के भारी राजनीतिक नुकसान उठाना पडा और 182 में से सिर्फ 99 सीटों के साथ सरकार बनानी पडी. कांग्रेस ने राहुल गांधी की अगुवाई में अच्छा प्रदर्शन कर 77 सीटें जीती थी. जो 1995 से लेकर अबतक की सबसे ज्यादा थी. भाजपा ने इसके बाद कांग्रेस के कुछ विधायको को तोडे हैं. माहौल ऐसा है की इस बार भाजपा सभी 26 सीटें मोदी के कदमों में नहीं रख सकती. कांग्रेस को 6 और भाजपा को 20 सीटें मिल सकती है. गुजरात में भाजपा को एक भी सीट कम यानि मोदी की छवि के लिये अच्छे दिन नहीं.
हि.प्र.- पहाडों की रानी शिमला जहां है वह हिमाचल प्रदेश में इस बार भाजपा की सरकार है. लोकसभा की 4 सीटों मे से पिछली बार भाजपा को सभी 4 सीटे मिली थी. इस बार भाजपा को 3 और 1 सीट कांग्रेस को मिल सकती है.
हरियाणा- पंजाब दिल्ही से सटे ये राज्य हरयाणा में भाजपा की सरकार है. मुख्यमंत्री खट्टर के खिलाफ असंतोष, राम-रहीम मामला और कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए इस बार 10 में से भाजपा को सिर्फ 4 सीटें मिलने के आसार हैं. पिछली बार भाजपा ने कांग्रेस के हुड्डा राज में 7 सीटें जीती थी. कांग्रेस को सिर्फ 1 ही सीट और इन्डियन नेशनल लोकदल ने 2 सीटें जीती थी. इस बार कांग्रेस को 6 सीटे मिलने के आसार हैं. चौटाला परिवार को एक भी सीट मिलनी मुश्किल है.
जम्मू-कश्मीर आतंकवाद ग्रस्त जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने पीडीपी के साथ सत्ता सुख भोगा है. सरकार ज्यादा नहीं चली और पुलवामा आतंकी हमला तथा भाजपा और पीडीपी की महबूबा का असली रंग निखर आने के बाद इस राज्य में लोकसभा की 6 सीटों के लिये बहुत ही कम मतदान हुआ है. मतदान के दौरान हमले हुये है. 6 में से भाजपा को इस बार सिर्फ 1 ही सीट मिल सकती है. पिछली बार 3 सीटें मिली थी. और 3 सीटे पीडीपी को मिली थी. इसबार पीडीपी को 2, कांग्रेस को -1, पीडीपी को- 2 और अन्य को 2 सीटें मिल सकती है. कश्मीर के मतदान पर पुलवामा हमले क असर देखने को मिली है.
झारखंड- कोयला खदान के लिये मशहूर झारखंड में इस बार भाजपा की सरकार है. 2014 में 14 में से 12 सीटें भाजपा ने जीती थी. झामुमो को 2 सीट मिली थी. कांग्रेस को एक भी सीट हाथ नहीं लगी थी. इस बार भाजपा को 11, झामुमो को 1 और 2 सीट कांग्रेस को मिल सकती है.
कर्नाटक- दक्षिण के राज्यों में भाजपा ने सब से पहले कर्नाटक में ही येदुरप्पा के अगुवाई में सत्ता हासिल की थी. इस वक्त कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की मिली जुली सरकार है. 2014 में भाजपा को 28 में से 17, कांग्रेस को- 9 और जेडीएस को सिर्फ 2 सीटे मिली थी. 2019 में जो आसार नजर आ रहे है वह बता रहे हैं की भाजपा-14, कांग्रेस-12 और जिस पार्टी का मुख्यमंत्री है वह जेडीएस को सिर्फ 2 सीटें मिल सकती है, जो कि देवेगौडा परिवार को ही मिल सकती है.
केरल- दक्षिण भारत में केरल वामपंथियों का गढ रहा है. भाजपा ने यहां काफी जोर लगाया है. 2014 में केरल की 28 सीटों में से कांग्रेस को 8 सीटें मिली थी. सीपीआई को -1, सीपीआई-एम को 5, इन्डियन यूनियन मुस्लिम लीग-2, केरला कांग्रेस-1, आरएसपी-1 सीट जब की भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी. केरल की वायनाड से सीट से भी राहुल गांधी इस बार चुनाव लड रहे है इसलिये इस बार कांग्रेस को 11 सीटें मिलने के आसार है. भाजपा को खाता खुलवाने के लिये एक ही सीट मिल सकती है. सीपीआई को -1, सीपीआई-एम को -3, मुस्लिम लीग को -1, केरला कांग्रेस-एम को-1, और आरएसपी को-1 सीट के साथ 1 सीट निर्दलीय के खाते में जा सकती है. कांग्रेस को वायनाड का फायदा हो सकता है.
