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Added on : 2024-06-25 07:38:33

डॉ. चन्दर सोनाने
मध्यप्रदेश के सभी स्कूलों में प्रवेशोत्सव मनाने के राज्य शासन ने निर्देश दिए हैं किन्तु, दुःखद है कि प्रदेश में 2,621 स्कूलों में कोई शिक्षक ही  नहीं है। यही नहीं, प्रदेश में 8,340 स्कूल सिर्फ एक  शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। जब नींव ही कमजोर होगी तो इमारत कैसे मजबूत बनेगी ?इस प्रदेश में फिलहाल 94,039 स्कूल संचालित हैं। उनमें 1 करोड़ 39 लाख 84 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएँ पढ़ाई कर रहे हैं। जिन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं वो भगवान भरोसे हैं । ऐसे स्कूलों में जाने वाले बच्चों का भविष्य अंधकारमय है। प्रदेश के जो स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चलाए जा रहे है,वहाँ कल्पना कीजिए कि कक्षा 1 से 5 वीं तक की  कक्षाओं के सभी विषय एक ही शिक्षक पढ़ायेगा तो वहाँ शिक्षा का स्तर क्या होगा ?
मुख्यमंत्री मोहन यादव का अपना ज़िला उज्जैन है और यदि केवल उज्जैन संभाग के ही स्कूल विहीन शिक्षकों की  चर्चा करें तो संभाग के 7 जिलों में 336 स्कूल बिना शिक्षक के हैं। इनमें सर्वाधिक 104 एक जिले देवास के हैं। इसी प्रकार उज्जैन जिले में 68, शाजापुर में 46, रतलाम में 36, मंदसौर में 34, आगर मालवा में 27 और नीमच जिले में 21 स्कूल ऐसे हैं, एक भी शिक्षक नहीं है। उज्जैन संभाग जैसे हाल प्रदेश के अन्य संभागों में भी है। 
 उज्जैन संभाग के 7 जिलों में 1091 स्कूल ऐसे हैं,जहाँ केवल एक शिक्षक है। इनमें सर्वाधिक 259 स्कूल देवास  के हैं।उज्जैन के 246,मंदसौर के 168,रतलाम के 110, आगर मालवा के 106, नीमच के 102 और शाजापुर के 100 स्कूल ऐसे है,जहाँ मात्र एक शिक्षक है। यही हाल अन्य संभागों के जिलों का है। 
हाल ही में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि एक जुलाई से सभी 55 जिलों में एक-एक पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस शुरू किया जाएगा। जिन कॉलेजों का चयन इस योजना में हुआ है, उनके लिए अतिरिक्त पद और बजट भी दिया जा चुका है। जब इन जैसे स्कूलों से छात्र निकलेंगे तो कल्पना की जा सकती है कि वे कितने  कमजोर होंगे। 
सरकार को चाहिए कि  विशेष अभियान चलाकर जिन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है, वहाँ प्राथमिकता पर कम से कम दो-दो शिक्षक पदस्थ करें। इसी प्रकार प्रदेश के जिन स्कूलों में मात्र एक-एक शिक्षक पदस्थ है, वहाँ कम से कम दो शिक्षकों की नियुक्ति करें । सभी स्कूलों में उनके स्कूल भवन होना भी जरूरी है। आजादी के 77 साल हो जाने के बाद भी झोपड़ी में स्कूल लग रहे है। दुःखद और शर्मनाक है। इसी के साथ  सभी स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं चीजों का इंतजाम हो। जैसे प्रत्येक स्कूल में पर्याप्त टेबल-कुर्सी,शिक्षण सामग्री,स्कूल भवन,पेयजल, शौचालय,मध्याह्न भोजन आदि का बंदोबस्त किया जाना चाहिए। जब छात्र का भविष्य सुधरेगा तो वह देश को संवारेगा।

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