Know your world in 60 words - Read News in just 1 minute
हॉट टोपिक
Select the content to hear the Audio

Added on : 2023-09-07 10:50:36

 

राजेश बादल

यह दिलचस्प है कि साम्प्रदायिक आधार पर बने पाकिस्तान में ही साम्प्रदायिकता के ख़िलाफ़ लोग सड़कों पर उतर आए हैं। सरकार ने गिलगित बाल्टिस्तान में दिनों दिन बढ़ रहे तनाव के मद्देनज़र चेतावनी जारी की है कि वहाँ साम्प्रदायिकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो लोग साम्प्रदायिक विदूष फैलाने का प्रयास करेंगे ,उन पर सख़्त कार्रवाई होगी। चिलास क़स्बे की दिया मीर युवा उलेमा कौंसिल के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल मलिक तो साफ़ साफ़ कहते हैं कि जब तक साम्प्रदायिकता भड़काने वालों को सरकारी संरक्षण दिया जाता रहेगा ,तब तक इस खूबसूरत प्रदेश में शांति बहाल होना मुश्किल है।हालात इतने ख़राब हो चुके हैं कि पश्चिम और यूरोपीय देश अपने नागरिकों को पाकिस्तान के इस इलाक़े में नहीं जाने की सलाह दे रहे हैं। अमेरिका ने अपने देश के लोगों से कहा है कि पाकिस्तान के इस उत्तरी भाग में जाना खतरे से खाली नहीं है। कमोबेश ऐसी चेतावनी ब्रिटेन ने भी अपने निवासियों को दी है। उसने कहा है कि इस इलाक़े में साम्प्रदायिक तनाव चरम पर है और गोरों को वहाँ की यात्रा टालनी चाहिए। कनाडा ने भी ऐसी ही एडवाइजरी जारी की है। 

दरअसल गिलगित इलाक़े में शिया आबादी बहुतायत में रहती है। ईरान में सबसे अधिक शिया रहते हैं। उसके बाद भारत में शियाओं की संख्या है। पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले गिलगित बाल्टिस्तान में लगभग दस लाख शिया मुसलमान रहते हैं। ज़ाहिर है कि सुन्नी मुस्लिम शियाओं को फूटी आँखों नहीं देखते और उन्हें एक तरह से इस्लाम का हिस्सा ही नहीं मानते। इसलिए वहाँ जब तब शिया - सुन्नी टकराव होता रहता है। सुन्नी उन्हें सम्प्रदाय से बाहर बताते हैं और जब भी दोनों मुस्लिम जातियों में संघर्ष होता है ,पाकिस्तान सरकार उसे साम्प्रदायिक तनाव बताती है। इसी तरह सुन्नी मुस्लिम अहमदिया मुसलमानों ,बोहराओं ,बलूचियों और भारत से विभाजन के समय गए मुसलमानों को अपने मज़हब से बाहर का मानते हैं। भारतीय मुस्लिमों को वे मुहाज़िर कहते हैं और उन्हें दोयम दर्ज़े का बताते हैं। कोई पाकिस्तान के सुन्नियों और फौज को बताए कि उनके क़ायदे आज़म जनाब मुहम्मद अली जिन्ना ने तो भारत में ही रहते हुए पाकिस्तान जाने की अपील सारी मुस्लिम जातियों - उप जातियों से की थी। वे स्वयं भी मुंबई से पाकिस्तान गए थे। इस तरह तो वे भी मुहाजिर ही थे। जिन्ना ने तो कभी मुसलमानों के बीच किसी तरह का फ़र्क़ नहीं किया ,मगर उनकी उत्तराधिकारी फ़ौज ने सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए सुन्नियों का सहारा लिया और आज एक मुस्लिम मुल्क़ में मुसलमान ही मुसलमान नहीं समझे जाते। इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है ,वैसे प्रसंग के तौर पर बता दूँ कि मुहम्मद अली जिन्ना अपने जीवित रहते ही एक तरह से धर्म बहिष्कृत कर दिए गए थे। उन्हें क़ाफ़िरे आज़म कहा जाने लगा था और जब उनका निधन हुआ तो धर्मगुरु ने उन्हें दफ़नाने के दौरान होने वाले धार्मिक विधान करने से स्पष्ट इनकार कर दिया था। 