लक्षद्वीप- संघ प्रदेश लक्षद्वीप की एक सीट इस बार भी एनसीपी के खाते में जा सकती है.
मध्य प्रदेश में इस चुनाव के दौरान कांग्रेस सत्ता में है. म.प्र. की 29 सीटों में से 2014 में भाजपा को उस वक्त राज्य में अपनी सरकार होने से 27 सीटें मिली थी. कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटों से ही संतोष मानना पडा था. इस बार कांग्रेस सत्ता में होने से उसे 29 में से 20 सीटें मिल सकती है. जब की भाजपा को 9 सीटें मिलने की संकेत मिल रहे है. म.प्र. में भोपाल सीट रोचक बनी है. मोदी ने यहां आतंकवाद के अपराध में आरोपित प्रज्ञा ठाकुर को टिकट दिया है. कांग्रेस ने भाजपा को हिन्दू आतंकवाद कहने वाले दिग्गी राजा को टिकट दिया है. भोपाल से संसद में कौन जायेगा यह कहना मुश्किल लग रहा है.
महाराष्ट्र- मराठा प्रभावी महाराष्ट्र में 2014 में भाजपा को 48 में से 23 और सहयोगी शिवसेना को 18 सीटें मिली थी. कांग्रेस-2, एनसीपी-4 और स्वाभिमानी पक्ष को 1 सीट मिली थी. इस बार भाजपा को 14, शिवसेना को 12, एनसीपी को- 9 और कांग्रेस को 12 सीटें मिल सकती है. स्वाभिमानी को इस बार भी एक सीट मिलने के आसार है.
पूर्वोत्तर के मणिपुर में 2014 में सभी 2 सीटे कांग्रेस ने जीती थी. इस बार भी कांग्रेस को जीतने के आसार है. भाजपा को इस बार भी यहां एक भी सीट नहीं मिल रही.
मेघालय में 1 सीट कांग्रेस ने और 1 सीट नेशनल पीपल्स पार्टी ने जीती थी. इस बार भी उसका पुनरावर्तन हो सकता है.
मिजोरम की 1 सीट इस बार भी कांग्रेस के खाते में जा सकती है.
नागालैंड़ में 1 सीट इस बार भी न तो भाजपा न तो कांग्रेस लेकिन नागा पीपल्स फ्रन्ट को मिल सकती है.
दिल्ली- कहते है दिल्ली दिल वालों की लेकिन इस बार दिल्ली का दिल गौतम गंभीर के लिये गंभीर है या फिर आप पार्टी के लिये ये भी रोचक बनने जा रहा है. 2014 में सभी 7 सीटें भाजपा ने जीती थी. उस वक्त दिल्ली राज्य में कांग्रेस सत्ता में थी. 2015 में आप की सरकार बनी. और इस चुनाव में कांग्रेस तथा आप में गठबंधन न होने से 7 सीटों के लिये त्रिकोणिय जंग में भाजपा को 3, आप को 2 और कांग्रेस को 2 सीटें मिल सकती है. गौतम गंभीर पर पंपलेट छपवाने के गंभीर आरोप भी लगे थे.
ओडिशा फानी नामक तुफानी चक्रवात से पहले ही वहां मतदान हो चुका था. 2014 में 21 में से सत्ता दल बीजेडी को 20 सीटें मिली थी. भाजपा को सिर्फ 1 ही सीट मिली थी. कांग्रेस को एक भी नही. इस बार फानी के बाद मोदी ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की प्रशंसा कर परिणाम के बाद शायद उनका समर्थन लेना पडे ऐसी कोई रणनीति अपनाई है. इस बार बीजेडी को-16, भाजपा को- 2, और कांग्रेस को 3 सीटें मिल सकती है.
पुद्दुचेरी -दक्षिण भारत में छोटे से राज्य पुद्दुचेरी में मोदी सरकार द्वारा नियुक्त उप राज्यपाल किरण बेदी ने कांग्रेस सरकार को सताये जाने की लगातार खबरें आती रही है. यहां की एक ही सीट है और वह इस बार भी आल इन्डिया एन.आर. कांग्रेस को मिल सकती है.
पंजाब- पांच नदियों वाला पंजाब राज्य इस बार कांग्रेस के हाथ में है. भाजपा ने सिक्ख दंगों को लेकर कांग्रेस के खिलाफ बहुत ही प्रचार किया. राजीव गांधी भी प्रचार में आये नहीं लेकिन मोदी द्वारा लाये गये. पंजाब की 13 सीटों में से 2014 में शिरोमणि अकाली दल को 4, कांग्रेस को-3, भाजपा को-2, आप को- 4 सीटें मिली थी. इस बार आप को- सिर्फ 1 से ही संतोष मानना पड सकता है. कांग्रेस को-8, भाजपा-3 और शिरोमणि अकाली दल को-1 सीट मिलने की संभावना है.
