रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने यहां कहा कि भारत द्वारा मार्च में किए गए उपग्रह भेदी परीक्षण से उत्पन्न हुआ अधिकतर मलबा नष्ट हो गया है और जो थोड़ा-बहुत बचा हुआ है वह 'कुछ वक्त' में खत्म हो जाएगा. रेड्डी ने 'इंस्टि्टयूट फॉर डिफेंस स्टाडीज एंड एनालिसिस' (IDSA) में 'राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रोद्यौगिकी विषय पर व्याख्यान के बाद एक सवाल के जवाब में यह बात कही.
रेड्डी ने कहा,"मैंने छह अप्रैल को जिक्र किया था कि कुछ हफ्तों में मलबा खत्म हो जाएगा। हमें जो सूचना मिली हैं उसके मुताबिक, ज्यादातर मलबा नष्ट हो गया है और जो कुछ थोड़े-बहुत टुकड़े बचे हैं, वो कुछ समय में खत्म हो जाएंगे" DRDO के प्रमुख ने कहा कि लगातार जानकारी मिल रही है और उस पर नजर रखी जा रही है. उन्होंने कहा, ''मैं नहीं समझता कि यह कोई मसला है."
रड्डी ने कहा, ''यह बताना काफी मुश्किल है कि इसमें कितने दिन लगेंगे, लेकिन जैसा मैंने उस दिन कहा था कि यह कुछ हफ्तों में नष्ट हो जाएगा, अधिकतर मलबा नष्ट हो चुका है." छह अप्रैल को यहां DRDO भवन में संवाददाता सम्मेलन में रेड्डी ने कहा था कि भारत ने वैश्विक अंतरिक्ष संपत्तियों को मलबे के खतरे से बचाने के लिए 'मिशन शक्ति' के लिए 300 किमी से भी कम की कक्षा को चुना था. विदेश मंत्रालय ने भी कहा है कि निचले वातावरण में परीक्षण किया गया था ताकि अंतरिक्ष में मलबा नहीं रहे.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने यहां कहा कि भारत द्वारा मार्च में किए गए उपग्रह भेदी परीक्षण से उत्पन्न हुआ अधिकतर मलबा नष्ट हो गया है और जो थोड़ा-बहुत बचा हुआ है वह 'कुछ वक्त' में खत्म हो जाएगा. रेड्डी ने 'इंस्टि्टयूट फॉर डिफेंस स्टाडीज एंड एनालिसिस' (IDSA) में 'राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रोद्यौगिकी विषय पर व्याख्यान के बाद एक सवाल के जवाब में यह बात कही.
रेड्डी ने कहा,"मैंने छह अप्रैल को जिक्र किया था कि कुछ हफ्तों में मलबा खत्म हो जाएगा। हमें जो सूचना मिली हैं उसके मुताबिक, ज्यादातर मलबा नष्ट हो गया है और जो कुछ थोड़े-बहुत टुकड़े बचे हैं, वो कुछ समय में खत्म हो जाएंगे" DRDO के प्रमुख ने कहा कि लगातार जानकारी मिल रही है और उस पर नजर रखी जा रही है. उन्होंने कहा, ''मैं नहीं समझता कि यह कोई मसला है."
रड्डी ने कहा, ''यह बताना काफी मुश्किल है कि इसमें कितने दिन लगेंगे, लेकिन जैसा मैंने उस दिन कहा था कि यह कुछ हफ्तों में नष्ट हो जाएगा, अधिकतर मलबा नष्ट हो चुका है." छह अप्रैल को यहां DRDO भवन में संवाददाता सम्मेलन में रेड्डी ने कहा था कि भारत ने वैश्विक अंतरिक्ष संपत्तियों को मलबे के खतरे से बचाने के लिए 'मिशन शक्ति' के लिए 300 किमी से भी कम की कक्षा को चुना था. विदेश मंत्रालय ने भी कहा है कि निचले वातावरण में परीक्षण किया गया था ताकि अंतरिक्ष में मलबा नहीं रहे.