Know your world in 60 words - Read News in just 1 minute
हॉट टोपिक
Select the content to hear the Audio

Added on : 2024-08-17 21:24:34

डॉ. सुधीर सक्सेना
धुर दक्खिनी प्रदेश तमिलनाडु अर्से से शांत है। कोई बड़ा धरना-प्रदर्शन नहीं। कोई बड़ा बखेड़ा नहीं। मुख्यमंत्री स्तालिन के नेतृत्व में द्रमुक सरकार ने कामयाबी के झंडे गाड़ रखे हैं। हाल के लोकसभा चुनाव में शत-प्रतिशत सफलता से उसके हौसले बुलंद है। विधानसभा के उपचुनाव में भी उसे कामयाबी मिली है। द्रमुक सरकार की इस बेहतरीन उपलब्धि में उसके सामाजिक सरोकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। मुख्यमंत्री स्तालिन तो अपनी सरकार को वैकल्पिक मॉडेल तक की संज्ञा देते हैं। केन्द्र की सरकार से उनके रिश्ते तल्ख हैं और वह उस पर तंज का कोई मौका नहीं छोड़ते। उनके पास ढेरों शिकायतें हैं और ये शिकायतें निस्सार नहीं हैं। इनमें सबसे बड़ी शिकायत है सौतेले बर्ताव की। यूं भी गैरभाजपा और विपक्षी दलों का मानना है कि मोदी सरकार सिर्फ डबल इंजन सरकारों के प्रति सदय है, अन्यथा वह औरों की मुश्कें कसने और उनके लिए  मुसीबतें खड़ी करने की फिराक में रहती है। केन्द्र के रवैये से त्रस्त राज्यों की सूची तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना और कर्नाटक तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पश्चिम बंगाल, पंजाब, दिल्ली और झारखंड भी जुड़ गये हैं। इनमें से अनेक राज्यों को अपने 'ड्यूज' के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। तमिलनाडु की ही बात करें तो उसे सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद केन्द्र सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए जो रकम मुहैया की है, वह ऊंट के मुंह में जीरे की मानिंद है। दूसरे इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों के दरम्यां हद दर्जे की खटास है। इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों का दो टूक कहना है कि मोदी सरकार इन राज्यों में राज्यपालों के जरिये सियासी गेम खेल रही है और उसका मकसद उन्हें अस्थिर करना है।
भारतीय जनता पार्टी को इस बार पूरी उम्मीद थी कि उसे इस दफा तमिलनाडु में पांव टिकाने का ठौर मिलेगा। केरल में तो सौभाग्य से उसकी मंशा पूरी हुई, लेकिन तमिलनाडु में बातें बनी नहीं। बीजेपी को कोयंबटूर में अपने युवा कमांडर अन्नामलै की जीत की खासा उम्मीद थी, लेकिन स्तालिन की व्यूह रचना से वह पार नहीं पा सके। उन्हें मात का सामना करना पड़ा। इसके लिए स्तालिन की सराहना करनी होगी कि उन्होंने अपने राजनीतिक कुनबे को बिखरने नहीं दिया और सीटों के बंटवारे मे भी उदार-व्यावहारिकता का परिचय दिया। कांग्रेस के साथ उनकी बेमिसाल जुगलबंदी का ही नतीजा है कि केन्द्र-शासित पड़ोसी राज्य पुदुच्चेरि ने लोकसभा के लिए कांग्रेस प्रत्याशी को अपना प्रतिनिधि चुना। वहीं डबल इंजन सरकार का होना बीजेपी को फला नहीं। गौरतलब है कि पुदुच्चेरि में स्तालिन के राजनीतिक उत्तराधिकारी और बेटे उदयनिधि ने रोड-शो और जमकर प्रचार किया था। उदयनिधि संप्रति स्तालिन सरकार में युवक कल्याण और खेलमंत्री हैं। गत दिनों उदयनिधि को डिप्टी सीएम बनाने की जोरदार मांग उठी। अंतत: स्तालिन ने इस तुमुल नाद को यह कह कर शांत कर दिया कि उदय को अभी और 'तजुर्बे' की जरूरत है। जाहिर है कि पिता या पुत्र, कोई भी  उतावला नहीं है। टाइम फैक्टर उनके पक्ष में है। पार्टी मजबूत रही और सरकार कायम तो कोई ताज्जुब नहीं कि उदयनिधि को पिता स्तालिन के जीते-जी चीफ मिनिस्टर बनने का सौभाग्य मिले। यदि ऐसा है तो वह एक ही परिवार की तीसरी पीढ़ी के निर्वाचित मुख्यमंत्री होंगे। उदयनिधि की मनोदशा और आत्मविश्वास का आभास इससे मिलता है कि जब पत्रकारों ने उन्हें घेरा तो उन्होंने कहा कि उन्हें अपना विभाग प्राणों से भी प्रिय है। निश्चित ही द्रमुक की युवा ईकाई के अध्यक्ष रह चुके उदयनिधि के लिए इस महकमे के मंत्री के तौर पर काम करने की खूब गुंजाइश है। वह जानते हैं कि बतौर मंत्री अनुभव की पूंजी लंबे राजनीतिक सफर में आगे काम आयेगी। उदय ने एक मार्के की बात यह कही कि तमिलनाडु के सारे मंत्री मुख्यमंत्री स्तालिन के 'डिप्टी' हैं। बहरहाल, डीएमके सरकार के लिए यह भी खुशी का सबब है कि बीजेपी और अन्नाद्रमुक के बीच 'विच्छेद' की स्थिति है। अन्नाद्रमुक असेंबली-चुनाव अकेले लड़ना चाहेगी। बीजेपी के लिए यह स्थिति यकीनन घाटे का सौदा होगी।
बीजेपी के लिए बैठे ठाले एक और मुसीबत यह खड़ी हो गयी है कि पड़ोसी राज्य पुदुच्चेरि में मुख्यमंत्री एन. रंगास्वामी ने पुदुच्चेरि को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की है। पुदुच्चेरि में यूंू तो डबल इंजन की सरकार है, अलबत्ता रंगास्वामी ने दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में भी भाग नहीं लिया। उन्होंने इसके पीछे किसी राजनीतिक कारण से इंकार किया, किंतु इसकी अलग-अलग राजनीतिक व्याख्याओं से वह बच नहीं सके।
ऐसे माहौल में बीजेपी को बमुश्किल एक मुद्दा स्वाधीनता दिवस की पूर्ववेला में हाथ लगा और उसने उसे उठाने में कोई कोताही नहीं बरती। तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष के. अन्नामलै ने 11 अगस्त को राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि उसने उनकी पार्टी को तिरंगा यात्राएं निकालने की अनुमति नहीं दी है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी की 'हर घर तिरंगा' की अपील के अनुरूप पार्टी प्रदेश में तिरंगे से सुसज्ज मोटरसाइकिल यात्राएं निकालना चाहती थी, लेकिन उसे अनुमति नहीं मिली। पुलिस से इजाजत की मनाही पर अचरज जताते हुए उन्होंने कि ऐसा सिर्फ तमिलनाडु में ही मुमकिन है। डीएमके को राष्ट्रध्वज से दिक्कत है। वे राष्ट्रध्वज को पसंद नहीं करते। बीजेपी को वाहन रैली की अनुमति न देकर उन्होंने अपने गुस्से का इजहार किया है। राष्ट्रध्वज लेकर निकलना कानून व्यवस्था के लिये समस्या कैसे हो सकता है?
अन्नामलै के बयान देने की देर थी कि तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के सेल्वापेरुंथगै ने उन्हें यह कहकर आड़े हाथों लिया कि बीजेपी तिरंगे का राजनीतिक इस्तेमाल करना चाहती है। तिरंगा यात्रा भाजपा की रवायत नहीं है और इसका ताल्लुक मोदी की अपील से है। उन्होंने कहा कि बीजेपी समेत कोई भी ताकत कांग्रेस और तिरंगे के रिश्तों को खंडित नहीं कर सकती। हर किसी को तिरंगा फहराने का हक है और कांग्रेस हर जिले में मोटरसाइकिलों पर तिरंगा यात्रा निकालेगी और गावों और तालुकों में तिरंगा लेकर पदयात्राएं निकलेंगी। 15 अगस्त, 47 और 26 जनवरी, 50 को छोड़ दें तो आरएसएस मुख्यालय पर 52 सालों तक तिरंगा नहीं फहराया गया। वहां 26 जनवरी, 2001 को राष्ट्रध्वज फहराया गया। आरएसएस ने तिरंगे का बायकाट और अपमान किया और अब षड्यंत्र के तहत इसका इस्तेमाल करना चाहती है।