राजस्थान- पधारो म्हारे देश वाले राज्य राजस्थान में 25 सीटें हैं. 2014 में भाजपा का राज था. अब कांग्रेस की सरकार है. इसलिए कांग्रेस को 25 में से 18 सीटें मिल सकती है. पिछली बार कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. सभी 25 सीटें भाजपा को मिली थी. इसबार भाजपा को 7 सीटें मिल सकती है.
सिक्किम- पूर्वोत्तर के सिक्किम में एक सीट है. 2014 को भाजपा या कांग्रेस नहीं लेकिन सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रन्ट को सीट मिली थी. इस बार भी उसे ही यह सीट स्थानीय दल की वजह से मिल सकती है.
तेलंगाना- केन्द्र में किसकी सरकार बनती है उसकी चाबी जिस के पास हो सकती है वह तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर (वे इसी नाम से जाने जाते है) ने विधानसभा में भारी बहुमत जीता था. 2014 में यह अलग राज्य नहीं था. अलग राज्य बनने के बाद लोकसभा में इसकी 17 सीटें तय की गई है. अलग राज्य के बाद तेलंगाना के लिये यह पहला लोकसभा चुनाव है. केसीआर की पार्टी टीआरएस को 17 में से 13 सीटें मिल सकती है. कांग्रेस को-3, भाजपा को यहां एक भी सीट नहीं मिल रही. औवेसी की पार्टी को 1 सीट मिल सकती है. औवेसी केसीआर के साथ हैं.
तमिलनाडु- तमिलनाडु में लोकसभा के ये चुनाव दो बडी स्थानीय पार्टियां अपने दिग्गज नेताओं की अनुपस्थिति में लडे हैं. डीएमके के के. करूणानिधि नहीं रहे तो उनकी कट्टर प्रतिद्वंदी रही जयललिता भी नहीं रही. उनकी पार्टी ऑल इन्डिया अन्ना द्रमुक पार्टी ने 2014 में 39 में से 37 सीटें जीती थी. भाजपा को 1 सीट और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. पट्टली मक्कल कत्ची पार्टी को 1 सीट मिली थी. इस बार जो चित्र बना है उसके मुताबिक जयललिता की पार्टी को -6, कांग्रेस-11, पट्टली पार्टी को 2, डीएमके को 16 और अन्यों को 4 सीटें जा सकती है. भाजपा को इस बार एक भी सीट नहीं मिल रही.
त्रिपुरा- पूर्वोत्तर के त्रिपुरा में भाजपा को सत्ता मिली है. लेकिन इस बार भी 2 सीटे सीपीआइ-एम के खाते में जा सकती है. वामपंथी अभी भी प्रभावी हैं.
चारधाम का राज्य- उत्तराखंड में चार धाम स्थित है. चारों धामो के कपाट खुल चुके है. भक्तों की लाइन लगी है पावन दर्शन के लिये. इस चारो धाम वाले राज्य की 5 सीटें है. 2014 में सभी 5 सीटें भाजपा ने मोदी की वजह से जीती थी. 2019 में भाजपा सो सभी तो नहीं लेकिन 4 सीटे और 1 सीट कांग्रेस को मिल सकती है.
