पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को परमाणु बम बनाने की तकनीक देने वाला वैज्ञानिक
किसी नेता को आपने स्पेश्यल सुरक्षाबलों की कड़ी सुरक्षा के बीच खास गाडियों के काफ़िले में देखना आम बात होती है. लेकिन किसी वैज्ञानिक को स्पेशल सुरक्षाबलों की कड़ी सुरक्षा के बीच ख़ास गाड़ियों के काफ़िले में देखना आम बात नहीं है. वो भी तब जब ये सुरक्षा व्यवस्था देश के राष्ट्रपति के लिए तैनात की गई सुरक्षा व्यवस्था से अधिक हो.
लेकिन यहां बात हो रही है.. डॉ. अब्दुल क़दीर ख़ान की जिन्हें ए.के. ख़ान के नाम से भी जाना जाता है और ये कोई आम वैज्ञानिक नहीं हैं.
डॉ. अब्दुल क़दीर ख़ान को पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है. इस साल 1 अप्रैल को डॉ. ख़ान 83 साल के हो जाएंगे.
पेशे से इंजीनियर डॉ. ख़ान एक दशक से अधिक वक़्त तक परमाणु बम बनाने की तकनीक, मिसाइल बनाने के लिए यूरेनियम की एनरिचमेन्ट, मिसाइल में लगने वाले उपकरण और पुर्ज़ों के व्यापार में काम कर चुके हैं.
यूरोप में सालों तक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में पढ़ाई और काम कर चुके डॉ. ख़ान को मिसाइल बनाने का तरीक़ा भी आता था.
पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को परमाणु बम बनाने की तकनीक देने वाला वैज्ञानिक
किसी नेता को आपने स्पेश्यल सुरक्षाबलों की कड़ी सुरक्षा के बीच खास गाडियों के काफ़िले में देखना आम बात होती है. लेकिन किसी वैज्ञानिक को स्पेशल सुरक्षाबलों की कड़ी सुरक्षा के बीच ख़ास गाड़ियों के काफ़िले में देखना आम बात नहीं है. वो भी तब जब ये सुरक्षा व्यवस्था देश के राष्ट्रपति के लिए तैनात की गई सुरक्षा व्यवस्था से अधिक हो.
लेकिन यहां बात हो रही है.. डॉ. अब्दुल क़दीर ख़ान की जिन्हें ए.के. ख़ान के नाम से भी जाना जाता है और ये कोई आम वैज्ञानिक नहीं हैं.
डॉ. अब्दुल क़दीर ख़ान को पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है. इस साल 1 अप्रैल को डॉ. ख़ान 83 साल के हो जाएंगे.
पेशे से इंजीनियर डॉ. ख़ान एक दशक से अधिक वक़्त तक परमाणु बम बनाने की तकनीक, मिसाइल बनाने के लिए यूरेनियम की एनरिचमेन्ट, मिसाइल में लगने वाले उपकरण और पुर्ज़ों के व्यापार में काम कर चुके हैं.
यूरोप में सालों तक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में पढ़ाई और काम कर चुके डॉ. ख़ान को मिसाइल बनाने का तरीक़ा भी आता था.