ऐसा ही हुआ और भारतीय जनता पार्टी तिरंगा यात्रा नहीं निकाल सकी। और तो और वह इसे मुद्दा बनाने में भी विफल रही। इसके विपरीत मुख्यमंत्री स्तालिन ने नयी स्कीमें शुरू कर सुर्खियां बटोरीं और "द्रविड़ मॉडेल" का गुणगान किया।
राज्य में गवर्नर और सीएम के दरम्यां रिश्तों में खटास से सब वाकिफ हैं। इसके बावजूद वह अपने पुत्र और मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ राज्यपाल आरएन रवि द्वारा स्वाधीनता दिवस पर राजभवन में आयोजित 'ऐट होम' में शरीक हुए जबकि अन्नाद्रमुक, कांग्रेस, एमएमके, एमडीएमके, वीसीके, सीपीआई और सीपीआई (एम) ने आयोजन का बहिष्कार किया I कांग्रेस नेता सेल्वापेरूनथगै ने कहा कि लोकतांत्रिक सरकार के कामों में गवर्नर के गैरजरूरी दखल के विरोधस्वरूप उनकी पार्टी राजभवन में आयोजन का बायकाट कर रही है। बहरहाल स्तालिन, स्पीकर अप्पाबू, मंत्रिगण दुरई मुरुगन, उदयनिधि, पेरियास्वामी, पोनमुडू, ईवी वेलू, पन्नीरसेल्वम, केकेएसएसआर रामचंद्रन और थायमथेंगारसू ने आयोजन में उपस्थिति दर्ज की। बीजेपी की तमिलनाडु ईकाई के मुखिया अन्नामलै स्वाभाविक तौर पर राजभवन में आयोजित महामहिम के इस उपक्रम में नजर आये।

आज की बात

हेडलाइंस

अच्छी खबर

शर्मनाक

भारत

दुनिया