प. बंगाल- इस चुनाव में पूरे देश में जहां सब से ज्यादा चुनावी तनाव और हिंसा की घटनायें हुइ वह है प. बंगाल. भाजपा ने ममता को हराने की भारी मश्ककत की. कोलकाता में भाजपा अध्यक्ष की रैली पर हमला हुआ. भाजपा और ममता की पार्टी टीएमसी के कुछ कार्यकर्ता भी चुनाव के दौरान मारे गये. पूरे देश में बंगाल सब से ज्यादा चर्चा में रहा. यूपी-बिहार की तरह आयोग ने बंगाल में भी सातों चरणों में सीटों को बांट कर मतदान रखा था. हजारों केन्द्रीय सुरक्षा बल तैनात फिर भी हिंसा की घटनायें हुई. बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें है. राजनीति और सियासी के हिसाब से यह महत्वपूर्ण राज्य है. 2014 में मोदी वेब फिर भी भाजपा को सिर्फ 2 सीटे ही यहां मिली थी. कांग्रेस को 4 और सीपीआई-एम को 2 सीटें तथा टीएमसी को 34 सीटें मिली थी. बंगाल में भाजपा और ममता बनर्जी के बीच काफी तनातनी बनी रही. सातवें चरण के मतदान से पहले अमित शाह की रैली में हमला और समाज सुधारक विध्यासागर की मूर्ति तोडने की घटनाएं बहुत बड़ा मोड़ लिया। इसे लेकर भारी तनातनी के बीच ममता को 28, भाजपा को 8, कांग्रेस-2 और सीपीआई-एम को 4 सीटें मिल सकती है. हो सकता है की बंगाल के महान सुधारक इश्वरचन्द्र विद्यासागर की मूर्ति कांड का सियासी फायदा ममता को मिल सकता है. और उसकी सीटे बढ सकती है. यह मूर्ति शाह की रैली के दौरान भाजपा के कार्यकर्ताओं ने तोडने का आरोप है. जबकि भाजपा ने इसे ममता के कार्यकर्ताओं की साजिश बताई थी. (courtesy: GNS)
आज 19 मई को 17 वीं लोकसभा के आखिरी और सातवें चरण का मतदान पूरा होते ही अब तक के अलग अलग चरणों में हुआ मतदान, चुनावी मुद्दे, पुलवामा के बाद बने “नये भारत” की राष्ट्रवाद की रणभेरी, गरीबों के लिये साल में 72 हजार की नकद सहाय वाली न्याय योजना, पुलवामा-आतंकवाद, “पाकिस्तान से भारत को सिर्फ एक ही आदमी बचा सकता है खुद नरेन्द्र मोदी” का धुआंधार प्रचार, “चौकीदार चोर है…” को जन्म देने वाले सूत्र की माता समान राफेल जेट विमान सौदा, अनिल अंबाणी-अदाणी पर लगातार वार पे वार, नेहरू-सरदार-गांधीजी- जिन्ना की माला जपना, सरकार बनते ही 22 लाख को सरकारी नोकरी और पंचायतो में 10 लाख को नौकरी का पंजे का वादा, INS विराट-INS सुमात्रा, आम छील के खाते हो या काट के वाला कनाडाई नागरिक अक्षय कुमार का इन्टरव्यू, गंदी नाली का कीड़ा, “तेरा बाप मरते दम तक भ्रष्टाचारी नंबर वन’, सिक्खों विरोधी दंगे- हुआ तो हुआ.. वाला टैग, महामिलावटी गठबंधन कह कर मजाक उडाना, कमलनाथ- नोटो के थैले वाला आरोप, नामदार, शहजादा-शहजादी, डिवाइडर इन चीफ वाला TIME,, थप्पड मारूंगी, कायर और कमजोर प्रधानमंत्री.. रडार-बादल, ई-मेल और डिजीटल कैमरे की रोचक कहानियां इन सारे आरोप-प्रत्यारोप और भरमार बीच भारत के महाभारत से जो राजनीतिक चित्र चुनावी शतरंज की चौपट की सतह पर नीचे से उपर आ रहा है वह बताता है कि जिसे महामिलावटी गठबंधन कहा गया वह महागठबंधन द्वारा दक्षिण के क्षत्रपों की सहाय से सरकार बनती नजर आ रही है हंग पार्लियामेन्ट के साथ…!!
महागठबंधन की सरकार में प्रधानमंत्री कौन होगा ये ते बाद में तय होगा लेकिन उप प्रधानमंत्री बनना अभी से मानो तय है और वह हे टीआरएस के केसीआर…! महागठबंधन को टीआरएस-बीजेडी और जगन रेड्डी द्वारा समर्थन मिल सकता है। 2014 से 2019 तक पांच साल राज करने वाले भाजपा के लिए इस बार ये इश्क नहीं आसान की तरह 2014 का 282 सीटों वाला पुनरावृत्ति नहीं होगा। किन्तु भाजपा को 543 में से सिर्फ 185 से 190 सीटें और एनडीए को कुल मिलाकर 219 से 228 सीटें मिल सकती हैं तो कांग्रेस को 134 से 139 सीटें और यूपीए को 180 से 187 सीटों, महागठबंधन को 70 से 75 सीटें मिलने की संभावना के साथ बीजेडी-और जगन रेड्डी वाली वायएसआर कांग्रेस किंग मेकर्स की भूमिका में नजर आ रहे है.
यदि राज्यवार देखा जाय तो…
आंध्रप्रदेश में 25 सीटो में से पिछली बार चंद्राबाबू नायडू की पार्टी तेलुगु देशम को 16 सीटें मिली थी. वायएसआर काग्रेंस पार्टी को 9, औवेसी की पार्टी को 1, भाजपा को 3, कांग्रेस को 2, और टीआरएस-तेलंगाना राष्ट्रीय समिति को 11 सीटें मिली थी. नायडू उस वक्त भाजपा के साथ ते, अब नहीं है. 2019 के चुनाव में तेलुगूदेशम को 11, भाजपा को 1, कांग्रेस को 1, और जगन रेड्डी की वायएसआर कांग्रेस पार्टी को 12 सीटें मिल सकती है. औवेसी की पार्टी को एक भी सीट मिलने के आसार नहीं.
