प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को अपना 69वां जन्मदिन मनाने से पहले गुजरात के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने सरदार सरोवर डैम में नर्मदा पूजा करने के साथ जनसभा को भी संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि यहां जल सागर और जनसागर का मिलन हो रहा है। एक तरफ जन सागर है तो दूसरी तरफ जल सागर। अच्छा होता आज मेरे हाथ में कैमरा होता। प्रकृति हमारा आभूषण है।
गुजरात के केवडिया में पीएम मोदी ने कहा कि जन्मदिन पर मां नर्मदा का दर्शन मिलना इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है? हमारी संस्कृति में हमेशा माना गया है कि पर्यावरण की रक्षा करते हुए भी विकास हो सकता है। प्रकृति हमारे लिए आराध्य है, प्रकृति हमारा आभूषण है। पर्यावरण को संरक्षित करते हुए कैसे विकास किया जा सकता है, इसका जीवंत उदाहरण अब केवडिया में देखने को मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि आज ही निर्माण और सृजन के देवता विश्वकर्मा जी की जयंती भी है। नए भारत के निर्माण के जिस संकल्प को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं, उसमें भगवान विश्वकर्मा जैसी सृजनशीलता और बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने की इच्छाशक्ति बहुत आवश्यक है।
आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो सरदार सरोवर बांध और सरदार साहब की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा, दोनों ही उस इच्छाशक्ति, उस संकल्पशक्ति के प्रतीक हैं। हमने पहली बार सरदार सरोवर बांध को पूरा भरा हुआ देखा है। एक समय था जब 122 मीटर के लक्ष्य तक पहुंचना ही बड़ी बात थी। लेकिन आज 5 वर्ष के भीतर-भीतर 138 मीटर तक सरदार सरोवर का भर जाना, अद्भुत है, अविस्मरणीय है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को अपना 69वां जन्मदिन मनाने से पहले गुजरात के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने सरदार सरोवर डैम में नर्मदा पूजा करने के साथ जनसभा को भी संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि यहां जल सागर और जनसागर का मिलन हो रहा है। एक तरफ जन सागर है तो दूसरी तरफ जल सागर। अच्छा होता आज मेरे हाथ में कैमरा होता। प्रकृति हमारा आभूषण है।
गुजरात के केवडिया में पीएम मोदी ने कहा कि जन्मदिन पर मां नर्मदा का दर्शन मिलना इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है? हमारी संस्कृति में हमेशा माना गया है कि पर्यावरण की रक्षा करते हुए भी विकास हो सकता है। प्रकृति हमारे लिए आराध्य है, प्रकृति हमारा आभूषण है। पर्यावरण को संरक्षित करते हुए कैसे विकास किया जा सकता है, इसका जीवंत उदाहरण अब केवडिया में देखने को मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि आज ही निर्माण और सृजन के देवता विश्वकर्मा जी की जयंती भी है। नए भारत के निर्माण के जिस संकल्प को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं, उसमें भगवान विश्वकर्मा जैसी सृजनशीलता और बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने की इच्छाशक्ति बहुत आवश्यक है।
आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो सरदार सरोवर बांध और सरदार साहब की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा, दोनों ही उस इच्छाशक्ति, उस संकल्पशक्ति के प्रतीक हैं। हमने पहली बार सरदार सरोवर बांध को पूरा भरा हुआ देखा है। एक समय था जब 122 मीटर के लक्ष्य तक पहुंचना ही बड़ी बात थी। लेकिन आज 5 वर्ष के भीतर-भीतर 138 मीटर तक सरदार सरोवर का भर जाना, अद्भुत है, अविस्मरणीय है।