बहरहाल ! लौटते हैं गिलगित - बाल्टिस्तान के ताज़े घटनाक्रम पर। पाकिस्तान सरकार दशकों से वहाँ धीरे धीरे ख़ामोशी से सुन्नियों को बसाने का काम करती रही है। इसका विरोध भी समय समय पर होता रहा है। मौजूदा हाल यह है कि सुन्नियों की आबादी शियाओं से क़रीब दो गुनी हो चुकी है। इसलिए वहाँ के मूल निवासी पाकिस्तान सरकार के इस रवैए के ख़िलाफ़ उग्र प्रदर्शन करते रहते हैं।यह प्रांत ताजिकिस्तान ,चीन और भारत के कारगिल -द्रास की ओर से जुड़ता है।सीमान्त संवेदनशील प्रदेश होने के कारण यहाँ की हर घटना पाकिस्तान की केंद्रीय सत्ता को चिंता में डाल देती है। चीन अपना ग्वादर तक जाने वाला गलियारा भी इसी क्षेत्र से बना रहा है। गिलगित के स्थानीय निवासी इसके हमेशा विरोध में रहे हैं। वे यदा कदा भारत में वापस विलय की माँग भी करते रहते हैं और कारगिल का रास्ता खोलने के लिए भी आवाज़ उठाते रहते हैं।यह बात आई एस आई और पाकिस्तानी सेना को रास नहीं आती। वे जब स्थिति पर नियंत्रण नहीं कर पाते ,तो आरोप लगाते हैं कि गिलगित - बाल्टिस्तान में अशांति के पीछे हिंदुस्तान का हाथ है।

अब इस खूबसूरत वादी के लोग बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं। उनसे इंटरनेट की सुविधा छीन ली गई है। वे रैली या सभा नहीं कर सकते।वहाँ धारा एक सौ चवालीस लगा दी गई है। उन पर निगरानी के लिए दस हज़ार सुन्नी फौजी भेजे गए हैं।इसके अलावा सुन्नी नागरिक सशस्त्र बल के जवान भी उन पर चौबीस घंटे नज़र रखते हैं। हाल ही में गिलगित में जब विरोध प्रदर्शन हुआ तो लोग भारत के समर्थन में नारे लगा रहे थे। इस पर एक सुन्नी मौलवी ने शियाओं पर तीख़ी टिप्पणी कर दी। इससे हालात बिगड़ गए और न चाहते हुए भी स्थानीय पुलिस को सुन्नी मौलवी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ करना पड़ा। तो दूसरी तरफ सुन्नियों ने स्कार्दू में एक शिया मौलवी के विरोध में मामला दर्ज़ करा दिया। इससे स्थितियाँ बेहद गंभीर हो गई हैं। अब स्कार्दू इलाक़े के लोग कह रहे हैं कि उनके लिए भारत जाने वाली कारगिल सड़क खोल दी जाए,जिससे वे अपने जीवन यापन की ज़रूरी चीज़ें खरीद सकें। पाकिस्तानी फ़ौज के पहरे ने उन्हें जीते जी मर जाने की नौबत ला दी है।पर्यटन यहाँ की जीवन रेखा है। यूरोपीय देशों के लोग बड़ी संख्या में यहाँ आते हैं। वर्षों से यह मांग भी होती रही है कि कारगिल मार्ग भी खोल दिया जाए,जिससे पर्यटक बेरोकटोक भारत भी आ सकें।लेकिन पाकिस्तान सरकार इस मांग को सख्ती से कुचलती रही है। गिलगित - बाल्टिस्तान के लोग अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता तथा पहचान के लिए बलूचिस्तान के निवासियों की तरह परेशान हो रहे हैं। पर नक्कारखाने में तूती की आवाज़ कौन सुनेगा ?

आज की बात

हेडलाइंस

अच्छी खबर

शर्मनाक

भारत

दुनिया