अंडमान निकोबार की एक ही सीट है जो भाजपा ने 2014 में जीती थी. इसबार भी भाजपा यह सीट जीत सकती है.
पूर्वोत्तर के अरूंणाचल प्रदेश में 2014 में 2 सीटों में से एक भाजपा ने एक कांग्रेस ने जीती थी. इस बार भी दोनों मुख्य दल एक एक सीट जीतने के आसार है. असम में इस बार भाजपा की सरकार है. 2014 में भाजपाने 14 में से आधी 7 सीटे जीती थी. ओल इन्डिया युनाइटेड डेमोक्रेटीक फ्रन्ट ने 3, निर्दलीय-1, और कांग्रेस ने-3 सीटें जीती थी. इस बार भाजपा को-6, फ्रन्ट को-3, कांग्रेस को-4, और एक सीट निर्दलीय को मिल सकती है.
बिहार- भारत की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले तीन राज्यो में से एक बिहार की 40 सीटों में से 2014 में भाजपा को 22, कांग्रेस-2, जेडीयू-2, लोजपा-6, एनसीपी-1, आरजेडी-4 और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 3 सीटें मिली थी. इस वक्त बिहार मे जेडीयू और भाजपा की सरकार है. भाजपा कम सीटों पर चुनाव लडी है. 2019 के चुनाव में बिहार में भाजपा को- 11, कांग्रेस-6, जेडीयू-8, लोजपा-2, आरजेडी-11 और लोकसमता पार्टी को 1 सीट मिल सकती है. जेडीयू के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार हवा का रूख देख करवट बदलने के मूड में है.
चंडीगढ- संघ प्रदेश चंडीगढ की एक सीट 2014 में भाजपा ने जीती थी. इस बार भी वहां कमल का फूल खिल सकता है.
छत्तीसगढ- नक्सल ग्रस्त छत्तीसगढ में इस वक्त कांग्रेस की सरकार है. कुल 11 में से पिछली बार भाजपा को 10 और कांग्रेस को 1 सीट मिली थी. इस बार कांग्रेस को 6 और 15 साल राज करने वाली भाजपा को 5 सीटें मिल सकती है. चुनाव के दौरान यहां नक्सली हमले भी हुए थे और भाजपा के विधायक की हत्या कर दी गइ थी.
दानह- संघप्रदेश दादरा नगर हवेली की एक ही सीट है. 2014 में भाजपा ने जीती थी. इस बार यह सीट कांग्रेस के जीतने के आसार हैं।
द्वीप-दमन- संघ प्रदेश द्वीप और दमन जो कि गुजरात के निकट ही है उसकी एक ही सीट 2014 की तरह भाजपा फिर से जीत सकती है।
गोवा- गोवा में भाजपा और अन्य स्थानीय पक्ष की मिलीजुली सरकार है. गोवा की सभी 2 सीटें भाजपा ने 2014 में जीती थी, जो मनोहर पर्रिकर को श्रेय जाता है. इस चुनाव से पहले ही वे चल बसे. इस लिये 2 में से भाजपा को सिर्फ 1 ही सीट मिल सकती है. गोवा में भाजपा को पछाड सरकार बनाने की लगातार कोशिश में लगी कांग्रेस को 1 सीट मिल सकती है. यानि फिफ्टी फिफ्टी.
गुजरात- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के होम स्टेट गुजरात नें 2014 को सभी 26 सीटें मोदी के कदमों में अर्पित की थी. इस बार ऐसा नजर नहीं आ रहा. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बिना मोदी के भारी राजनीतिक नुकसान उठाना पडा और 182 में से सिर्फ 99 सीटों के साथ सरकार बनानी पडी. कांग्रेस ने राहुल गांधी की अगुवाई में अच्छा प्रदर्शन कर 77 सीटें जीती थी. जो 1995 से लेकर अबतक की सबसे ज्यादा थी. भाजपा ने इसके बाद कांग्रेस के कुछ विधायको को तोडे हैं. माहौल ऐसा है की इस बार भाजपा सभी 26 सीटें मोदी के कदमों में नहीं रख सकती. कांग्रेस को 6 और भाजपा को 20 सीटें मिल सकती है. गुजरात में भाजपा को एक भी सीट कम यानि मोदी की छवि के लिये अच्छे दिन नहीं.
