दिल्ली में कॉनोट प्लेस स्थित 'रीगल' सिनेमा हॉल अब इतिहास बन जाएगा। बृहस्पतिवार को शोमैन राजकपूर की फिल्में मेरा नाम जोकर और संगम के शो के साथ इस सिंगल स्क्रीन सिनेमा हाल का पर्दा हमेशा के लिए गिर जाएगा। इस थियेटर में कभी नाटक भी होते थे। अंग्रेजों से लेकर भारत के सभी बडे राजनीतिज्ञ भी इस सिनेमा हॉल में फिल्में देख चूके है। वर्ष 1931 में बने रीगल का राजकपूर से गहरा नाता था। कहते हैं कि रीगल को विशिष्ट पहचान दिलाने में राजकपूर का बड़ा योगदान था। उनकी सभी फिल्मों का प्रीमियर इसी सिनेमाहाल में हुआ। प्रीमियर पर राजकपूर परिवार के साथ मौजूद रहते थे। वह ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ की रिलीज के मौके पर वर्ष 1978 में आखिरी बार यहां आए थे।
दिल्ली में कॉनोट प्लेस स्थित 'रीगल' सिनेमा हॉल अब इतिहास बन जाएगा। बृहस्पतिवार को शोमैन राजकपूर की फिल्में मेरा नाम जोकर और संगम के शो के साथ इस सिंगल स्क्रीन सिनेमा हाल का पर्दा हमेशा के लिए गिर जाएगा। इस थियेटर में कभी नाटक भी होते थे। अंग्रेजों से लेकर भारत के सभी बडे राजनीतिज्ञ भी इस सिनेमा हॉल में फिल्में देख चूके है। वर्ष 1931 में बने रीगल का राजकपूर से गहरा नाता था। कहते हैं कि रीगल को विशिष्ट पहचान दिलाने में राजकपूर का बड़ा योगदान था। उनकी सभी फिल्मों का प्रीमियर इसी सिनेमाहाल में हुआ। प्रीमियर पर राजकपूर परिवार के साथ मौजूद रहते थे। वह ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ की रिलीज के मौके पर वर्ष 1978 में आखिरी बार यहां आए थे।