हि.प्र.- पहाडों की रानी शिमला जहां है वह हिमाचल प्रदेश में इस बार भाजपा की सरकार है. लोकसभा की 4 सीटों मे से पिछली बार भाजपा को सभी 4 सीटे मिली थी. इस बार भाजपा को 3 और 1 सीट कांग्रेस को मिल सकती है.
हरियाणा- पंजाब दिल्ही से सटे ये राज्य हरयाणा में भाजपा की सरकार है. मुख्यमंत्री खट्टर के खिलाफ असंतोष, राम-रहीम मामला और कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए इस बार 10 में से भाजपा को सिर्फ 4 सीटें मिलने के आसार हैं. पिछली बार भाजपा ने कांग्रेस के हुड्डा राज में 7 सीटें जीती थी. कांग्रेस को सिर्फ 1 ही सीट और इन्डियन नेशनल लोकदल ने 2 सीटें जीती थी. इस बार कांग्रेस को 6 सीटे मिलने के आसार हैं. चौटाला परिवार को एक भी सीट मिलनी मुश्किल है.
जम्मू-कश्मीर आतंकवाद ग्रस्त जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने पीडीपी के साथ सत्ता सुख भोगा है. सरकार ज्यादा नहीं चली और पुलवामा आतंकी हमला तथा भाजपा और पीडीपी की महबूबा का असली रंग निखर आने के बाद इस राज्य में लोकसभा की 6 सीटों के लिये बहुत ही कम मतदान हुआ है. मतदान के दौरान हमले हुये है. 6 में से भाजपा को इस बार सिर्फ 1 ही सीट मिल सकती है. पिछली बार 3 सीटें मिली थी. और 3 सीटे पीडीपी को मिली थी. इसबार पीडीपी को 2, कांग्रेस को -1, पीडीपी को- 2 और अन्य को 2 सीटें मिल सकती है. कश्मीर के मतदान पर पुलवामा हमले क असर देखने को मिली है.
झारखंड- कोयला खदान के लिये मशहूर झारखंड में इस बार भाजपा की सरकार है. 2014 में 14 में से 12 सीटें भाजपा ने जीती थी. झामुमो को 2 सीट मिली थी. कांग्रेस को एक भी सीट हाथ नहीं लगी थी. इस बार भाजपा को 11, झामुमो को 1 और 2 सीट कांग्रेस को मिल सकती है.
कर्नाटक- दक्षिण के राज्यों में भाजपा ने सब से पहले कर्नाटक में ही येदुरप्पा के अगुवाई में सत्ता हासिल की थी. इस वक्त कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की मिली जुली सरकार है. 2014 में भाजपा को 28 में से 17, कांग्रेस को- 9 और जेडीएस को सिर्फ 2 सीटे मिली थी. 2019 में जो आसार नजर आ रहे है वह बता रहे हैं की भाजपा-14, कांग्रेस-12 और जिस पार्टी का मुख्यमंत्री है वह जेडीएस को सिर्फ 2 सीटें मिल सकती है, जो कि देवेगौडा परिवार को ही मिल सकती है.
केरल- दक्षिण भारत में केरल वामपंथियों का गढ रहा है. भाजपा ने यहां काफी जोर लगाया है. 2014 में केरल की 28 सीटों में से कांग्रेस को 8 सीटें मिली थी. सीपीआई को -1, सीपीआई-एम को 5, इन्डियन यूनियन मुस्लिम लीग-2, केरला कांग्रेस-1, आरएसपी-1 सीट जब की भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी. केरल की वायनाड से सीट से भी राहुल गांधी इस बार चुनाव लड रहे है इसलिये इस बार कांग्रेस को 11 सीटें मिलने के आसार है. भाजपा को खाता खुलवाने के लिये एक ही सीट मिल सकती है. सीपीआई को -1, सीपीआई-एम को -3, मुस्लिम लीग को -1, केरला कांग्रेस-एम को-1, और आरएसपी को-1 सीट के साथ 1 सीट निर्दलीय के खाते में जा सकती है. कांग्रेस को वायनाड का फायदा हो सकता है.
लक्षद्वीप- संघ प्रदेश लक्षद्वीप की एक सीट इस बार भी एनसीपी के खाते में जा सकती है.
मध्य प्रदेश में इस चुनाव के दौरान कांग्रेस सत्ता में है. म.प्र. की 29 सीटों में से 2014 में भाजपा को उस वक्त राज्य में अपनी सरकार होने से 27 सीटें मिली थी. कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटों से ही संतोष मानना पडा था. इस बार कांग्रेस सत्ता में होने से उसे 29 में से 20 सीटें मिल सकती है. जब की भाजपा को 9 सीटें मिलने की संकेत मिल रहे है. म.प्र. में भोपाल सीट रोचक बनी है. मोदी ने यहां आतंकवाद के अपराध में आरोपित प्रज्ञा ठाकुर को टिकट दिया है. कांग्रेस ने भाजपा को हिन्दू आतंकवाद कहने वाले दिग्गी राजा को टिकट दिया है. भोपाल से संसद में कौन जायेगा यह कहना मुश्किल लग रहा है.
महाराष्ट्र- मराठा प्रभावी महाराष्ट्र में 2014 में भाजपा को 48 में से 23 और सहयोगी शिवसेना को 18 सीटें मिली थी. कांग्रेस-2, एनसीपी-4 और स्वाभिमानी पक्ष को 1 सीट मिली थी. इस बार भाजपा को 14, शिवसेना को 12, एनसीपी को- 9 और कांग्रेस को 12 सीटें मिल सकती है. स्वाभिमानी को इस बार भी एक सीट मिलने के आसार है.
पूर्वोत्तर के मणिपुर में 2014 में सभी 2 सीटे कांग्रेस ने जीती थी. इस बार भी कांग्रेस को जीतने के आसार है. भाजपा को इस बार भी यहां एक भी सीट नहीं मिल रही.
मेघालय में 1 सीट कांग्रेस ने और 1 सीट नेशनल पीपल्स पार्टी ने जीती थी. इस बार भी उसका पुनरावर्तन हो सकता है.
मिजोरम की 1 सीट इस बार भी कांग्रेस के खाते में जा सकती है.
नागालैंड़ में 1 सीट इस बार भी न तो भाजपा न तो कांग्रेस लेकिन नागा पीपल्स फ्रन्ट को मिल सकती है.
दिल्ली- कहते है दिल्ली दिल वालों की लेकिन इस बार दिल्ली का दिल गौतम गंभीर के लिये गंभीर है या फिर आप पार्टी के लिये ये भी रोचक बनने जा रहा है. 2014 में सभी 7 सीटें भाजपा ने जीती थी. उस वक्त दिल्ली राज्य में कांग्रेस सत्ता में थी. 2015 में आप की सरकार बनी. और इस चुनाव में कांग्रेस तथा आप में गठबंधन न होने से 7 सीटों के लिये त्रिकोणिय जंग में भाजपा को 3, आप को 2 और कांग्रेस को 2 सीटें मिल सकती है. गौतम गंभीर पर पंपलेट छपवाने के गंभीर आरोप भी लगे थे.
ओडिशा फानी नामक तुफानी चक्रवात से पहले ही वहां मतदान हो चुका था. 2014 में 21 में से सत्ता दल बीजेडी को 20 सीटें मिली थी. भाजपा को सिर्फ 1 ही सीट मिली थी. कांग्रेस को एक भी नही. इस बार फानी के बाद मोदी ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की प्रशंसा कर परिणाम के बाद शायद उनका समर्थन लेना पडे ऐसी कोई रणनीति अपनाई है. इस बार बीजेडी को-16, भाजपा को- 2, और कांग्रेस को 3 सीटें मिल सकती है.
पुद्दुचेरी -दक्षिण भारत में छोटे से राज्य पुद्दुचेरी में मोदी सरकार द्वारा नियुक्त उप राज्यपाल किरण बेदी ने कांग्रेस सरकार को सताये जाने की लगातार खबरें आती रही है. यहां की एक ही सीट है और वह इस बार भी आल इन्डिया एन.आर. कांग्रेस को मिल सकती है.
पंजाब- पांच नदियों वाला पंजाब राज्य इस बार कांग्रेस के हाथ में है. भाजपा ने सिक्ख दंगों को लेकर कांग्रेस के खिलाफ बहुत ही प्रचार किया. राजीव गांधी भी प्रचार में आये नहीं लेकिन मोदी द्वारा लाये गये. पंजाब की 13 सीटों में से 2014 में शिरोमणि अकाली दल को 4, कांग्रेस को-3, भाजपा को-2, आप को- 4 सीटें मिली थी. इस बार आप को- सिर्फ 1 से ही संतोष मानना पड सकता है. कांग्रेस को-8, भाजपा-3 और शिरोमणि अकाली दल को-1 सीट मिलने की संभावना है.
राजस्थान- पधारो म्हारे देश वाले राज्य राजस्थान में 25 सीटें हैं. 2014 में भाजपा का राज था. अब कांग्रेस की सरकार है. इसलिए कांग्रेस को 25 में से 18 सीटें मिल सकती है. पिछली बार कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. सभी 25 सीटें भाजपा को मिली थी. इसबार भाजपा को 7 सीटें मिल सकती है.
सिक्किम- पूर्वोत्तर के सिक्किम में एक सीट है. 2014 को भाजपा या कांग्रेस नहीं लेकिन सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रन्ट को सीट मिली थी. इस बार भी उसे ही यह सीट स्थानीय दल की वजह से मिल सकती है.
तेलंगाना- केन्द्र में किसकी सरकार बनती है उसकी चाबी जिस के पास हो सकती है वह तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर (वे इसी नाम से जाने जाते है) ने विधानसभा में भारी बहुमत जीता था. 2014 में यह अलग राज्य नहीं था. अलग राज्य बनने के बाद लोकसभा में इसकी 17 सीटें तय की गई है. अलग राज्य के बाद तेलंगाना के लिये यह पहला लोकसभा चुनाव है. केसीआर की पार्टी टीआरएस को 17 में से 13 सीटें मिल सकती है. कांग्रेस को-3, भाजपा को यहां एक भी सीट नहीं मिल रही. औवेसी की पार्टी को 1 सीट मिल सकती है. औवेसी केसीआर के साथ हैं.
तमिलनाडु- तमिलनाडु में लोकसभा के ये चुनाव दो बडी स्थानीय पार्टियां अपने दिग्गज नेताओं की अनुपस्थिति में लडे हैं. डीएमके के के. करूणानिधि नहीं रहे तो उनकी कट्टर प्रतिद्वंदी रही जयललिता भी नहीं रही. उनकी पार्टी ऑल इन्डिया अन्ना द्रमुक पार्टी ने 2014 में 39 में से 37 सीटें जीती थी. भाजपा को 1 सीट और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. पट्टली मक्कल कत्ची पार्टी को 1 सीट मिली थी. इस बार जो चित्र बना है उसके मुताबिक जयललिता की पार्टी को -6, कांग्रेस-11, पट्टली पार्टी को 2, डीएमके को 16 और अन्यों को 4 सीटें जा सकती है. भाजपा को इस बार एक भी सीट नहीं मिल रही.
त्रिपुरा- पूर्वोत्तर के त्रिपुरा में भाजपा को सत्ता मिली है. लेकिन इस बार भी 2 सीटे सीपीआइ-एम के खाते में जा सकती है. वामपंथी अभी भी प्रभावी हैं.
चारधाम का राज्य- उत्तराखंड में चार धाम स्थित है. चारों धामो के कपाट खुल चुके है. भक्तों की लाइन लगी है पावन दर्शन के लिये. इस चारो धाम वाले राज्य की 5 सीटें है. 2014 में सभी 5 सीटें भाजपा ने मोदी की वजह से जीती थी. 2019 में भाजपा सो सभी तो नहीं लेकिन 4 सीटे और 1 सीट कांग्रेस को मिल सकती है.
प. बंगाल- इस चुनाव में पूरे देश में जहां सब से ज्यादा चुनावी तनाव और हिंसा की घटनायें हुइ वह है प. बंगाल. भाजपा ने ममता को हराने की भारी मश्ककत की. कोलकाता में भाजपा अध्यक्ष की रैली पर हमला हुआ. भाजपा और ममता की पार्टी टीएमसी के कुछ कार्यकर्ता भी चुनाव के दौरान मारे गये. पूरे देश में बंगाल सब से ज्यादा चर्चा में रहा. यूपी-बिहार की तरह आयोग ने बंगाल में भी सातों चरणों में सीटों को बांट कर मतदान रखा था. हजारों केन्द्रीय सुरक्षा बल तैनात फिर भी हिंसा की घटनायें हुई. बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें है. राजनीति और सियासी के हिसाब से यह महत्वपूर्ण राज्य है. 2014 में मोदी वेब फिर भी भाजपा को सिर्फ 2 सीटे ही यहां मिली थी. कांग्रेस को 4 और सीपीआई-एम को 2 सीटें तथा टीएमसी को 34 सीटें मिली थी. बंगाल में भाजपा और ममता बनर्जी के बीच काफी तनातनी बनी रही. सातवें चरण के मतदान से पहले अमित शाह की रैली में हमला और समाज सुधारक विध्यासागर की मूर्ति तोडने की घटनाएं बहुत बड़ा मोड़ लिया। इसे लेकर भारी तनातनी के बीच ममता को 28, भाजपा को 8, कांग्रेस-2 और सीपीआई-एम को 4 सीटें मिल सकती है. हो सकता है की बंगाल के महान सुधारक इश्वरचन्द्र विद्यासागर की मूर्ति कांड का सियासी फायदा ममता को मिल सकता है. और उसकी सीटे बढ सकती है. यह मूर्ति शाह की रैली के दौरान भाजपा के कार्यकर्ताओं ने तोडने का आरोप है. जबकि भाजपा ने इसे ममता के कार्यकर्ताओं की साजिश बताई थी. (courtesy: GNS)